नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की जेल की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के रोडरेज मामले (road rage case) में नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। पीड़ित परिवार की ओर से इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को बरी करने के अपने मई 2018 के आदेश की समीक्षा की है। आदेश के अनुसार सिद्धू को पंजाब पुलिस हिरासत में लेगी। सिद्धू को आईपीसी की धारा 323 के तहत अधिकतम संभव सजा दी गई है।
यह फैसला जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की डिवीजन बेंच ने दिया। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया गया था। उच्च न्यायालय ने सिद्धू और एक अन्य आरोपी को तीन साल की कैद और प्रत्येक को एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
क्या है मामला?
नवजोत सिद्धू का वर्ष 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ था जिसमें एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक हजार का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
धारा 323 जिसके तहत सुनाई सजा
भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अनुसार, जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवा) जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, उसे अधिकतम एक साल जेल की सजा का प्रावधान है। इसके तहत मुजरिम को एक साल कारावास या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।