नई दिल्ली। भारी कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कुमार मंगलम बिड़ला ने कंपनी में अपनी 27 फीसदी हिस्सेदारी किसी सरकारी कंपनी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को देने की पेशकश की है। अब कंपनी के विदेशी प्रमोटर ब्रिटेन के वोडाफोन ग्रुप (Vodafone Group) ने भी कंपनी में ताजा निवेश की संभावना से इनकार कर दिया है।
वोडाफोन ग्रुप के सीईओ निक रीड ने 23 जुलाई को एनालिस्ट कॉल में कहा कि वोडाफोन आइडिया इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। ग्रुप कंपनी को प्रैक्टिकल सपोर्ट दे रहा है लेकिन वह अब इसमें कोई निवेश नहीं करेगा। हालांकि वोडाफोन ग्रुप ने वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी बेचने की बिड़ला की पेशकश पर कोई टिप्पणी नहीं की। वोडाफोन ग्रुप ने 2017 में अपनी भारतीय कारोबार को आइडिया सेल्युलर मे मर्ज कर दिया था। मर्जर की प्रक्रिया अगस्त 2018 में पूरी हुई थी।
कंपनी का घाटा
वोडाफोन आइडिया का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। वोडाफोन ग्रुप पहले ही कंपनी में अपने निवेश को बट्टे खाते में डाल चुका है। कुमार मंगलम बिड़ला वोडाफोन इंडिया के प्रमोटर और चेयरमैन हैं। उनकी कंपनी में 27 फीसदी और ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन पीएलसी की 44 फीसदी हिस्सेदारी है। वोडाफोन इंडिया पर करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी के बोर्ड ने पिछले साल सितंबर में 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने की घोषणा की थी लेकिन उसे अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर कैल्कुलेशन में सुधार के लिए वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की याचिका को खारिज कर दिया था। वोडाफोन आइडिया का कहना है कि उस पर 21,500 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है जिसमें से वह 7,800 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। लेकिन डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस के मुताबिक कंपनी पर करीब 58,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।