परोपकार करना सबसे बड़ा पुण्य, दूसरे को सताना सबसे बड़ा पाप : घनश्यामाचार्य

0
777

डीडवाना। श्री झालरिया मठ बड़ा स्थान डीडवाना में गुरुपूर्णिमा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। डीडवाना में दशकों बाद ऐसा अवसर आया जब पीठ के जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज गुरुपूर्णिमा के दौरान उपस्थित रहे। यहां भगवान जानकी वल्लभ के फूल-बंगला की झांकी सजाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत भजनों के साथ हुई।

इसके बाद गुरु महाराज घनश्यामाचार्य के दर्शन और प्रवचन हुए। महाराज ने कहा कि कोई दूसरा आपका बुरा नहीं करता, आप स्वयं अपने लिए दुख उत्पन्न करते हैं। अपने कर्मों से दुख और सुख तय होते हैं। गुरु वेदव्यास ने कहा है कि 18 पुराण का सार एक ही है परोपकार करना ही पुण्य है और दूसरे को सताना ही पाप है। गुरुपूर्णिमा पर उन्होंने कहा कि आप यदि गुरु के प्रति निष्ठावान हैं तो गुरु आपके हर समय साथ हैं।

हमेशा मदद मिलेगी लेकिन यदि औपचारिकता में गुरु को प्रणाम करते हैं और पीछे से गलत बोलते हैं तो फिर दोष आपका है गुरु का नहीं। इस अवसर पर गुरुदेव का पूजन किया गया। देशभर से आए श्रद्धालुओं ने गुरु के पग पखारे। गुरुपूर्णिमा की पूर्व संध्या पर स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने पूर्वाचार्यों के समाधिस्थल पर जाकर पूजन किया। गुरूमहाराज ने अपने प्रवचनों में पूवाचार्यों की महिमा का बखान किया।

गुरुराज के चरणों का, हम वंदन करते हैं
गुरुपूजन के समय एलन परिवार के गोविन्द माहेश्वरी ने संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी, अच्छी बनेगी तेरी किस्मत जगेगी…, इक प्रेम की गंगा बहती है, गुरूदेव तुम्हारे चरणों में…, सतगुरू तुम्हारे प्यार ने जीना सीखा दिया, हमको तुम्हारे प्यार ने इन्सां बना दिया…, गुरूदेव दया करके, मुझको अपना लेना, मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना…, गुरूराज के चरणों का, हम वंदन करते हैं…, मंगल मूरत राम दुलारे, आप पड़ा अब तेरे द्वारे…, हम तो तेरी शरण में आए, श्री बालाजी गोविंदा… भजन गाए गए।

देश-विदेश से आए श्रद्धालु
इस अवसर पर देश-विदेश से श्रद्धालु गुरु महाराज के दर्शन के लिए डीडवाना पहुंचे। इसमें कोलकाता, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, एमपी, हरियाणा, नागालैंड, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना व राजस्थान के कई क्षेत्रों से लोग डीडवाना पहुंचे। कोटा के एलन मानधना परिवार के मातुश्री कृष्णा देवी मानधना, गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बांगड़ परिवार से सुरेश बांगड, रमेश बांगड़, देवेन्द्र बांगड़, जयपुर से महेश जाजू व परिवार सहित अन्य सदस्य भी आशीर्वाद लेने पहुंचे।

स्वतः बज उठते थे झालर-शंख
श्री झालरिया पीठ नागौर जिले के डीडवाना नगर में अवस्थित है। यह उत्तर भारत में श्री रामानुज सम्प्रदाय की सबसे बड़ी पीठ है। डीडवाना शहर विद्या व वैभव के लिए प्रसिद्ध है। हजारों वर्षों प्राचीन इस पीठ के देश-विदेश में कई शाखाएं हैं एवं लाखों अनुयायी हैं। झालरिया पीठ विरक्त गद्दी है एवं यहां के आचार्य आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। झालरिया मठ में अर्चावतार रूप में भगवान जानकीवल्लभ के यज्ञस्वरूप श्री विग्रह में जानकीजी भगवान राम के दाहिनी ओर विराजित हैं। यहां के पूर्वाचार्यों की भक्ति-भावना ऐसी प्रबल व प्रभावकारिणी थी कि इनकी पूजा-आराधना व आरती के समय झालर-शंख आदि वाद्य स्वतः ही बज उठते थे। स्वतः झालर-घंटे बजने के कारण पीठ का नाम झालरिया मठ पड़ा। इस पीठ के पूर्वाचार्यों के तप-प्रभाव व भगवद् कृपा से अनेकानेक शिष्यों के विद्या वैभव व श्रीवृद्धि निरंतर होती रही है।