नई दिल्ली। देश में खाने के तेल के दाम फिलहाल कम नहीं होने वाले। घरेलू कंपनियों का कहना है कि पाम ऑयल पर ड्यूटी घटाने से कीमतों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि सरकार ने पाम ऑयल पर ड्यूटी घटाई है, जबकि देश में ज्यादातर लोग सोयाबीन या सूरजमुखी के तेलों का इस्तेमाल करते हैं।
सरकार ने सोया और सन फ्लॉवर ऑयल के इंपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किए हैं। इससे मिडिल क्लास के भारतियों को महंगाई से राहत की कम उम्मीद है। क्योंकि पाम ऑयल का इस्तेमाल तो ज्यादातर होटल्स, रेस्त्रां जैसे कमर्शियल जगहों पर होता है। इसके अलावा पाम ऑयल का यूज साबुन, कॉस्मेटिक और पैकेज्ड फूड जैसे बिस्किट्स, चिप्स समेत चॉकोलेट में किया जाता है।
खाने के तेल बेचने वाली कंपनी अडाणी बिल्मर के मुताबिक ड्यूटी घटाने से तेलों की कीमतें घटाने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। अडाणी विल्मर के डिप्टी चीफ एक्जीक्युटिव आंगशु मलिक ने कहा कि तेल सप्लाई करने वाले प्राइस बढ़ा सकते हैं, जिससे ड्यूटी कट करने का पूरी तरह से फायदा नहीं मिलेगा। कंपनी भारत में फॉर्च्युन ब्रांड के तहत खाने के तलों की बिक्री करती है।
29 जून को सरकार ने विदेशों से आने वाले खाने के तेलों पर एक्साइज और इंपोर्ट ड्यूटी 30 सितंबर तक घटाने का फैसला लिया। इसके तहत बढ़ती महंगाई से राहत के लिए सरकार ने क्रूड पाम तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी को 5% घटाकर इसे 10% कर दिया। वहीं, अन्य पाम तेल पर इसे 7.5% घटाकर 37.5% कर दिया है। अभी तक क्रूड पाम तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी 15% और अन्य पाम तेल पर 45% थी। उम्मीद की जा रही थी कि इससे लोगों को महंगे हो रहे तेल के दाम से राहत मिलेगी।
इंपोर्ट में मलेशिया और इंडोनेशिया की बड़ी हिस्सेदारी
आंगशु ने बताया कि देशभर में कुल इस्तेमाल होने वाले खाने के तेल का 60% हिस्सा इंपोर्ट किया जाता है। इसमें से 54% इंपोर्ट इंडोनेशिया और मलेशिया से होता है। S&P ग्लोबल प्लाट के मुताबिक पाम और सोया ऑयल के दाम पिछले साल से दोगुना हो चुका है। हालांिक, पैक्ड बेवरेज बनाने वाली कंपनी बिकानो के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) मानते हैं कि इंपोर्ट ड्यूटी घटने से फूड इंडस्ट्री को मदद मिलेगी।