कनाडा में भीषण गर्मी से मसूर की फसल को भारी नुकसान की आशंका

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वैंकुवर। दुनिया में मसूर एवं मटर के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश कनाडा में इस बार गर्मी ने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वहां ब्रिटिश कोलम्बिया प्रान्त के लिटन शहर में तापमान बढ़कर 50 डिग्री सेल्सियस के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है जबकि इससे पूर्व कभी भी 45 डिग्री से ऊपर नहीं पहुंचा था। पश्चिमी कनाडा के प्रेयरीज क्षेत्र में भीषण गर्मी एवं बारिश की कमी से मसूर सहित अन्य दलहन फसलें सूखने लगी हैं।

व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि यदि अगले कुछ दिनों तक मौसम में सुधार नहीं गया तो कनाडा में मसूर का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। चूंकि वह पिछले सीजन में उत्पादित मसूर के अधिकांश का निर्यात पहले ही कर चुका है इसलिए अगले महीने से आरंभ होने वाले नए मार्केटिंग सीजन की शुरुआत पर यहां इस महत्वपूर्ण दलहन का बकाया स्टॉक घटकर बहुत कम रह जाएगा।

इसके फलस्वरूप वहां 2021-22 के मार्केटिंग सीजन (अगस्त-जुलाई) के दौरान मसूर की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल रहने की संभावना है। अत्यन्त ऊंचे तापमान से मसूर की क्वालिटी प्रभावित होगी और दाने का आकार छोटा रह जाएगा। इससे अच्छे मोटे दाने वाली मसूर की कीमतें में भारी तेजी आ सकती है। फसल की प्रगति ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी है जहां अनुकूल मौसम की सख्त जरुरत है।

हालांकि कृषि मंत्रालय ने अपनी नई रिपोर्ट में कनाडा में अप्रैल माह के अनुमान के मुकाबले मसूर का उत्पादन क्षेत्र एक लाख एकड़ बढ़ने की संभावना व्यक्त की है। मगर फसल की औसत उपज दर में गिरावट आने से कुल उत्पादन गत सीजन के बराबर ही आंका है। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने बाद कनाडा के पश्चिमी भाग में गर्मी और बढ़ गई और खेतों की मिटटी में नमी का भारी अभाव हो गया है।

इससे औसत उपज दर में और भी गिरावट आने की आशंका है। मालूम हो कि कनाडा के पश्चिमी भाग में ही मसूर का सर्वाधिक उत्पादन होता है और सस्कैचवान, अल्बर्टा तथा मनिटोबा इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। भारत कनाडाई मसूर का सबसे बड़ा आयातक है जहां उत्पादन घटने से भाव ऊंचा चल रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार सीमा शुल्क में गत वर्ष की भांति कटौती करके मसूर के आयात को प्रोत्साहित करेगी लेकिन अब तक इसका कोई ठोस संकेत नहीं मिल पाया है। इससे बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।