रेरा और एसीएस यूडीएच चेयरमैन मुकेश शर्मा बोले अभी जरूरत नहीं, एक दो साल बाद बनाएंगे फुल अथॉरिटी
जयपुर| प्रदेश में रियल एस्टेट रेग्यूलेरेटी एक्ट (रेरा) लागू हुए करीब चार महीने हो चुके हैं लेकिन अब तक सरकार ने इसके लिए अलग अपीलीय प्राधिकरण और अथॉरिटी का गठन नहीं किया है। इसका असर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया पर रहा है।
प्रदेश में एक मई से रेरा लागू हो चुका है। एक मई से पहले से निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स को रेरा में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए तीन महीने की छूट दी गई थी जबकि नए प्रोजेक्ट्स में भूमि पूजन का काम भी डवलपर प्रोजेक्ट रजिस्टर करवाने के बाद कर सकता है।
अथॉरिटी के गठन में हो रही देरी को लेकर अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र को छोड़कर अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है। सरकार के पास रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए करीब साढ़े चार सौ आवेदन चुके हैं।
लेकिन डॉक्यूमेंट प्रोसेसिंग में होने वाली देरी से एक महीने में करीब 95 सर्टिफिकेट ही जारी हो पाए हैं। हालांकि डवलपर्स और रेरा अथॉरिटी के अफसरों का कहना है कि आवेदन करने के बाद उनके पास मोबाइल पर मैसेज जाता है जिसके बाद वे अपना काम शुरू कर देते हैं।
रेरा अथॉरिटी में 45 लोगों की नियुक्ति होनी है। इसमें चेयरमैन के अलावा दो सदस्य होंगे। इनके नीचे काम करने के लिए प्लानिंग, आईटी, विधि, वित्त और प्रशासनिक स्टॉफ होगा। इसमेंप्लानिंग में 12 लोग, विधि में 6, वित्त में 12, आईटी में 5 और प्रशासनिक में 14 लोगों की नियुक्ति होगी।
इसके लिए एक बार फाइल वित्त विभाग को भेजी जा चुकी है लेकिन वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति जताकर वापस लौटा दिया। अब अफसरों का कहना है कि अभी जितने अफसर अथॉरिटी में लगा रखे हैं उससे काम चल रहा है इसलिए फिलहाल और नियुक्तियों की जरूरत नहीं है।
रेरा और एसीएस यूडीएच चेयरमैन मुकेश शर्मा का कहना है कि अभी जितने लोग हैं उससे काम चल रहा है। मुझे नहीं लगता कि अभी साल दो साल अथॉरिटी का विस्तार करने की जरूरत है। जब जरूरत होगी तो बढ़ा लेंगे।