नई दिल्ली। सेन्ट्रल जीएसटी दिल्ली नॉर्थ की कमिशनरी ने वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना फर्जी चालान जारी करने के एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो लोगों नवीन मुटरेजा और केशवराम को गिरफ्तार किया है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार पटियाला हाऊस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इन दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
आरोपी 42 फर्जी कंपनियां चला रहे थे, जो धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को आगे बढ़ाने का काम करती थी, जिसके कारण सरकारी खजाने को धोखे से लूटा जा रहा था। धोखाधड़ी से करीब 22 करोड़ रुपये के चालान काटे गये, जिसमें 150 करोड़ रुपए की राशि शामिल थी। दोनों आरोपी दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की फर्जी कंपनियों के जीएसटी पंजीकरण प्राप्त कर लेते थे और इसके लिए असंदिग्ध व्यक्तियों के दस्तावेजों का इस्तेमाल करते थे तथा करोलबाग में एक परिसर से इन कंपनियों के वस्तु रहित चालान और ई-वे बिल तैयार करते थे।
जीएसटी देनदारी पूरा करने के लिए उठाया लाभ
प्रारंभिक जांच के बाद पता चला कि अनियमित कंपनियों की आतंरिक और बाहरी आपूर्तियों के बीच कोई संबंध नहीं था। इन कंपनियों ने अनेक खरीदारों को धोखे से आईटीसी दे दिया था, जिन्होंने बाहरी आपूर्ति के लिए अपनी जीएसटी देनदारी पूरा करने के लिए इसका लाभ उठाया।