नीरव मोदी से जांच डीटेल साझा कर सकता है ब्रिटेन, भारत की बढ़ी टेंशन

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नई दिल्ली। नीरव मोदी केस में यूके का हालिया रुख चिंताजनक है और इससे नीरव मोदी को भारत लाने के प्रयासों को झटका लग सकता है। ब्रिटिश अथॉरिटी ने भारतीय एजेंसियों को सूचित किया है कि भारत द्वारा सौंपे जाने वाले जांच दस्तावेज को नीरव मोदी से साझा किया जा सकता है। इन जांच दस्तावेजों में आमतौर पर जांच का विवरण, साक्ष्य और गवाहों के बयान शामिल होते हैं।

ब्रिटिश अथॉरिटीज ने यह दावा भी किया है कि नीरव मोदी ने पीएनबी घोटाले की 13,578 करोड़ की रकम यूके के बैंकों में जमा नहीं किया होगा। भारतीय जांच एजेंसियों ने यूके के दावे पर नाराजगी जताई है और जांच से संबंधित दस्तावेजों को प्रत्यर्पण के लिए ट्रायल शुरू होने से पहले नीरव मोदी से साझा नहीं करने का आग्रह किया है। अगर यह दस्तावेज नीरव मोदी के साथ साझा किया जाता है तो वह इसे अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकता है और कोर्ट में झूठे तथ्य पेश कर सकता है।

देश की जांच एजेंसियों ने यूके की अथॉरिटीज से नीरव मोदी को गिरफ्तार करने समेत कई और आग्रह किया था। विश्वस्त सूत्रों ने टीओआई को बताया है कि वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में ब्रिटिश सरकार की ओर से सूचनाओं का आदान-प्रदान करने वाली ब्रिटिश एजेंसी यूके सीरियस फ्रॉड ऑफिस  ने एक पत्र लिखकर भारतीय एजेंसियों से पीएनबी घोटाले का डीटेल मांगा था।

एसएफओ ने भारत से पूछा था कि नीरव मोदी ने कितने का घपला किया, भारत में जब्ती की क्या प्रक्रिया है, घपले की कितनी रकम यूके ट्रांसफर की गई और घपले में उसके साथ और कौन लोग शामिल हैं। इसके अलावा एसएफओ ने यह भी बताया कि यूके के कानून में ऐसा प्रावधान है जिसके तहत भारत के आग्रह या पत्र को संदिग्ध (नीरव मोदी) के साथ साझा किया जा सकता है।

घपले की रकम यूके ट्रांसफर करने के मामले में तो एसएफओ ने करीब-करीब नीरव मोदी को क्लीन चिट भी दे दी है। एसएफओ ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि इस खास अपराध (पीएनबी घपला) की आपराधिक रकम को दुबई, हॉन्ग कॉन्ग और यूएई ट्रांसफर किया गया है न कि यूके। क्या आपके पास इस बात का कोई साक्ष्य है कि घपले की रकम को यूनाइटेड किंगडम ट्रांसफर किया गया? अगर ऐसा है तो उसका पूरा विवरण मुहैया कराएं।’

इस मामले में एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘इससे पता चलता है कि इस साल जून से लंदन में छिपे नीरव मोदी के खिलाफ ब्रिटेन कार्रवाई नहीं करना चाहता है। यह भी एक कारण हो सकता है कि करीब एक महीने पहले यूके में उसके मौजूद होने की पुष्टि होने के बावजूद वे नीरव मोदी को हिरासत में नहीं ले रहे हैं।’

यूके की एसएफओ और भारतीय एजेंसियां जैसे सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई), इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) और सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) आपस में नियमित रूप से एक-दूसरे के साथ सूचनाओं को साझा करती हैं। उनके बीच विडियो कॉन्फ्रेंसिंग या विदेश दौरों के दौरान आपस में संवाद भी होता है।

एसएफओ ने विजय माल्या के खिलाफ जांच में भी सीबीआई और ईडी के साथ दस्तावेज साझा किया था। यूके एसएफओ माल्या के मामले में अपने स्तर पर एक स्वतंत्र जांच भी कर रहा है जिसका मकसद यह पता लगाना है कि माल्या ने यूके के माध्यम से अन्य देशों में कितना पैसा ट्रांसफर किया है।