Interest Rates: मुनाफे पर दबाव के कारण बैंक ब्याज दरों में कटौती से सहमत नहीं

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नई दिल्ली। Interest Rates: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बैंकों से ब्याज दरें कम करने की अपील फिलहाल मूर्त रूप लेती नजर नहीं आ रही है। बैंकों का कहना है कि वे इस समय मुनाफे पर दबाव का सामना कर रहे हैं और वे भारतीय रिजर्व बैंक के नकदी को लेकर रुख और नीतिगत कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।

भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) वी टोंस ने संकेत दिया कि ब्याज में कटौती अभी भी कुछ दूर है। उन्होंने कहा कि जमा दरों को लेकर बाजार में अभी भी कुछ आक्रामकता है। साथ ही महंगाई दर (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में वृद्धि ने ब्याज दरों के दृष्टिकोण को प्रभावित किया है।

अक्टूबर, 2024 में महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 6.21 प्रतिशत रही, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा पार कर गई है।

टोंस ने कहा कि उधारी पर ब्याज दर को लेकर भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए बैंक, मौद्रिक नीति को लेकर रुख और नीतिगत दर कार्रवाई पर ध्यान देंगे। टोंस ने कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत करते हुए यह कहा, जो स्टेट बैंक का खुदरा कारोबार और परिचालन का काम देखते हैं।

खुदरा ऋण और छोटी उधारी पर ब्याज दर तय करने के लिए ज्यादातर बैंक नीतिगत रीपो रेट को बाहरी बेंचमार्क मानते हैं। कॉर्पोरेट ऋण, धन की सीमांत लागत पर आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) से जुड़े होते हैं।

अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रुख बदलकर तटस्थ कर दिया था। इससे मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में रीपो रेट में कटौती की उम्मीद बढ़ गई थी।

अक्टूबर में ज्यादा महंगाई दर रहने के नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद धूमिल हुई है। मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच नीतिगत रीपो रेट में 250 आधार अंक की बढ़ोतरी के बाद अब रिजर्व बैंक ने इसे 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।

इस माह की शुरुआत में दूसरी तिमाही के परिणाम के बाद विश्लेषकों से बातचीत में स्टेट बैंक के अधिकारियों ने कहा था कि जमा पर ब्याज दरें शीर्ष पर हैं, लेकिन ऋण पर यील्ड में सुधार होगा, क्योंकि बैंक ने एमसीएलआर दरें बढ़ाई हैं।

सोमवार को एसबीआई कॉन्क्लेव बोलते हुए सीतारमण ने कहा था कि सरकार चाहती है कि उद्योग अपनी क्षमता बढ़ाएं और उन्होंने ऐसे समय में बैंकों से ब्याज दरें कम करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि इस समय उधारी की बहुत ज्यादा दर तनाव पैदा करने वाली है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी ने कहा कि ऋण की दर में कटौती इस वित्त वर्ष के आखिर या अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026) की शुरुआत से संभव है।