त्यहारी सीजन में मजबूत मांग से गेहूं का भाव ऊंचा रहने की उम्मीद

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नई दिल्ली । देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में सीमित आपूर्ति एवं मजबूत मांग के कारण गेहूं का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है और निकट भविष्य में इसमें ज्यादा नरमी आने की संभावना नहीं दिखाई पड़ती है। 2023-24 के सीजन हेतु गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया

जो 2022-23 सीजन के समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए ज्यादा था। अब एक बार फिर 2024-25 सीजन के लिए इसका समर्थन मूल्य 150 रुपए बढ़ाकर 2425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

त्यौहारी सीजन के कारण गेहूं की मांग काफी मजबूत देखी जा रही है। मिलर्स-प्रोसेसर्स को गेहूं की आपूर्ति के लिए थोक मंडियों पर निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएस) के तहत अपने स्टॉक से फिलहाल गेहूं की बिक्री शुरू नहीं करने का निर्णय लिया है।

स्वयं केन्द्रीय पूल में गेहूं का नपा तुला स्टॉक मौजूद है इसलिए सरकार उदार भाव से इसकी बिक्री करने में सक्षम नहीं है। कीमतों में तेजी का यह एक प्रमुख कारण माना जा रहा है क्योंकि सरकार बाजार हस्तक्षेप योजना चालू नहीं कर पाएगी।

वैसे भी उसका मानना है कि गेहूं के दाम में अभी अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी नहीं हुई है और कुछेक मंडियों को अपवाद मानते हुए छोड़ दें तो अधिकांश मार्केट में इसका भाव 2600/2800 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।

स्वयं भारत ब्रांड सरकारी आटे का दाम 275 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए प्रति 10 किलो (30 रुपए किलो) नियत किया गया है। मंडियों में उपलब्धता कमजोर और मांग मजबूत है।

गेहूं पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लागू है जबकि विदेशों से इसके आयात के लिए स्थिति अनुकूल नहीं हैं। क्योंकि इस पर 40 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क लागू है।

जब तक सरकारी गेहूं मिलर्स-प्रोसेसर्स के लिए उपलब्ध नहीं होता है तब तक थोक मंडी भाव मजबूत बना रहेगा। इसमें 50-100 रुपए प्रति क्विंटल का उतार-चढ़ाव आना सामान्य घटना है मगर भारी गिरावट आने की आशंका नजर नहीं आ रही है। फिर भी व्यापारियों-स्टॉकिस्टों एवं उत्पादकों को अपना गेहूं बेचते रहना चाहिए।