बाजार में हाहाकार; सेंसेक्स 1769 अंक टूटा, निवेशकों को 11 लाख करोड़ का नुकसान

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नई दिल्ली। Stock Market Closed: सप्ताह के चौथे दिन गुरुवार को एक बार फिर शेयर बाजार औंधे मुंह गिर गया। वायदा कारोबार की एक्सपायरी के दिन सेंसेक्स और निफ्टी दो-दो फीसदी तक फिसल गए। कारोबारी सत्र के दौरान निवेशकों को करीब 11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। 

शेयर बाजार में कमजोर रुख के बीच 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 1769.19 अंक या 2.10 प्रतिशत की भारी गिरावट लेकर 82,497.10 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में आज 82,434.02 और 83,752.81 के रेंज में कारोबार हुआ।

वहीं, दूसरी तरफ एनएसई निफ्टी 546.80 अंकों या 2.12 प्रतिशत लुढ़ककर 25,250.10 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में आज 25,230.30 और 25,639.45 के रेंज में कारोबार हुआ। निफ्टी ऑटो, निफ्टी एफएमसीजी, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी प्राइवेट बैंक में सबसे ज्यादा गिरावट आई। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में भी 1% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक जैसे बड़े शेयरों में गिरावट और पश्चिम एशिया में इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण गुरुवार को घरेलू शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में 2 प्रतिशत से ज्यादा गिर गए। लगातार चौथे दिन गिरावट के साथ बीएसई सेंसेक्स 1,769.19 अंक या 2.10 प्रतिशत गिरकर 82,497.10 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 1,832.27 अंक या 2.17 प्रतिशत गिरकर 82,434.02 अंक पर आ गया। एनएसई निफ्टी 546.80 अंक या 2.12 प्रतिशत गिरकर 25,250.10 पर आ गया।

विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से लार्सन एंड टूब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एक्सिस बैंक, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, मारुति, बजाज फिनसर्व, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, अदाणी पोर्ट्स और एचडीएफसी बैंक प्रमुख रूप से पिछड़ गए। जेएसडब्ल्यू स्टील एकमात्र लाभ पाने वाली कंपनी रही।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “ईरान की ओर से इस्राइल पर बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने के बाद घरेलू बाजार में भारी गिरावट आ। हालिया घटनाक्रम के बाद इस्राइल के जवाबी कार्रवाई और क्षेत्र युद्ध बढ़ने की आशंका पैदा हो गई।” नायर ने कहा, “एफएंडओ सेगमेंट के लिए सेबी के नए नियमों ने व्यापक बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। अंत में, चीन में आकर्षक मूल्यांकन के साथ, एफआईआई ने अपने फंड को पुनर्निर्देशित किया है, जिससे भारतीय शेयरों पर दबाव बढ़ गया है।”

एशियाई बाजारों में, हांगकांग में गिरावट रही जबकि टोक्यो में बढ़त रही। मुख्य भूमि चीन में अवकाश के कारण सप्ताह के शेष दिनों में बाजार बंद रहेंगे। यूरोपीय बाजारों में ज्यादातर गिरावट देखी गई। बुधवार को अमेरिकी बाजार मामूली बढ़त के साथ बंद हुए।

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 5,579.35 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.37 प्रतिशत बढ़कर 74.91 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। बुधवार को महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहे। मंगलवार को बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक 33.49 अंक या 0.04 प्रतिशत गिरकर 84,266.29 अंक पर बंद हुआ था। निफ्टी भी मामूली 13.95 अंक या 0.05 प्रतिशत गिरकर 25,796.90 अंक पर बंद हुआ था।

बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण

ईरान-इस्राइल के बीच संघर्ष
पश्चिम एशिया में इरान और इस्राइल के बीच बढ़ रहा तनाव दुनियाभर के बाजार के लिए चिंता का कारण है। खबरों के अनुसार ईरान की ओर से हमले के बाद इस्राइली सेना ने दक्षिण लेबनान में अपने आठ सैनिकों के मौत की पुष्टि की है। इनमें एक टीम कमांडर भी शामिल है। ऐसे में आने वाले समय में इस्राइल ईरान, हिजबुल्ला और हमास को घेरने के लिए जवाबी हमले तेज कर सकते हैं। अगर यह स्थिति बनती है तो इसका असर कच्चे के उत्पादन पर पड़ेगा। जिसका असर पूरी दुनिया के बाजार पर पड़ेगा। इन्ही चिंताओं को देखते हुए निवेशक बाजार में नई खरीदारी से बच रहे हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा
पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने लगा है। ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति डॉलर के भाव को पार कर गया है। बेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएड क्रूड भी 72 डॉलर पर पहुंच गया। दोनों ही सूचकांक में पिछले तीन दिनों में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरवट आई। इसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा, क्योंकि भारत एक तेल आयातक देश है और आयात बिल में कच्चे तेल का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

वायदा कारोबार के नियमों का सख्त होना
सेबी ने हाल ही में अपनी बोर्ड की बैठक में वायदा करोबार के नियमों में बदलाव की मंजूरी दी है। बाजार नियामक सेबी की ओर से वायदा व विकल्प (एफएंडओ) सेगमेंट में नियमों को सख्त करने के हाल के फैसले ने भी आज इक्विटी बाजारों में गिरावट में योगदान दिया। विश्लेषकों के अनुसार ये नए उपाय, जिनमें साप्ताहिक समाप्ति को हर एक्सचेंज पर एक दिन करना और अनुबंध आकार बढ़ाना शामिल है, रिटेलर्स को निराश कर सकते हैं। इससे ट्रेडिंग में कमी आ सकती है। व्यापार की गतिशीलता के बारे में इस अनिश्चितता ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी। जिससे व्यापक भू-राजनीतिक तनावों के बीच बाजार में गिरावट का दबाव बढ़ गया।

चीन का असर
चीन के शेयर बाजार में मजबूती से भी भारतीय निवेशक चिंता में हैं। हाल के वर्षों में चीन के शेयर बाजार ने खराब प्रदर्शन किया है। पिछले सप्ताह चीनी सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा के बाद, विश्लेषकों ने चीनी शेयरों में निरंतर वृद्धि की भविष्यवाणी की है। जिससे भारत से पूंजी के बाहर भेजे जाने को बढ़ावा मिल रहा है। एसएसई कंपोजिट इंडेक्स मंगलवार को 8% बढ़ा और पिछले सप्ताह में 15% से अधिक बढ़ा। नतीजतन, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले दो कारोबारी सत्रों में भारतीय इक्विटी से 15,370 करोड़ रुपये निकाले।