मल्टीनेशनल कंपनियों की बिकवाली से तुअर-उड़द कारोबारियों के 3000 करोड़ डूबे

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इंदौर। तुअर और उड़द में बीते दिनों में आई मंदी ने कारोबारियों की नींद उड़ा दी है। अनुमान के मुताबिक देशभर के कारोबारियों को मंदी से तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ है। घाटे का यह आंकड़ा 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच आई मंदी का है।

लेमन तुअर जो जुलाई के पहले सप्ताह तक 121-122 रुपये बिक रही थी 98 रुपये पर आ गई है। उड़द जो 101 रुपये थी वह 85 और जो 82-95 रुपये थी वह अब 80 रुपये के स्तर पर है। जबकि व्यापारियों ने उम्मीद की थी कि लेमन तुअर 140 तक आएगी,उड़द का भी 110 रुपये का बाजार मानकर बैठे थे।

मध्यप्रदेश स्थित इंदौर में तहलन-तिलहन का व्यापार करने वाले कारोबारियों के अनुसार,डेढ़ माह में देशभर के व्यापारियों का करीब तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा हुआ है। सबसे ज्यादा वे व्यापारी परेशानी है जिन्होंने फारवर्ड सौदे किए थे। ऐसे व्यापारी अब घाटा खाकर कंटेनरों को निकाल रहे हैं।

इस बीच कुछ व्यापारियों ने बीच में हाथ खड़े कर दिए हैं। दलाल माल के एडजस्टमेंट में लगे हैं। तुअर में अपेक्षा के उलट आई मंदी के पीछे अफ्रीकी देशों और मल्टीनेशनल कंपनियों की बिकवाली जिम्मेदार है। जबकि उड़द में आमना रुपी मंदी से बाजार प्रभावित हुआ है। दोनों दलहनों के सौदों में उलझने वाले ज्यादातर छोटे-मध्यम स्टाकिस्ट है। जबकि बड़ी कंपनियों पहले अच्छे दामों की बिकवाली कर फिर से कम दामों में माल पकड़ लिया है।

इधर बाजार में बेसन और चना दाल में उपभोक्ता पूछताछ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इसके चलते फिर से तेजी का वातावरण बनने लगा है। व्यापारियों का कहना है कि आगे और तेजी आ सकती है। दीपावली से पहले चना कांटा 8000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। मसूर दाल मे मांग कमजोर रहने से इसके दाम धीरे-धीरे नीचे आ रहे है।