जीवन की गति धीमी हो परन्तु, दिशा सही होनी चाहिए: आदित्य सागर महाराज

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कोटा। चंद्र प्रभु दिगंबर जैन समाज समिति की ओर से आदित्य सागर मुनिराज संघ का भव्य चातुर्मास जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में मनाया गया। अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में आदित्य सागर मुनिराज ने अपने ज्ञान की वर्षा भक्तों पर की।

गुरुदेव ने अपने नीति प्रवचन में कहा कि व्यक्ति इस जीवन का उद्देश्य भूल बैठा है। उसे जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य पता नहीं और ऐसा जीवन किसी काम का नहीं होता है। हमेशा सही दिशा बोध रखें। उन्होंने कहा कि हर साल/माह/मिनट तक का हमें मैनेजमेंट करना आना चाहिए। जीवन की दिशा व गति सही हो इसका हमें ख्याल रखना है, कितने लोग आपका साथ दे रहे हैं इस बात पर ध्यान नहीं रखना है।

उन्होंने कहा कि जब दिशा व गति सही होगी तो सफलता मिलेगी और लोग आपसे जुड़ जाएंगे। उन्होंने उदाहरण स्वरूप कहा कि जिस शेयर की कीमत 10 रुपये होती है, उसे कोई लेने नहीं आता है, परन्तु जब वह 500 रुपये के पार जाता है तो उसे लेने की होड़ मच जाती है। ऐसे ही आप अपने जीवन रूपी शेयर की कीमत बढ़ाओ तो लोग अपने आप जुड़ जाएंगे। दुनिया उगते हुए सूरज को सलाम करती है।

आदित्य सागर ने कहा कि जीवन में गति से अधिक दिशा का महत्व है। धीरे चलकर सही दिशा में मंजिल पाने में देरी लग सकती है परन्तु गति तेज है और दिशा गलत पकड़ ली तो मंजिल कभी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि व्यापार हो या व्यवहार आपकी दिशा सही होनी चाहिए। जीवन के हर कार्य में दिशा सही रखें।

उन्होंने कहा कि झाड़ू न करने पर घर में धूल व जाले हो जाते हैं। ऐसे ही प्रभु आराधना न करने पर कर्मों में धूल पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि जीवन में पढ़ाई, शादी, व्यापार व व्यवहार हर चीज की दिशा सही होनी चाहिए। उन्होंने कहा किसी से व्यवहार बनाया हो तो बार-बार मत बदलना उसे निभाना वरना लोग आप पर भरोसा नहीं कर सकेंगे। इसलिए जीवन की दिशा सही रखोगे तो दशा सही होगी।