एथनॉल बनाने में उपयोग बढ़ने से मक्का के भाव मजबूत रहने का अनुमान

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मुम्बई। 2022-24 के सीजन का एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है। 30 जून 2024 तक तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को जितने एथनॉल की आपूर्ति की गई उसमें आधा से अधिक एथनॉल मक्का एवं क्षतिग्रस्त खाद्यान्न (टूटे चावल) से बना हुआ था

और गन्ना से निर्मित एथनॉल की भागीदारी 50 प्रतिशत से कम रही थी.ऐसा पहली बार हुआ है। इससे पूर्व मक्का एवं खाद्यान्न से निर्मित एथनॉल की भागीदारी 2022-23 में 27.1 प्रतिशत, 2021-22 में 16.7 प्रतिशत, 2020-21 में 13.6 प्रतिशत, 2019-20 में 9.2 प्रतिशत, 2018-19 में 5 प्रतिशत तथा 2017-18 के मार्केटिंग सीजन में शून्य प्रतिशत रही थी।

2023-24 के मार्केटिंग सीजन में योगदान का समीकरण बदलने के दो प्रमुख कारण माने जाते हैं। पहली बात तो यह है कि सरकार ने एथनॉल निर्माण में केवल 17 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना के उपयोग की अनुमति प्रदान की जिससे स्वाभाविक रूप से एथनॉल का उत्पादन घट गया।

दूसरा कारण यह है कि एथनॉल के उत्पादन में मक्का का इस्तेमाल तेजी से बढ़ गया और खाद्यान्न पर आधारित डिस्टीलरीज ने भरपूर मात्रा में इसका इस्तेमाल किया।

एथनॉल निर्माण में इस्तेमाल बढ़ने से मक्का की कीमतों में तेजी मजबूती का माहौल बना हुआ है। पहले कुल घरेलू उत्पादन के 60 प्रतिशत मक्का का उपयोग पॉल्ट्री फीड एवं पशु आहार निर्माण उद्योग द्वारा तथा करीब 70-72 लाख टन का इस्तेमाल स्टार्च निर्माण उद्योग द्वारा किया जाता था।

इसके अलावा प्रत्यक्ष खाद्य उद्देश्य और निर्यात उद्देश्य में भी मक्का की खपत होती थी। लेकिन अब एथनॉल निर्माण उद्योग ने इसमें धमाकेदार प्रवेश किया है जिससे मक्का का भाव आगे भी ऊंचा और तेज रह सकता है।