कोटा संभाग में वर्षा-ओलावृष्टि थमी पर किसानों की मुसीबतों का दौर नहीं

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा संभाग में वर्षा का दौर तो थम गया है लेकिन इससे प्रभावित किसानों की मुसीबतों के थमने का नाम नही ले रही है। असमय हुई इस बरसात के कारण समूचे कोटा संभाग में रबी की फसल को व्यापक पैमाने पर हुये इस नुकसान का सरकारी स्तर पर आकलन कब होगा, यह तो अभी तय नहीं हो पाया है।

लेकिन किसानों पर एक नई जिम्मेदारी फसल की खराबी के बारे में सूचना बीमा कंपनी को देने की आ गई है और यह किसानों की आम शिकायत है कि बीमा कंपनी के फोन नहीं मिलने के कारण वह समय रहते सूचना देने में असमर्थ हो रहे है। हालांकि मोटे तौर पर कृषि विभाग ने कोटा संभाग में कुल 67338 हेक्टर की फसल नुकसान होने की आशंका जताई है।

कृषि विभाग के अनुसार गेहूं में 8. 88, जौ में 27.6, चना में 4.5, सरसों में 2.16, मसूर में 6.58 कुल 5.52 प्रतिशत नुकसान का अनुमान है। रबी के कृषि सत्र में फसलों की कटाई के ऎन मौके पर अचानक हुई इस बेमौसम बरसात ने हाडोती अंचल के चारों जिलों के किसानों की अच्छी फसल की उम्मीद पर पानी सा फ़ेर दिया है। रही सही कसर बरसात के साथ पड़े ओलों और तेज हवाओं ने पूरी कर दी, जिसके चलते फसलें जमीन पर पसर सी गई हैं।

कई जगह तो स्थिति इतनी नाजुक हुई है कि तेज बारिश के कारण फसलों को पानी और हवा के दबाव ने लगभग जमींदोज कर दिया है, जिसके कारण वे फसलें अब किसानों के लिए लगभग अनुपयोगी सी हो गई है। वैसे तो कोटा संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ में रबी के इस कृषि क्षेत्र की लगभग सभी फसलों को नुकसान ही हुआ है।

लेकिन हाडेती अंचल की सबसे मुख्य उपज मानी जाने वाली सरसों सहित गेहूं की फ़सल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इसके अलावा धनिया, चना, जौ, तारामीरा और दलहनी फसल मसूर सहित मसाला फसल लहसुन को भी काफी क्षति पहुंची है। जिसकी भरपाई कर पाना किसानों के लिए बहुत मुश्किल हो जाने वाला है।

इस बेमौसम की बरसात ने किसानों की फसलों को तो चौपट किया ही है साथ ही सब्जी उत्पादक किसानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। क्योंकि उनकी बाड़ियों-खेतों में उगी सब्जियों पर के उत्पादन पर बरसात और ओलावृष्टि का बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है। कई जगह तो बरसात के कारण कुछ सब्जियां गल कर पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं।

शहरी क्षेत्रों के आसपास के सब्जी उत्पादक किसान जब-जब भी पिछले सप्ताह के दौरान अपनी सब्जियों को बेचने लेकर वे नजदीकी शहरी इलाकों की मंडियों में पहुंचे तो बरसात के कारण उनकी फसलें मंडियों तक में पहुंचने के बाद भी नष्ट हुई और उन्हें ओने-पौने दामों में अपनी सब्जियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।

मोटे-मोटे अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बीते रबी कृषि सत्र में हाडोती अंचल में 14.18 लाख हेक्टेयर के लगभग की जमीन में फसलों की बुवाई की गई थी और समूचे रबी कृषि सत्र के दौरान मौसम के लिहाज से पूरा सत्र अच्छा बीता था। चंबल की दांई और बांई दोनों मुख्य नहरों से सिंचित होने वाले बूंदी, कोटा, बारां जिलों में नहरों से सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिला था।

संभाग के अन्य गैर नहरी इलाकों में भी बीते बरसात के मौसम में पर्याप्त वर्षा होने के कारण भूमिगत जल स्तर ऊंचा होने से ट्यूबवैल सहित कुओं जैसे परम्परागत सिंचाई के संसाधनों एवं लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के जरिए किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने से किसान यह आस लगाए बैठे थे कि इस रबी कृषि सत्र में अच्छी पैदावार होगी जिसके कारण वह अपने लिए कुछ मुनाफे की उम्मीद रख सकते हैं। लेकिन बीते सप्ताह हुई बेमौसम बरसात ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

कोटा संभाग के किसान इस बेमौसम बरसात के बाद अब फसल खराबे के बारे में समय रहते इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करने के लिए परेशान हो रहे हैं। कृषि विभाग ने तो यह कह कर अपना पल्ला पहले ही झाड़ लिया है, कि किसान अपने खराबे के बारे में 72 घंटे में संबंधित इंश्योरेंस कंपनी को उनकी हेल्प लाइन नंबर पर सूचित करें। किसानों के लिए दिक्कत यह आ रही है कि जो हेल्पलाइन नंबर आमतौर पर उन्हें उपलब्ध करवाए हुए हैं। उन पर कोई उनकी कॉल को सुनने वाला नहीं है।

बार-बार प्रयास के बाद भी कई मामलों में किसान अपनी शिकायतें तक दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं। यह मसला इतना गंभीर रूप ले चुका है कि इसको विधानसभा तक में भी विधायकों ने उठाया है। किसानों का सरकार से इस बात पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह रहा है कि वह किसानों के लिये अपनी फ़सल खराबे के बारे में संबंधित इंश्योरेंस कंपनी तक सूचना पहुंचाना सुनिश्चित करें।