नई दिल्ली।एलआईसी आईपीओ को लेकर सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी में विनिवेश को सुगम बनाने को लेकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में बदलाव किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में ऑटोमैटिक रूट के तहत 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। समाचार एजेंसी ने बताया कि विनिवेश की सुविधा के लिए एलआईसी को 20 प्रतिशत तक एफडीओ की अनुमति दी गई है।
सेबी के नियम
बाजार नियामक सेबी के नियमों के अनुसार, सार्वजनिक निर्गम पेशकश के तहत एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) और एफडीआई दोनों की अनुमति है। चूंकि एलआईसी अधिनियम में विदेशी निवेश के लिये कोई प्रावधान नहीं है, अत: विदेशी निवेशक भागीदारी के संबंध में प्रस्तावित एलआईसी आईपीओ को सेबी के मानदंडों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। मंत्रिमंडल ने पिछले साल जुलाई में एलआई के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम को मंजूरी दी थी। इस निर्गम के लिए एलआईसी ने बाजार नियामक सेबी के समक्ष आवेदन किया हुआ है।
एलआईसी आईपीओ के बारे में
बता दें कि यह दुनिया में किसी बीमा कंपनी का तीसरा सबसे बड़ा आईपीओ है। एसबीआई कैपिटल्स, सिटी ग्रुप, नोमुरा, जेपी मॉर्गन और Goldman Sachs सहित पांच अन्य घरेलू व वैश्विक इन्वेस्टमेंट बैंक इस आईपीओ के लिए बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (bookrunning lead managers) हैं। LIC आईपीओ का पांच फीसद हिस्सा कर्मचारियों और 10 फीसद बीमाधारकों के लिए रिजर्व रखा गया है। एलआईसी आईपीओ का कुल 35 फीसद हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए है। यानी जिनके पास एलआईसी का बीमा है, वह अधिकतम चार लाख रुपये तक के शेयरों के लिए बोली लगा सकता है। वह पॉलिसीहोल्डर और रिटेल कैटगरी में बोली लगा सकता है।