Wednesday, October 9, 2024
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ट्रांसपोर्ट कारोबार में टैक्स चोरी का खेल

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नई दिल्ली। ई-वे बिल प्रणाली के कार्यान्वयन में विलंब और कुछ राज्यों की तरफ से उठाये गए कदमों से उपजे असमंजस से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की पुरानी बुराइयां फिर से उभरने लगी हैं। ई-वे बिल की चिंता न होने से जहां व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों ने कर चोरी वाले माल की बुकिंग व ढुलाई का कारोबार फिर शुरू कर दिया है।

वहीं, प्रवर्तन एजेंसियों ने राजस्व के नुकसान के डर से ट्रकों पर छापेमारी तेज कर दी है। इससे जीएसटी लागू होने से ट्रकों के ट्रांजिट टाइम में जो कमी आई थी उसमें फिर से इजाफा होने लगा है। विशेषज्ञों ने इस प्रवृत्ति को जीएसटी के लिए खतरनाक बताते हुए सरकार से ई-वे बिल की अड़चनों को जल्द से जल्द दूर करने की अपील की है।

केंद्र सरकार ने भले ही ई वे बिल प्रणाली को दो महीने में लागू करने का भरोसा दिया हो। लेकिन इससे उन व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों की बांछें खिल गई हैं जो कच्चे पर्चे पर माल की बुकिंग करते हैं। जीएसटी से पहले ज्यादातर व्यापारी और ट्रांसपोर्टर (गुड्स बुकिंग एजेंट) कच्चे पर्चे वाले माल की बुकिंग और ढुलाई करने के आदी थे।

इस प्रक्रिया में टैक्स की जमकर चोरी होती थी, जिसका लाभ दोनों पक्षों को मिलता था। प्रवर्तन एजेंसियों के पास इस नापाक गठजोड़ को तोड़ने का कोई ठोस तंत्र नहीं था क्योंकि अधिकांश ट्रांसपोर्टर गैर-पंजीकृत थे और उनके लेनदेन में कोई पारदर्शिता नहीं थी।

कैसे होती है टैक्स चोरी
एक ट्रक में दोनों तरह का माल लादा जाता था। यानी ट्रक में कच्चे और पक्के पर्चे का माल एक साथ लादा जाता था। कच्चे पर्चे वाला माल टैक्स चोरी करके ले जाया जाता था। इस पर भाड़ा कई गुना ज्यादा लगता था। दूसरा वह माल जिसका पक्का पर्चा होता था, जिस पर टैक्स की पूरी अदायगी होती थी। इस पर सामान्य किराया लगता था

जीएसटी से इस खेल के खत्म होने की उम्मीद पैदा हो गई थी। परंतु ईवे बिल की अड़चन ने इस पर फिलहाल पानी फेर दिया है। इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड टेनिंग के अनुसार एक जुलाई से 15 जुलाई के दौरान राजमार्गो पर ट्रकों की संख्या घटकर आधी रह गई थी तथा ट्रकों का ट्रांजिट टाइम 30 प्रतिशत घट गया था।

परंतु अब प्रवर्तन एजेंसियों ने कर चोरी रोकने के लिए ट्रकों पर छापेमारी बढ़ा दी थी। फलत: व्यापारियों ने ट्रांसपोर्टरों ने माल बुक कराना ही बंद कर दिया था। 15 जुलाई तक ज्यादातर जगहों पर कमोबेश यही हालात थे। परंतु 15 जुलाई के बाद स्थिति बदल गई है। ट्रांसपोर्टरों व व्यापारियों ने फिर से बिना दस्तावेजी माल की बुकिंग व ढुलाई शुरू कर दी है।

 

ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने में दिक्कत, सर्वर डाउन

नई दिल्ली। आईटीआर फाइल करने का अंतिम दिन 31 जुलाई 2017 है। इस बीच ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने के लिए इनकम टैक्स विभाग की साइट  https://incometaxindiaefiling.gov.in शनिवार दोपहर से खुल नहीं रही है, और रिटर्न फाइल करने की कोशिश कर रहे आयकरदाताओं को लगातार उस पेज पर एरर दिखाई दे रहा है। 

कुछ आयकर दाताओं को HTTP Server Error 503 का मैसेज मिल रहा है, ऐसे में कई करदाता आईटीआर फाइल करने के लिए परेशान रहे। 

दो फॉर्म 16 होने पर ऐसे दाखिल करें इनकम टैक्स रिटर्न
सावधान: टैक्स रिटर्न में नहीं दी पूरी जानकारी तो आयकर विभाग खंगालेगा फेसबुक खाता
यदि आप पहले कुछ सालों से ही आईटीआर भरते आ रहे हैं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन जो लोग पहली बार आरटीआर भरने जा रहे हैं उन्हें इसे लेकर कुछ उलझन जरूर होगी।

हम आपको आईटीआर से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं जो आपकी इस उलझन को कम करने में मददगार साबित होगा। आईटीआर फॉर्म मुख्यत: पांच प्रकार का होता है, जिसमें आपको अपने प्रोफेशन के लिहाज से एक ही फॉर्म भरना होता है। आगे जानें पांचों आईटीआर फॉर्म्स के बारे में –

1- एक्सपर्ट्स के मुताबिक नौकरी करने वाले लोगों को ITR-1 सहज फॉर्म ही भरना है। यह फॉर्म उन लोगों कें लिए जरूरी होता है जिनकी सालाना इनकम 2.5 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक है और इनकम का स्रोत सैलरी या एक घर, या जमा पूंजी पर मिलने वाली ब्याज है।

2- वहीं ITR-2 ऐसे व्यक्ति और संयुक्त हिंदू परिवार के लिए है जिनकी आय का साधन कोई बिजनेस या प्रोफेशन की बजाए प्रोपेराइटरशिप है।

3- ITR-3 फॉर्म ऐसे लोगों को भरना है जिनकी इनकम प्रोपरेटरी बिजनेस या किसी प्रोफेशन से हो रही है।

4- फॉर्म ITR-4 उन लोगों को भरना है कि जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से प्रिजंपटिव इनकम हो रही है। उदाहरण के लिए किसी के पास 40 डंपर हैं वह बुक ऑफ एकाउंट मेंटेन करने की बजाए एक निर्धारित रकम डिक्लेयर कर देता है, इससे अकाउंट मेंटेन करने से राहत मिल जाती है।

5- फॉर्म ITR-5 किसी फर्म, एलएलपी, एसोसिएशन ऑफ परसन, बॉडी ऑफ इंडीविजुअल, कोऑपरेटिव सोसाइटी और स्‍थानीय अथॉरिटी को भरना होता है। वहीं ITR-6 और ITR-7 बड़ी कंपनियों या कंपनी के समूहों के लिए होते हैं।

4 स्टेप में ऑनलाइन भरें अपना फॉर्म
1- सबसे पहले आप इनकम टैक विभाग की https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर जाएं। पहले से इस साइट के यूजर हैं तो लॉगइन करें या फिर न्यू रजिस्ट्रेशन टैब पर क्लिक कर खुद को रजिस्टर कर यूजर आईडी जनरेट करें।

2- साइट पर लॉगइन करने के यूजर आईडी, पासवर्ड, डेट ऑफ बर्थ, पर कैप्चा कोड दर्ज करें। इसके बाद आपका एकाउंट डैशबोर्ड खुलेगा। ई-फाइल टैब पर क्लिक करें इसके बाद प्रिपेयर एंड सब्मिट आईटीआर में क्लिक कर अपना आईटीआर भरें।

3- यहां पर आपको आधार नंबर, पैन नंबर आदि की जानकारियां साझा करनी होंगी। यहां आपको डिजिटल साइन का ऑप्शन भी दिखेगा। इसके लिए आप पहले से अपने डिजिटल साइन की कॉपी रख सकते हैं जिसे कभी यहां अपलोड किया जा सके। साइन अपलोड करने बाद जब आप सब्मिट का बटन क्लिक करेंगे तो आप आईटीआर फॉर्म वाले सेक्शन पर पहुंच जाएंगे।

4- फॉर्म के शुरू में ही कुछ सामान्य निर्देश दिए होतें हैं जिन्हें पढ़कर आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपको कहां पर क्या सूचना देनी है। इसके बाद आप फॉर्म में अपने इनकम से जुड़ी जानकारियां साझा करें। फॉर्म पूरा होने के बाद उसे एक बार ध्यान से पढ़ें और फिर सब्मिट बटन क्लिक कर फॉर्म को जमा करें।

RBI सस्ते होम लोन का तोहफा दे सकता है अगस्त से

मुंबई।  करोड़ो होम अथवा कार लोन लिए कस्टमर्स को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 2 अगस्त को सस्ते कर्ज का तोहफा दे सकता है। थोक व खुदरा महंगाई दर में कमी के कारण आरबीई पर रेपो रेट में कमी करने का दबाव बढ़ गया है। 
मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ब्याज दरों में आधा फीसदी तक की कटौती कर सकते हैं।

अगर ऐसा हुआ तो फिर 20 साल के लिए 30 लाख रुपये के होम लोन पर 2.28 लाख रुपये की कमी आ सकती है। फाइनेंशियल सर्विसेज उपलब्‍ध कराने वाली कंपनी HSBC की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर 4 फीसदी के सामान्‍य स्‍तर पर आ गई है। 

0.25 फीसदी कमी पर इतना होगा होगा होम लोन
बुधवार को अगर आरबीआई होम लोन के रेट में 0.25 फीसदी की कमी करता है तो फिर 8.25 फीसदी की दर से 30 लाख रुपये के लोन पर केवल 31लाख 34 हजार 873 रुपये देने होंगे। वहीं अभी 8.5 फीसदी की दर से होम लोन की ईएमआई पर 32 लाख 48 हजार 327 रुपये देने पड़ रहे हैं। इस हिसाब से पूरे लोन पर 1.14 लाख रुपये की सेविंग होगी। 

भारत डिजिटल पेमेंट के मामले में अग्रणी देश बना

मुंबई। डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत मजबूती से उभरा है और उसने इस मामले में भारी संभावनाएं दर्शाई हैं। डिजिटल इवोल्यूशन इंडेक्स 2017 के अनुसार भारत की गिनती उन 60 देशों की ब्रेक आउट श्रेणी में हुई है, जिसमें किसी देश का डिजिटल विकास का स्तर काफी नीचे होने के बावजूद विकास की व्यापक संभावनाएं हैं।

अमेरिका की टुफ्ट्स यूनिवर्सिटी के फ्लेचर स्कूल ने मास्टर कार्ड के सहयोग से डिजिटल इवोल्यूशन इंडेक्स 2017 तैयार किया है। इस इंडेक्स में तमाम देशों में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए हुई प्रगति और आम लोगों को इससे जोड़ने के प्रयासों पर व्यापक अध्ययन किया गया है।

मास्टर कार्ड के अनुसार भारत में नोटबंदी के फैसले के कारण बने माहौल ने डिजिटल पेमेंट की दिशा में खासी बढ़त के लिए आधार तैयार किया। आज भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग दैनिक जीवन में डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं। इसके कारण तेज प्रगति दर्ज की गई है।

मास्टर कार्ड के कंट्री कॉरपोरेट ऑफिसर व प्रेसीडेंट (साउथ एशिया) पौरुष सिंह ने कहा कि भारतीय बाजार में नई कंपनियां आ रही हैं और वैकल्पिक भुगतान के तमाम समाधान सामने आ रहे हैं। इससे तेज विकास के लिए माहौल बन रहा है। आज दुनिया में करीब आधी आबादी ऑनलाइन है, स्टडी में 60 देशों में अच्छी प्रगति दिखाई दी है।

इन देशों में डिजिटल आर्थिक विकास के लिए प्रतिस्पर्धा का माहौल है और काफी संभावनाएं हैं। इंडेक्स में सप्लाई, उपभोक्ता मांग, संस्थागत माहौल और इनोवेशन पर देशों का आंकलन किया गया है।

फिनटेक सॉफ्टवेयर मार्केट 91 हजार करोड़ का होगा
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि डिजिटल पेमेंट का विस्तार होने के कारण अगले तीन साल में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी सॉफ्टवेयर सर्विस मार्केट 14 अरब डॉलर (91000 करोड़ रुपये) का हो जाएगा।

इस समय 600 से ज्यादा स्टार्टअप्स कर्ज वितरण, भुगतान, बीमा और ट्रेडिंग में लगे हैं। इस समय इस सेक्टर का कुल बाजार करीब आठ अरब डॉलर का है।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट का तेजी से विकास हुआ है। वर्ष 2016-17 में डिजिटल पेमेंट बीते वर्ष के मुकाबले 55 फीसद बढ़ गया। पिछले पांच वर्षों में औसत विकास दर 28 फीसद रही।

CII के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस दौरान डेबिट कार्ड 104 फीसद, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट 163 फीसद और पीओएस यानी स्वाइप मशीनों का इस्तेमाल 83 फीसद बढ़ गया। उन्होंने कहा कि नकदी से लेनदेन काफी महंगा पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक को हर साल करेंसी प्रचलन पर करीब 21000 करोड़ रुपये का खर्च करना होता है।

आयकर रिटर्न की आखिरी तारीख बढ़ाने से सीबीडीटी का इंकार

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समय अवधि को आगे बढ़ाने के मना कर दिया है। शनिवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से स्पष्ट किया गया है। सीबीडीटी ने कहा है कि सभी टैक्सपेयर्स समय पर रिटर्न फाइल कर दें। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है।

एक जुलाई से देशभर में वस्तु एऴं सेवाकर व्यवस्था लागू हो गई है। कुछ व्यापारी संगठनों के साथ सीए (चार्टेड एकाउटेंट) सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह अभी जीएसटी में उलझे हुए हैं। इस कारण आयकर रिटर्न फाइल करने का समय नहीं मिल पा रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने की मियाद को 31 जुलाई से आगे बढ़ाया जाए।

लेकिन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तारीख को लेकर स्पष्टता आने के बाद से यह साफ हो गया है कि सरकार की फिलहाल तारीख आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। मसलन, इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए केवल दो दिन शेष हैं। 

 

जीएसटी लगने से एक्सपोर्टर्स की राह और आसान, देखिए वीडियो

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कोटा। एक्सपोर्ट पर जीएसटी लगने से एक्सपोर्टर्स की राह और आसान हो गई है। जिनका वैट के समय इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता था, अब वह भी जीएसटी में मिल जायेगा। यह मानना है युवा एक्सपोर्टर उत्कर्ष कालानी का।

एक्सपोर्ट पर जीएसटी का असर जानने के लिए हमारे चैनल LEN-DEN NEWS ने सेंड स्टोन के युवा एक्सपोर्टर उत्कर्ष से बातचीत की। जीएसटी को लेकर वह क्या सोचते हैं ? यह जानने के लिए आइये देखिये वीडियो –

जीएसटी में MSME सेक्टर की अनदेखी, देखिये वीडियो

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कोटा। जीएसटी कॉन्सेप्ट अच्छा है। परतु सरकार ने इसे लागू करने से पहले MSME सेक्टर को अनदेखा कर दिया। लघु उद्योगों को बड़े उद्योगों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है। यह कहना है लघु उद्योग काउन्सिल ऑफ़ कोटा के प्रेसिडेंट LC BAHETI का। 

बाहेती ने हमारे चैनल LEN-DEN NEWS के साथ बातचीत में बताया कि जो टैक्स की दरें बड़े उद्योगों के लिये है, वही छोटे उद्योगों के लिए है। ऐसे में लघु उद्योग कैसे बड़े उद्योगों के सामने टिक पाएंगे।आइये लघु उद्यमियों की पीड़ा जानने के लिए देखिये यह वीडियो —-

पीएफ पेंशनधारकों को मिल सकता है मेडिकल बेनिफिट

नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सभी पेंशनधारकों के लिए मेडिकल बेनिफिट की एक स्कीम लेकर आ रही है, बशर्ते उन पेंशनधारकों का एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) का मेंबर होना जरूरी है। साथ ही सरकार एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय कमिटी भी बनाने की बात कर रही है।

केंद्रीय मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी देते हुए बताया, ‘कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के साथ मिलकर हम उन पेंशनधारकों के लिए एक मेडिकल बेनिफिट स्कीम ला रहे हैं जो ईपीएफ के मेंबर हैं।’ इसके अलावा उन्होंने बताया कि यह एक अंशदायी चिकित्सा लाभ योजना है, इस पर विस्तार से काम किया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैंने निर्देश दिया है कि ईपीएस 1995 का पूरा मूल्यांकन किया जाए, अगर कोई कमी है तो उसे दूर किया जाए।’ दत्तात्रेय ने आरपीएस मेंबर एनके प्रेमाचंद्रन के सवाल के जवाब में ये बातें कहीं। प्रेमाचंद्रन ने ईपीएस स्कीम के तहत 59 लाख पेंशनधारकों के कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ाने को कहा था।

प्रेमाचंद्रन ने ईपीएस स्कीम के तहत पेंशन 1,000 रुपये से 3,000 रुपये करने के लिए कहा। उन्होंने बगैर क्लेम किए गए 27,000 करोड़ रुपये के प्रोविडेंट फंड का उपयोग करके पेंशनधारकों के लिए आवासीय योजना जैसी कल्याणकारी स्कीमों के क्रियान्वयन की बात भी कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईपीएफ ग्राहकों के लिए ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ स्कीम लॉन्च की है।

राजस्थान में अब कॉलेज से बंक नहीं मार सकेंगे छात्र, लगेगी बायॉमीट्रिक अटेंडेंस

जयपुर। राजस्थान के उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज बंक करने वाले छात्रों को सबक सिखाने की तैयारी कर ली है। बुधवार को कॉलेजों में बायॉमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाने का आदेश डिविजनल हेडक्वॉर्ट्स को दिया गया।

साथ ही यह नियम निर्धारित किया गया है कि कॉलेज के प्रफेसर भी दिन में 2 बार कॉलेज प्रवेश और कॉलेज से जाते वक्त उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होगी। इस वक्त कॉलेज में प्रफेसर सिर्फ एंट्री के वक्त ही बायॉमीट्रिक अटेंडेंस में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा, ‘भरतपुर में जब मैं अभी हाल ही में दौरे पर गई थी, उस वक्त मुझे कुछ स्टूडेंट्स ने ही बायॉमीट्रिक अटेंडेंस का सुझाव दिया था। मुझे यह सुझाव बहुत सकारात्मक लगा।

बुधवार को विभागीय बैठक में हमने इस सुझाव पर चर्चा की और फिर प्रस्ताव को पास कर दिया गया।’ शिक्षा मंत्री कहती हैं, ‘पहले हमारी योजना थी कि सुझाव भरतपुर से आया है तो इसे वहीं पर लागू किया जाए।

हालांकि, बाद में हमने सोचा कि यह एक सकारात्मक सुझाव है और कॉलेज बंक करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने में कामयाब हो सकती है। इन सभी पक्षों पर विचार करने के बाद ही इस प्रक्रिया को पूरे राज्य में इसी अकैडमिक सेशन से लागू करने का फैसला कर लिया गया।’