जेब में पैसा रखना सही है, परन्तु दिमाग में नहीं: आदित्य सागर महाराज

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कोटा। दिगंबर जैन मंदिर त्रिकाल चौबीसी आरकेपुरम में आदित्य सागर मुनिराज संघ ने भव्य चातुर्मास के अवसर पर नीति प्रवचन में कहा कि वास्तविक योग्यता केवल ज्ञान और कौशल में नहीं, बल्कि सरलता और विनम्रता में ही निहित होती है। आपकी सरलता से ही योग्यता आती है। उन्होंने योग्यता और सरलता के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि योग्यताओं के अनुसार कार्य करना और चित्त की शांति बनाए रखना आवश्यक है।

उन्होंने कहा हम सबको ज्ञात है कि ईश्वर ने शरीर साधना और प्रभु प्राप्ति के लिए दिया है। योग्यता न होने से हम इससे दूर जा रहे हैं और कर्मों और आमोद-प्रमोद में रहकर जीवन के उद्देश्य को भूल बैठे हैं। उन्होंने कहा कि सरलता व योग्यता का तालमेल आपको कोहिनूर बना देता है। जिन व्यक्तियों में यह गुण होता है, वे दुनिया से अलग चमकते हैं।

परन्तु आजकल योग्यता आते ही सरलता चली जाती है। मनुष्य के दुखी होने का एक कारण यह भी है कि वह योग्यता के अनुरूप व सरलता के साथ कार्य नहीं करता है। उन्होंने कहा देव, शास्त्र व गुरु की बात हो, वहां दान अवश्य देना चाहिए। धन का दान योग्यता देकर देना और जेब में पैसा रखना सही है, परन्तु दिमाग में पैसा नहीं रखना चाहिए। क्योंकि यदि दिमाग में पैसा है, तो वह व्यक्ति सबसे गरीब है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मनुष्य जीवन में कई योग्यताएं दी हैं। उन्हें सरलता से जोड़े और मोक्ष मार्ग की ओर चलें। उन्होंने कहा कि योग्यता व सरलता सीखनी है तो राम के जीवन से सीखें। राम का जीवन योग्यता व सरलता का उदाहरण है। रावण योग्यता व कठिनाई का उदाहरण है। भारत देश में योग्यता व सरलता है, परन्तु हमें यह भी ध्यान रखना है कि सरलताओं का कोई दुरुपयोग न कर पाए।

इस अवसर पर सकल समाज के कार्याध्यक्ष जे के जैन, मंत्री विनोद जैन टोरडी, चातुर्मास समिति से टीकम पाटनी, पारस बज, राजेंद्र गोधा, संजय सांवला, पारस कासलीवाल आरकेपुरम मंदिर समिति से अंकित जैन, अनुज जैन सहित कई लोग उपस्थित रहे।