Wednesday, October 9, 2024
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निजी कंपनियां पक्की नौकरी दें तो सरकार भरेगी कर्मचारियों का पीएफ

नई दिल्ली। हर साल दो करोड़ नई नौकरियां देने के वादे के साथ केंद्र की मोदी सरकार सत्ता में आई थी। फिलहाल इस मोर्चे पर सरकार को कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी है। अब नौकरियां बढ़ाने के लिए सरकार कई अहम फैसले लेने जा रही है।

इनमें से पहला यह है कि अगर कोई कंपनी युवाओं को ज्यादा परमानेंट नौकरी देगी तो उनके पीएफ में कंपनी की तरफ से जो भी योगदान होगा, वह सरकार ही 2 साल तक देगी। यह प्रस्ताव श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को भेजा था। इस पर सैद्धांतिक तौर पर मुहर लग गई है।

राहत पैकेज की घोषणा के साथ या बाद में इस योजना की घोषणा की जा सकती है। सुस्त इकॉनमी में गति लाने के लिए राहत पैकेज की घोषणा अक्टूबर के आरंभ में हो सकती है।

श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जॉब बढ़ाने को लेकर जब कंपनियों से बातचीत की गई तो अधिकांश कंपनियों का कहना था कि वह परमानेंट जॉब इसलिए नहीं दे रहे क्योंकि उन पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। इसलिए वह अस्थायी तौर पर युवाओं को भर्ती कर रहे हैं।

यही बात सरकार को परेशान कर रही है। अस्थायी तौर पर भर्ती को मार्केट और एक्सपर्ट नौकरी नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि कंपनियां ऐसी भर्तियां तीन महीने, छह महीने या सालभर के लिए करती हैं और बाद में नए लोगों को नौकरी पर रख लेती हैं।

इससे उन्हें सैलरी बढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। यही कारण है कि श्रम मंत्रालय ने इस बाबत वित्त मंत्रालय को यह सिफारिश भेजी कि ज्यादा परमानेंट नौकरी देने वाली कंपनियों को टैक्स राहत के साथ पीएफ के योगदान में राहत दी जाए। जिसे सैद्धांतिक तौर पर मंजूर कर लिया गया है।

मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में पिछले तीन साल में मात्र 6.70 लाख नई नौकरियां पैदा हो सकी हैं, जबकि हर साल करीब 1 करोड़ से ज्यादा युवाओं को नौकरी की दरकरार होती है। इकॉनमी की धीमी होती रफ्तार और डिमांड कम होने से हर साल लाखों आईटी इंजिनियर रखने वाली कंपनियां अब कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं।

एग्जिक्यूटिव सर्च फर्म हेड हंटर्स इंडिया के आंकड़े तो और भी डराने वाले हैं। फर्म का अनुमान है कि अगले तीन सालों में आईटी कंपनियों के 5-6 लाख कर्मचारी बेकार हो सकते हैं। हालांकि, आईटी कंपनियों की बॉडी नैस्कॉम ने इस अनुमान को खारिज कर दिया है।

दूसरे सेक्टरों में भी नई नौकरियों के अवसर पैदा होने की रफ्तार बेहद धीमी है। लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कारोबारी साल में मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट, हेल्थ और एजुकेशन समेत 8 सेक्टरों में सिर्फ 2.30 लाख नौकरियां ही किएट हो सकीं जबकि देश में हर साल 1.80 करोड़ लोग वर्कफोर्स में जुड़ जाते हैं।  पिछले साल बेरोजगारों की संख्या 1.77 करोड़ थी और वह इस साल 1.78 करोड़ तक जा सकती है।

रिटर्न नहीं देने वाले 700 पीएफ ट्रस्टों के खिलाफ होगी कार्रवाई

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से उन 700 भविष्य निधि ट्रस्टों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है जिन्होंने ऑनलाइन रिटर्न दाखिल नहीं किया है।

ईपीएफओ ने एक बयान में कहा है कि केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने एक समीक्षा में पाया कि 700 से अधिक निजी भविष्य निधि ट्रस्टों (पीएफ ट्रस्ट) ने ऑनलाइन रिटर्न दाखिल नहीं किया।

इसके अनुसार कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने अपने देशभर में फैले सभी कार्यालयों से कहा है कि वे इस तरह के सभी संस्थानों द्वारा ऑनलाइन रिटर्न फाइल किया जाना सुनिश्चित करें और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

इसके साथ ही ईपीएफओ ने इन ट्रस्टों से कहा है कि वे अपने 84 लाख सदस्यों को एसएमएस, ईमेल या मोबाइल ई पासबुक के जरिए पीएफ अंशदान की जानकारी प्राप्ति के दो दिन के भीतर दें।

ईपीएफओ ने वर्ष 2014 में निजी भविष्य निधि ट्रस्टों के लिए ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य कर दिया था। ये निजी ट्रस्ट कर्मचारियों की भविष्य निधि राशि का खुद प्रबंधन करते हैं हालांकि उन्हें इस मामले में उन सभी शर्त और लाभ को उपलब्ध कराना होता है जो कि कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 के तहत उपलब्ध कराए जाते हैं।

 

अब स्टॉक एक्सचेंज को डिफॉल्ट की जानकारी देना जरूरी नहीं

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यू टर्न लेते हुए सेबी ने पिछले नियम को वापस ले लिया है,  इस यू टर्न पर मार्केट एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जहां एक तरफ बैंकों के एनपीए कम करने का अभियान चला रखा है, शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन खत्म किया जा रहा है और बैंक लोन वापस न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ लोन डिफॉल्ट मामले में सेबी ने लिस्टेड कंपनियों को बड़ी राहत दी है।

अब अगली सूचना तक लिस्टेड कंपनियों को लोन डिफॉल्ट की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को देना जरूरी नहीं होगा। इसका मतलब है कि अगर लिस्टेड कंपनियां लोन चुकाने में चूक गईं, तो उन्हें स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी नहीं देनी होगी। उनके शेयरों का कारोबार यूं ही चलता रहेगा।

सेबी ने लिस्टेड कंपनियों को लोन डिफॉल्ट के एक दिन के अंदर जानकारी देना अनिवार्य किया था। साथ ही, कंपनियों को ब्याज और किस्त का भुगतान न होने पर एक्सचेंज को बताने का निर्देश दिया था।

एक अक्टूबर से यह फैसला लागू होने वाला था। लेनिक अचानक यू टर्न लेते हुए सेबी ने पिछले नियम को वापस ले लिया है। सेबी के इस यू टर्न पर मार्केट एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं।

सलाहकार फर्म आईआईएएस के एमडी अमित टंडन का कहना है, ‘सेबी ने जब इस नियम की घोषणा की थी कि कोई भी लिस्टेड कंपनी लोन डिफॉल्ट हो जाए तो उसे 24 घंटे के अंदर स्टॉक एक्सचेंज को बताना होगा। यह नियम काफी अच्छा था।

इससे निवेशकों को उस कंपनी के बारे में सही जानकारी मिल जाती। अब निवेशकों को कंपनियों के लोन लेने और उसके डिफॉल्ट होने के बारे में जानकारी नहीं मिलेगी। ऐसे में सेबी ने क्यों इस नियम को लेकर यू टर्न लिया है, काफी अहम सवाल है।’

डीएसई के पूर्व प्रेजिडेंट बी. बी. साहनी का कहना है, ‘एक तरफ कहा जा रहा है कि सिस्टम में पारदर्शिता होनी चाहिए। वहीं, सेबी लिस्टेड कंपनियों के बैंक डिफॉल्ट को पर्दे में रखना चाहती है।

यह निवेशकों के साथ न्याय नहीं है। दूसरी तरफ यह कहना है कि बैंक डिफॉल्ट की जानकारी होने पर कंपनियों के शेयर गिर सकते हैं तो इसका जवाब यह होगा कि जब बाद में कंपनियों के डिफॉल्ट होने की बातें सामने आएंगी तो ऐसे में क्या उन कंपनियों के शेयर नहीं गिरेंगे।

इससे तो निवेशकों को भारी नुकसान होगा।’ गौरतलब है कि विभिन्न कंपनियों पर बैंकों का 10 लाख करोड़ बकाया है। एक अनुमान के मुताबिक, इस वक्त बैंकों का एनपीए 8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

विकास की मांग करने वालों को कीमत चुकानी होगी: जेटली

फरीदाबाद। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जो लोग देश के विकास की मांग करते हैं, उन्हें जरूरत पड़ने पर उसकी कीमत भी चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि विकास के लिए पैसों की जरूरत होती है, हालांकि इसे ईमानदारी से खर्च किया जाना चाहिए।

नैशनल अकैडमी ऑफ कस्टम्स एक्साइज ऐंड नारकोटिक्स के स्थापना दिवस के मौके पर जेटली ने कहा कि ‘रेवेन्यू गवर्नेंस की लाइफलाइन’ है। इसके जरिए ही देश को विकासशील से विकसित राष्ट्र में तब्दील किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘ऐसे समाज में करदाता न होने की ज्यादा चिंता नहीं की जाती, वहां अब लोग समय के साथ टैक्स के लिए आगे आ रहे हैं। इसी के चलते करों को एक कर दिया गया है। एक बार बदलाव स्थापित हो जाएंगे, फिर हमारे पास सुधार के लिए जगह होगी।’

अरुण जेटली ने कहा कि टैक्स के दायरे में लोगों को लाने के लिए टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों को काम करना चाहिए। लेकिन, उन लोगों पर गैर जरूरी दबाव नहीं डाला जाना चाहिए, जो इसके दायरे में नहीं आते।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘भारत में इनडायरेक्ट टैक्स में इजाफा हो रहा है, जबकि इकॉनमी भी ग्रोथ कर रही है। प्रत्यक्ष कर प्रभावशाली वर्ग की ओर से दिया जाता है, जबकि अप्रत्यक्ष कर का बोझ सभी पर पड़ता है।

इसीलिए हमने वित्तीय नीतियों में जरूरी चीजों पर सबसे कम टैक्स लगाने का फैसला लिया है।’ अरुण जेटली ने कहा कि एक ऐसा दौर था, जब सिविल सर्विसेज को एलीट माना जाता था।

लेकिन, अब इसमें सामाजिक और भौगोलिक सीमाएं खत्म हो रही हैं। यह भारतीय समाज में आए बड़े बदलाव का परिचायक है। इसके चलते सेवाओं का सामाजिक-आर्थिक विस्तार हुआ है।

अधिकारियों के नए बैच को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि उन्हें सही बर्ताव करना चाहिए और विश्वसनीयता बनाए रखनी चाहिए। इसके अलावा अपनी सेवा के दौरान अपना व्यवहार सही रखना चाहिए।

आरटीयू कोटा के 54 विद्यार्थियों का इंफोसिस में चयन

कोटा। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के 54 विद्यार्थियों को भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस में नौकरी मिल गई है। इंफोसिस कंपनी का प्लेसमेंट ड्राइव पिछले दो दिनों से आरटीयू में चल रहा था। कंपनी के अधिकारियों ने 54 स्टूडेंट का चयन 3.5 लाख रुपए के सालाना पैकेज पर किया है।

सबसे ज्यादा कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स की संख्या
ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट के चेयरमैन डॉ.राजीव राजौरा ने बताया इस प्लेसमेंट में बीटेक कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स की संख्या सबसे ज्यादा 15 थी। इसके अलावा आईटी के 5, इलेक्ट्रीकल 4, इलेक्ट्रोनिक्स के 10, इंस्टूमेंटेशन के 1, सिविल के 11, मैकेनिकल के 5, एयरोनाटिकल के 2 व पेट्रोकेमिकल का 1 स्टूडेंट शामिल है।पुणे, बैंगलूरू व हैदराबाद से कंपनी के एक्सपर्ट यहां आए थे। जिनको इंफोसिस टैलेंट टीम के मुखिया कुनाल ने लीड किया।

28 सितम्बर को थी ऑनलाइन परीक्षा
ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट के एसोसिएट चेयरमैन डॉ. दिनेश यादव ने बताया कि 28 सितम्बर को ऑनलाइन परीक्षा ली, जो दो पार्ट एप्टीट्यूट और कम्यूनिकेशन स्किल्स में हुई। इसमें 200 स्टूडेंट्स में 84 सफल हुए थे।

शुक्रवार को दूसरे दिन तकनीकी और एचआर ने इंटरव्यू लिया जिसमें 54 विद्यार्थियों का चयन इंफोसिस के प्रतिनिधियों ने किया है। इनमें 29 लड़के और 25 लड़कियां हैं। चयनित स्टूडेंट्स ने आरटीयू की फैकल्टी का आभार जताया। गत वर्ष 47 स्टूडेंट का चयन हुआ था।

रेरा रजिस्ट्रेशन पर छूट ख़त्म, अब दस गुना पेनल्टी

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जयपुर। प्रदेश में एक मई से पहले से चल रहे रियल एस्टेट प्राजेक्ट को रेरा में रजिस्टर करवाने के लिए अब डवलपर को प्रोजेक्ट कॉस्ट की 10% पेनल्टी चुकानी होगी। रेरा की ओर से रजिस्ट्रेशन में दी गई छूट शनिवार को खत्म हो गई। अब तक यह पेनल्टी प्रोजेक्ट कॉस्ट की 2% ही थी।

अब तक रेरा में 570 से ज्यादा प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर चुके हैं लेकिन इनमें से महज 260 को ही रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। क्रेडाई चेयरमैन गोपाल प्रसाद गुप्ता का कहना है कि महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए डवलपर्स को 30 अक्टूबर तक की छूट दी गई है।

इसलिए यहां भी सरकार को छूट अवधि को बढ़ाना चाहिए। अगर तकनीकी कारणों से डवलपर रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाया है तो उसे बिना पेनल्टी रजिस्ट्रेशन में छूट दी जानी चाहिए। गुप्ता ने कहा कि इसके लिए क्रेडाई की ओर से रेरा को ज्ञापन दिया जाएगा।

प्रोजेक्ट्स में 80 फीसदी गिरावट
पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी रेरा के चलते प्रदेश में नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की रफ्तार पर ब्रेक लग गया। क्रेडाई का कहना है कि प्रदेश में प्रोजेक्ट लांचिंग में करीब 80% गिरावट आई है। डवलपर फिलहाल मौजूदा इनवेंटरी को ही बेचने में जुटे हैं। डवलपर्स का कहना है कि मौजूदा इनवेंटरी 6 से 8 महीनों में खत्म हो जाएगी। इसके बाद कीमतों में कुछ तेजी हो सकती है।

समर्थन मूल्य पर मूंग, उडद एवं सोयाबीन की खरीद 2 से

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किलक ने बताया कि मूंगफली की आवक कम होने के कारण इसकी खरीद प्रक्रिया अक्टूबर माह के द्वितीय पखवाडे में प्रारम्भ कर दी जाएगी

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रयासों से भारत सरकार ने प्रदेश में मूंग, उड़द, मूंगफली एवं सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीद की अनुमति प्रदान कर दी है। राजे की किसानों के प्रति संवेदनशीलता का परिणाम है कि किसानों को दलहन एवं तिलहन फसलों का उचित मूल्य मिलेगा।

राजफैड 2 अक्टूबर से 125 केन्द्रों पर मू्ंग, उडद एवं सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीद प्रक्रिया प्रारम्भ करेगी। यह जानकारी शनिवार को सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने दी। किलक ने बताया कि मूंगफली की आवक कम होने के कारण इसकी खरीद प्रक्रिया अक्टूबर माह के द्वितीय पखवाडे में प्रारम्भ कर दी जाएगी।

किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो इसके लिए प्रदेश में पहली बार ऑनलाईन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है, जिसे 29 सितम्बर से शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि किसान ऑनलाईन पंजीकरण ई-मित्र एवं खरीद केन्द्रों(केवीएसएस) के माध्ययम से करा सकता है।

ई-मित्र से पंजीकरण कराने पर किसान को21रुपये तथा क्रय-विक्रय सहकारी समिति के खरीद केन्द्र पर पंजीकरण कराने के लिए किसान को10 रुपये का भुगतान करना होगा।
 
सहकारिता मंत्री ने बताया कि ऑनलाईन पंजीकरण के दौरान भामाशाह कार्ड नम्बर एवं खसरा गिरदावरी देनी होगी। भामाशाह कार्ड नहीं होने की स्थिति में ई-मित्र पर तत्काल ही भामाशाह के लिए एनरोलमेंट किया जाएगा एवं एनरोलमेंट नम्बर से ऑनलाईन पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी।  उन्होंने बताया कि पंजीकरण होते ही किसान को एसएमएस द्वारा मोबाइल पर उपज की मात्रा एवं खरीद दिवस की सूचना दी जाएगी।

किलक ने बताया कि किसान को तत्काल भुगतान हो इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए गए हैं और मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के निर्देश पर प्रारम्भिक तौर पर भुगतान हेतु फण्ड की व्यवस्था राज्य सरकार ने की है ताकि किसानों को भुगतान करने में विलम्ब नहीं हो। उन्होंने बताया कि इस बार किसान को उपज का भुगतान सीधे ही उसके खाते में किया जाएगा।
 
उन्होेंने बताया कि खरीद के दौरान कई बार ऑफलाइन पंजीकरण से जुड़ी अव्यवस्थाओं की वजह से किसान को परेशानी का सामना करना पड़ता है, इसमें सुधार करते हुए पहली बार ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था प्रारम्भ की है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मूंग के लिए 76,उड़द के लिए 28,मूंगफली के लिए 29 तथा सोयाबीन के लिए 21 खरीद केन्द्र चिह्वित किए गए हैं।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि वर्ष 2017-18 के लिए मूंग के लिए 5575 रुपये, उड़द के लिए 5400रुपये, मूंगफली के लिए 4450 रुपये तथा सोयाबीन के लिए 3050 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य बोनस के साथ घोषित किया है। उन्होंने बताया कि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए खरीद केन्द्रों पर आवश्यकतानुसार कांटों की संख्या बढ़ाई जाएगी एवं पर्याप्त मात्रा में बारदाना उपलब्ध कराया जाएगा।

आतिशी धमाकों के साथ जला अहंकारी रावण का कुनबा

रावण दहन में उमड़ा जन सैलाब, लाखों लोग बने अहंकार के अंत के साक्षी, विदेशी मेहमानों को भी भाया दशहरा मेला 

कमल सिंह यदुवंशी
कोटा। नगर निगम कोटा की ओर से आयोजित राष्ट्रीय दशहरा मेला 2017 का रावण कुनबे का शनिवार देर शाम दहन हुआ। भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर के साथ आए कोटा रियासत के पूर्व महाराव कुमार इज्यराजसिंह ने ज्वारा पूजन के बाद रावण की नाभी के कलश को तीर से भेदा।

इसके बाद देखते ही देखते अहंकारी रावण का कुनबा भष्म होता चला गया। रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों की भीड़ से ठसा ठस दशहरा मैदान में विदेशी सैलानियों ने भी नगर निगम कोटा के इस भव्य आयोजन को करीब से देखा और खूब सराहा। करीब साढे़ आठ मिनट में आतिशी धमाकों के साथ रावण का कुनबा खाक हो धराशाही हो गया।

विजयश्री रंगमंच पर करीब रंगीन आतिशबाजी भी देखने को मिली। लोगों ने इन यादगार पलों को केमरों में भी केद किए। 72 फीट रावण व 45-45 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाएं व खूब अट्टहास किया। दहन से पूर्व जनप्रतिनिधियों ने बैलून छोड़े। आकाश से पुष्पवर्षा हुई।

विदेशी सैलानियों को भाया हमारा दशहरा
कोटा के दशहरे मेले की ख्याती के चलते इस दफा भी देशी-विदेशी मेहमान भी दरीखाने पहंुचे और शाही सवारी में सरीक हुए। सैलानियों का यह दल पैदल ही सवारी के साथ रावण दहन स्थल पहंुचा। इन मेहमानों ने सवारी, दहन व मेला परिसर से कई तस्वीरे अपने केमरों में केद की। विदेशी मेहमानों ने दरीखाने में व रावण दहन स्थल पर खूब तस्वीरे केमरों में केद की।

रावण दहन से पूर्व हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
मेला आयोजन समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने बताया कि रावण दहन से पहले रावण चौक में विजयश्री रंगमंच के पास सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। उत्तरप्रदेश की कलाकार वंदना मिश्रा ने म्हारी मैया की उतारा ऐ आरते… से कार्यक्रम की शुरूआत की।

इसके बाद ठुमक चले श्रीरामचंद्र बाजे पेचनिया…कभी राम बन कर तो कभी श्याम बन करे….सरीखे भजनों की सरिता बहा माहौल भक्तिमय कर दिया। इसके बाद साथी कलाकारों के साथ राजस्थानी लोकगीतों, भजनों पारंपरिक गाने, अवधि भाशा के गाने, सूफी गायन, बॉलीवुड गायन, कत्थक आदि की प्रस्तुतियां दी।

कोटा की रामलीला को मिला सम्मान
रावण चौक में चले सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद एबीपी चैनल की हाल ही में देशभर में करवाए गए रामलीला मंचन के सर्वे में अव्वल रही कोटा की रामलीला श्रीराघवेद्र कला संस्थान के कलाकारों का सम्मान किया गया। मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने बताया कि एबीवीपी चैनल की ओर से देशभर की रामलीलाओं का कवरेज कर लाइव टेलीकास्ट किया गया था।

कोटा की रामलीला को देश की बेहतर रामलीलाओं में शामिल किया गया। मंच से चैनल के राजस्थान प्रभारी मनीष शर्मा व मुख्य अतिथि सांसद ओम बिरला ने महापौर महेश विजय को महा रामलीला सम्मान का प्रशस्ती पत्र भेंट किया। इस दौरान सांसद ओम बिरला ने कहा कि जीवन में अहंकार ज्यादा नहीं टिकता। रावण भी नहीं टिका।

जीवन में अहंकार त्यागे और जीवन को बेहतर बनाएं। महापौर महेश विजय ने कोटा के मेले को सांस्कृतिक विरासत बताया। मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने कहा कि मेला हमारी विरासत का अभिन्न अंग है और इसे विश्वपटल पर पहचान मिले इसके लिए हरसंभव प्रयास जारी है।

इस दौरान निगम आयुक्त डॉ.विक्रम जिंदल, उपायुक्त राजेश डागा, मेला अधिकारी नरेश मालव, अतिरिक्त मेला अधिकार प्रेमशंकर शर्मा भी मौजूद थे।

मित्तल चेयरमैन एवं जय बंसल सेक्रेटरी बने

कोटा। दी इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया-कोटा चैप्टर के चुनाव में सीएमएएस.एन.मित्तल को चेयरमैन, सीएमए जय बंसल सेक्रेटरी, सीएमए अशोक कुमार जैथलिया वाईस चेयरमैन,सीएमए तपेश माथुर ट्रेजरार एवं सीएमए मुकट बिहारी सोंखिया, सीएमए आकाश अग्रवाल,सीएमए सुरेंद्र प्रकाश गुप्ता,तितिक्षा जैन सदस्य निर्वाचित हुये।

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया दस हजार करोड़ के बॉन्ड बेचेगा

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद नकदी की स्थिति में हुए सुधार के बाद अब रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ओपन मार्केट ऑपरेशंस ( ओएमओ) के जरिए दस हजार करोड़ के सरकारी बॉन्ड की बिक्री करेगा।

केंद्रीय बैंक ने अपनी तरफ से जारी किए हए बयान में कहा कि “नकदी की प्रचलित और सुधरती हुई स्थिति के हालिया आंकलन के आधार पर उसने ओपन मार्केट ऑपरेशंस के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री करने का निर्णय लिया है। कई मूल्य पद्धतियों का इस्तेमाल करते हुए बहु-सुरक्षा नीलामी के जरिए 12 अक्टूबर 2017 को होने वाली इस बिक्री की कुल राशि 100 बिलियन होगी।”

ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के हिस्से के रुप में आरबीआई साल 2019 में मैच्योर होने वाली (6.90 फीसद की ब्याज दर वाली), साल 2021 में मैच्योर होने वाली (7.80 फीसद ब्याज), साल 2022 में मैच्योर होने वाली (8.08 फीसद ब्याज), साल 2024 में मैच्योर होने वाली (7.35 फीसद ब्याज) और साल 2030 में मैच्योर होने वाली (7.88 फीसद ब्याज) सरकारी प्रतिभूतियों को बेच देगा।

नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करेगा आरबीआई: इक्रा
अप्रैल से जून तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ के 5.7 फीसद के साथ तीन साल के निचले स्तर पर चले जाने के बाद रिजर्व बैंक की ओर से आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुद्रास्फीति की रफ्तार और बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है।

यह अनुमान इक्रा ने अपनी एक रिपोर्ट में लगाया है। इक्रा के मैनेजिंग डॉयरेक्टर नरेश ठक्कर ने बताया, “हालांकि हम अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेट कट की उम्मीद नहीं करते हैं, क्योंकि आगे आने वाले महीनों में सीपीआई इन्फ्लेशन के और आगे बढ़ने की संभावना है और यह मार्च 2018 तक 4.5 और 5 फीसद तक रह सकती है।”

मौद्रिक नीति समिति की द्वैमासिक बैठक 3 और 4 अक्टूबर को प्रस्तावित है। इससे पहले हुई बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई थी, जिसमें रेपो रेट को 6.25 फीसद से घटाकर 6 फीसद कर दिया गया था।