अब स्टॉक एक्सचेंज को डिफॉल्ट की जानकारी देना जरूरी नहीं

0
906

यू टर्न लेते हुए सेबी ने पिछले नियम को वापस ले लिया है,  इस यू टर्न पर मार्केट एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जहां एक तरफ बैंकों के एनपीए कम करने का अभियान चला रखा है, शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन खत्म किया जा रहा है और बैंक लोन वापस न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ लोन डिफॉल्ट मामले में सेबी ने लिस्टेड कंपनियों को बड़ी राहत दी है।

अब अगली सूचना तक लिस्टेड कंपनियों को लोन डिफॉल्ट की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को देना जरूरी नहीं होगा। इसका मतलब है कि अगर लिस्टेड कंपनियां लोन चुकाने में चूक गईं, तो उन्हें स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी नहीं देनी होगी। उनके शेयरों का कारोबार यूं ही चलता रहेगा।

सेबी ने लिस्टेड कंपनियों को लोन डिफॉल्ट के एक दिन के अंदर जानकारी देना अनिवार्य किया था। साथ ही, कंपनियों को ब्याज और किस्त का भुगतान न होने पर एक्सचेंज को बताने का निर्देश दिया था।

एक अक्टूबर से यह फैसला लागू होने वाला था। लेनिक अचानक यू टर्न लेते हुए सेबी ने पिछले नियम को वापस ले लिया है। सेबी के इस यू टर्न पर मार्केट एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं।

सलाहकार फर्म आईआईएएस के एमडी अमित टंडन का कहना है, ‘सेबी ने जब इस नियम की घोषणा की थी कि कोई भी लिस्टेड कंपनी लोन डिफॉल्ट हो जाए तो उसे 24 घंटे के अंदर स्टॉक एक्सचेंज को बताना होगा। यह नियम काफी अच्छा था।

इससे निवेशकों को उस कंपनी के बारे में सही जानकारी मिल जाती। अब निवेशकों को कंपनियों के लोन लेने और उसके डिफॉल्ट होने के बारे में जानकारी नहीं मिलेगी। ऐसे में सेबी ने क्यों इस नियम को लेकर यू टर्न लिया है, काफी अहम सवाल है।’

डीएसई के पूर्व प्रेजिडेंट बी. बी. साहनी का कहना है, ‘एक तरफ कहा जा रहा है कि सिस्टम में पारदर्शिता होनी चाहिए। वहीं, सेबी लिस्टेड कंपनियों के बैंक डिफॉल्ट को पर्दे में रखना चाहती है।

यह निवेशकों के साथ न्याय नहीं है। दूसरी तरफ यह कहना है कि बैंक डिफॉल्ट की जानकारी होने पर कंपनियों के शेयर गिर सकते हैं तो इसका जवाब यह होगा कि जब बाद में कंपनियों के डिफॉल्ट होने की बातें सामने आएंगी तो ऐसे में क्या उन कंपनियों के शेयर नहीं गिरेंगे।

इससे तो निवेशकों को भारी नुकसान होगा।’ गौरतलब है कि विभिन्न कंपनियों पर बैंकों का 10 लाख करोड़ बकाया है। एक अनुमान के मुताबिक, इस वक्त बैंकों का एनपीए 8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।