Tuesday, October 8, 2024
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मेले में आये विदेशी पावणा, गजक का स्वाद लिया

– कमल सिंह यदुवंशी
कोटा। निगम कोटा की ओर से आयोजित मेला दशहरा 2017 में मंगलवार शाम को मेले में सरहद पार से भी विदेशी पावणा आये और मेले को करीब से देखा। जर्मनी से आए इस 24 सदस्यीय दल में युवा मेल फीमेल शामिल है। यह दल उदयपुर से कोटा पहुँचे ओर मेले में घूमे।

कोटा दशहरा मेले का आनंद लेते विदेशी सैलानी।

जर्मनी के टोनी व प्रेटरा ने बताया कि मेला वाकई बहुत खूबसूरत है और यहां प्रदर्शनियों में कई अहम जानकारियां ली है। मेले में लोकसंस्कृति को करीब से देखा तो अच्छा लगा। मेला समिति सदस्य पार्षद मीनाक्षी खंडेलवाल ने इन सैलानियों को जानकारियां दी। पर्यटकों ने झूला बाजार, सॉफ्टी बाजार, फ़ूड कोर्ट, विजयश्री रंगमंच देखा।

अरुंधती की जगह रजनीश कुमार होंगे एसबीआई के नए चेयरमैन

नई दिल्ली । सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के अगले चेयरमैन रजनीश कुमार होगें। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। रजनीश कुमार फिलहाल एसबीआई के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। रजनीश एसबीआई में अरुंधती भट्टाचार्या की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल इसी हफ्ते खत्म हो रहा है।

कौन हैं रजनीश कुमार: साल 2015 में रजनीश नेशनल बैंकिंग ग्रुप में बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त हुए थे, इससे पहले वह एसबीआई के मर्चेंट बैंकिंग विभाग और एसबीआई कैपिटल मार्केट को हेड कर चुके हैं। रजनीश ने साल 1980 में प्रोबेश्नरी ऑफिसर के तौर पर एसबीआई ज्वाइन किया था।

भट्टाचार्या को 2016 में मिला था सेवा विस्तार: एसबीआई की मौजूदा चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्या को साल 2016 में सेवा विस्तार दिया गया था। भट्टाचार्य ने साल 2013 में इस पद को संभाला था। साल 2016 में उनको मिला एक साल का एक्सटेंशन इस हफ्ते समाप्त होने जा रहा है। अरुंधति भट्टाचार्य भारतीय स्टेट बैंक की पहली महिला चेयरपर्सन रही हैं। एसबीआई की चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक नियुक्त किए जाने से पहले अरुंधती एसबीआई कैप की चेयरमैन थीं।

सेंसेक्स 174 अंक चढ़कर 31,671 पर बंद, निफ़्टी में सुधार

नई दिल्ली। शेयर बाजार में बुधवार को तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 174 अंक चढ़कर 31,671 पर जबकि निफ्टी 55 अंक  की तेजी के साथ 99,14 पॉइंट पर बंद हुआ। रिजर्व बैंक की नई मौद्रिक नीति को लेकर बाजार में आज सकारात्मक रुख रहा।

बुधवार को शेयर बाजार के दोनों सूचकांक मामूली बढ़त के साथ खुले थे। 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 23.25 अंक चढ़कर 31520.63 जबकि 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 12.45 अंकों की तेजी के साथ 9871.95 पॉइंट पर खुला।

कुल मिलाकर बाजार में कारोबार की शुरुआत पॉजिटिव नोट पर हुई थी। शुरुआती कारोबार में मिडकैप शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया जबकि सेक्टर के लिहाज से मेटल कंपनियों के शेयरों ने तेजी दिखाई। साथ ही, ऑटो, एफएमसीजी और एनर्जी स्टॉक्स में भी मजबूती का रुख देखी गई।

रिजर्व बैंक ने नहीं किया नीतिगत दरों में बदलाव

मौद्रिक नीति समीक्षा : मुख्य नीतिगत दर रीपो 6 प्रतिशत पर बरकरार है, जो पिछले साढ़े छह साल का न्यूनतम स्तर है, वहीं, रिवर्स रीपो रेट भी 5.75 प्रतिशत जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत पर कायम है

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसीसी) ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया।

इसके साथ ही मुख्य नीतिगत दर रीपो 6 प्रतिशत पर बरकरार है जो पिछले साढ़े छह साल का न्यूनतम स्तर है। वहीं, रिवर्स रीपो रेट भी 5.75 प्रतिशत जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत पर कायम है।

गौरतलब है कि पिछली बार अगस्त महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद रिजर्व बैंक ने रीपो रेट और रिवर्स रीपो रेट में 0.25% कटौती का ऐलान किया था।

केंद्र सरकार ने उम्मीद जताई थी कि रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए इस बार की मौद्रिक नीति समीक्षा में भी नीतिगत दर में कटौती करेगा।

उधर, कई विशेषज्ञों और उद्योग मंडलों ने भी मुद्रास्फीति में कमी और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये तत्काल कदम उठाए जाने के मद्देनजर प्रमुख नीतिगत दर में कटौती पर जोर दिया था।

हालांकि, बैंक के शीर्ष अधिकारियों ने मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होने का अनुमान जताया था।

देश के सबसे बड़े बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई 4 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बनाए रख सकता है। वह निम्न वृद्धि, मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच फंस गया है।

वहीं, मॉर्गन स्टैनली ने भी एक रिसर्च रिपोर्ट में मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बरकरार रखे जाने की बात कही थी। उसने इसकी वजह बढ़ती मुद्रास्फीति और इसमें और बढ़ोतरी बताया।

गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक ने अगस्त महीने में पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति जोखिम में कमी का हवाला देते हुए रीपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6 प्रतिशत कर दिया था।

अगस्त महीने में खुदरा मुद्रास्फीति सब्जी और फलों के महंगा होने के कारण पांच महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 2.36 प्रतिशत थी।

ब्याज में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता – आरबीआई

नई दिल्ली। ब्याज दरों में कटौती होती है या नहीं इसका फैसला तो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल बुधवार को कर ही देंगे लेकिन अब यह तय है कि केंद्रीय बैंक के रेपो रेट में जितनी कटौती करेगा उसका पूरा फायदा आम जनता को सस्ते कर्ज के रूप में मिलने लगेगा।

आरबीआइ इस बात से खासा नाराज है कि कई बार चेतावनी देने के बावजूद कर्ज की दरों को तय करने को लेकर बैंक बहुत पारदर्शी तरीका नहीं अपना रहे हैं। रेपो रेट में जितनी कटौती आरबीआइ करता है उसका पूरा फायदा बैंक ग्राहकों को नहीं देते हैं।

बैंकों की तरफ से कर्ज की दर तय करने के तरीके में बदलाव की घोषणा मौद्रिक नीति की समीक्षा के साथ केंद्रीय बैंक बुधवार को कर सकता है। कर्ज की दरों को तय करने का मौजूदा तरीका (मार्जिनल कॉस्ट आफ फंड बेस्ड रेट्स-एमसीएलआर) अप्रैल, 2016 से लागू किया गया है लेकिन आरबीआइ इससे संतुष्ट नहीं है।

एमसीएलआर के तहत बैंक जो दर तय करते हैं उससे कम दर पर वे अमूमन कर्ज नहीं देते। इसकी समीक्षा के लिए आरबीआइ ने एक आंतरिक समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही सौंपी है।

समिति की सिफारिशों के आधार पर ही अब केंद्रीय बैंक कर्ज की दर तय करने का नया तरीका बैंकों के लिए बनाएगा जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह ज्यादा पारदर्शी होगा।

अगस्त, 2017 की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआइ गवर्नर ने कहा था कि ऐसी व्यवस्था करनी जरूरी है कि आरबीआइ की तरफ से की जा रही कटौती का सीधा असर कर्ज की दरों पर पड़े। अगर ऐसा नहीं होता है तो अर्थव्यवस्था पर ब्याज दरों के असर की सही समीक्षा नहीं हो सकती है।

बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक मौजूदा गवर्नर पटेल के अलावा पूर्व गवर्नर डा. रघुराम राजन भी कई बार इस बात पर चिंता जता चुके हैं कि वह बैंकों को ब्याज दरों में जितनी कटौती का अवसर देते हैं उतना फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता।

उदाहरण के तौर पर जनवरी, 2015 के बाद से रेपो रेट में 200 आधार अंकों (दो फीसद) की कटौती हुई लेकिन बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में बमुश्किल 90 आधार अंकों (0.90 फीसद) या 100 अंकों (एक फीसद) की कटौती की गई।

उधर, मौद्रिक नीति की समीक्षा से ठीक पहले उद्योग जगत की तफ से ब्याज दरों में भारी भरकम कटौती की मांग आ रही है। प्रमुख उद्योग चैंबर सीआइआइ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए रेपो रेट में 100 आधार अंकों यानी एक फीसद की कटौती होनी चाहिए।

सीआइआइ का कहना है कि अभी बिल्कुल नई सोच की जरूरत है। निजी निवेश बिल्कुल ठप है और कर्ज को सस्ता करने से निवेश में तेजी लाई जा सकती है। हालांकि बैंकिंग उद्योग में इस बात की लगभग आम राय है कि ब्याज दरों को अभी मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखा जाएगा।

इसके पीछे महंगाई की दर को वजह बताया जा रहा है जिसमें थोड़ी वृद्धि हुई है। अन्य जानकार भी मान रहे हैं कि ब्याज दरों में कटौती तो होगी लेकिन शायद इस बार न हो। इसके लिए दिसंबर, 2017 की समीक्षा का इंतजार करना पड़ सकता है।

जीएसटी का फायदा ग्राहकों को न देने वाली कंपनियों पर कार्यवाही तय

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कई कारोबारी ऐसे भी हैं जो यह लाभ ग्राहकों तक नहीं दे रहे हैं, ऐसे मुनाफाखोरों पर नकेल कसने के लिए जीएसटी काउंसिल पांच सदस्यीय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी अधिकरण के गठन को मंजूरी दे चुका है

नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत मुनाफाखोरी रोधी अथॉरिटी के गठन पर केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को मुहर लगा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल इस अथॉरिटी के लिए चेयरमैन और चार तकनीकी सदस्यों के पद को भी स्वीकृति दे सकता है।

जीएसटी के तहत कई वस्तुओं पर पहले की तुलना में कर की दर कम हुई है। कई कारोबारी ऐसे भी हैं जो यह लाभ ग्राहकों तक नहीं दे रहे हैं। ऐसे मुनाफाखोरों पर नकेल कसने के लिए जीएसटी काउंसिल पांच सदस्यीय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी अधिकरण के गठन को मंजूरी दे चुका है।

इस अथॉरिटी का गठन चेयरमैन की नियुक्ति के बाद से दो वर्ष के लिए होगा। इसमें चेयरमैन और सदस्यों की उम्र अनिवार्य रूप से 62 वर्ष से कम रहेगी।  चेयरमैन को सचिव स्तर के अधिकारी का दर्जा दिया जाएगा। उसे 2.25 लाख रुपये प्रति माह का वेतन और इसके अतिरिक्त अन्य भत्ते दिए जाएंगे।

उसे वे सभी सुविधाएं मिलेंगी, जो इस रैंक के अधिकारी को मिलती हैं। यदि किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को चेयरमैन बनाया गया तो उसको मिलने वाली पेंशन की राशि को 2.25 लाख रुपये की वेतन राशि में से कम कर दिया जाएगा। तकनीकी सदस्यों को प्रतिमाह 2.05 लाख रुपये का वेतन और साथ ही अन्य भत्ते दिए जाएंगे।

उसकी रैंक अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी के बराबर रहेगी। राज्य या केंद्रीय कर विभाग के वर्तमान या पूर्व कमिश्नर और एक्साइज, कस्टम्स या वैट के तहत इसके समकक्ष पदों के पूर्व या वर्तमान अधिकारी इस नई अथॉरिटी में तकनीकी सदस्य बनने के योग्य होंगे।

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेफगार्डस (डीजीएस) के अतिरिक्त महानिदेशक इस अथॉरिटी के लिए सचिव की भूमिका निभाएंगे। जीएसटी व्यवस्था में तय संरचना के अनुसार, स्थानीय स्तर की शिकायतें सबसे पहले राज्य स्तर की स्क्रीनिंग कमेटी के पास जाएंगीं।

वहीं राष्ट्रीय स्तर की शिकायतें स्टैंडिंग कमेटी के सुपुर्द होंगी। अगर शिकायतों में दम होगा तो संबंधित कमेटियां उस मामले को विस्तृत जांच के लिए डीजीएस के पास भेजेंगी। डीजीएस मामले की जांच में अमूमन तीन महीने का समय लेगा। इसके बाद रिपोर्ट मुनाफाखोरी रोधी अथॉरिटी को सौंपी जाएगी।

अगर अथॉरिटी ने पाया कि कंपनी ने जीएसटी से मिलने वाला लाभ ग्राहकों को नहीं दिया है तो उसे वह लाभ 18 फीसद ब्याज और जुर्माने के साथ ग्राहकों को देने को कहा जाएगा। किसी स्थिति में यदि लाभार्थियों की पहचान संभव नहीं होगी तो कंपनी को वह राशि उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करानी होगी।

इसके लिए समय सीमा निर्धारित की जाएगी। अथॉरिटी के पास किसी भी कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद करने का अधिकार होगा। हालांकि नियमों के उल्लंघन के मामले में अथॉरिटी इसे आखिरी कदम के तौर पर इस्तेमाल करेगी।

कर्ज माफी के नाम पर कमेटी बनाना कोरा मजाक – पायलट

  • बड़े उद्योगपतियों एवं काॅरर्पोटेस का कर्जा माफ करने के लिए कभी कमेटियां नहीं बनी।

  • वसुन्धरा सरकार झूठे वायदे कर किसानों को छल रही है।

कोटा। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने आज राज्य एवं केन्द्र की सरकारों पर सीधा हमला करते हुए कहा कि बड़े उद्योगपतियों एवं कॉरपोरेट का कर्जा माफ करने के लिए कभी कमेटियां नहीं बनाई गई, जबकि किसानों का कर्ज माफ करने की बात आई तो राजस्थान सरकार ने कमेटी बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

यह राज्य सरकार द्वारा किसानों के साथ किया गया कोरा मजाक है, जिसे कांग्रेस किसानों का अपमान समझती है। इसीलिए कांग्रेस ने किसानों के सम्मान एवं स्वाभिमान को लेकर बारां से झालावाड़ तक किसान न्याय यात्रा निकालने का निर्णय लिया है।

पायलट ने बारां में किसान न्याय यात्रा का आगाज करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार ने ओलावृष्टि के कारण कर्ज में डूब चुके 10 लाख किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया। बीते 4 साल से प्रकृति की मार झेल रहे किसानों के साथ इस सरकार ने कभी कोई सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार नही किया।

ऐसे में कांग्रेस ने भी अब इस सरकार के साथ किसी प्रकार का रहम अथवा सहानुभूति नहीं दिखाने का फैसला कर लिया। हम वसुन्धरा सरकार को मजबूर कर देंगें कि वह आत्महत्या कर चुके किसान-परिवारों तथा अन्य सभी प्रभावित किसानों के हक में फैसला करते हुए जल्द से जल्द से कर्ज माफी की घोषणा करें।

पायलट ने दौहराया कि हम सरकार पर इतना जबरदस्त दबाव बनायेंगें कि सरकार को किसानों के समक्ष उनकी भावनाओं के अनुरूप घुटने टेकने ही होगें।

उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने बड़े उद्योगपतियों और काॅरर्पोटेस को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कई वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है, तो फिर खेती-बाडी से जुडे उपकरणों एवं यंत्रादि को जीएसटी से मुक्त क्यों नहीं किया गया। पायलट ने बारां कॉलेज में छात्रसंघ कार्यकारिणी को शपथ ग्रहण करवायी और चार दिवसीय किसान न्याय यात्रा का आगाज किया।

नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूड़ी, उप नेता प्रतिपक्ष रमेश मीणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. बी.ड़ी कल्ला, वरिष्ठ नेता हरिमोहन शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता अर्चना शर्मा, पूर्व विधायक प्रतापसिंह खाचरियावास, जिला प्रभारी अशोक बैरवा, पूर्व सांसद इज्यराजसिंह सहित हजारों कांग्रेसजनों ने किसान न्याय यात्रा में शिरकत की।

किसान न्याय यात्रा के उद्घाटन समारोह में पूर्व मंत्री प्रमोद भाया ने कहा कि राज्य में किसानों के हालात दयनीय हैं। मंहगे खाद-बीज, सिंचाई तथा कड़ी मेहनत के बावजूद किसान को अपनी फसल का पूरा मूल्य नही मिल रहा है, जिसके चलते किसान कर्जदार हो रहा है। किसान अपने परिवार का भरण-पोषण करने में कापी असमर्थ हो चला है।

ऐसे में जब औद्योगिक उत्पादकों को अपनी उत्पादन सामग्री पर मूल्य तय करने का अधिकार हैं, तो प्रदेश के किसान को भी कड़ी मेहनत से तैयार की गई अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार दिया जाए, ताकि प्रदेश का किसान कर्जमुक्त होकर बेहतर तरीके से अपने परिवार का लालन-पालन कर सके।

भाया ने कहा कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पेट्रोल व डीजल के मूल्यों को आमजन की भावना के अनुरूप नियन्त्रित कर उन पर टैक्स कम किया जाएगा, ताकि आमजन को विकास की धुरी कहे जाने वाले पेट्रोलियम पर्दाथों के लिए ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़े।

ऑनलाइन रेल टिकट पर मार्च तक सर्विस चार्ज नहीं

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नई दिल्ली। रेल यात्रियों को मार्च 2018 तक ऑनलाइन टिकट बुक कराने पर सेवा शुल्क नहीं देना होगा। सरकार ने पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के बाद टिकट बुकिंग में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए यह राहत दी थी।
 
सरकार ने इस छूट को पहले इस साल 30 जून और इसके बाद 30 सितंबर तक बढ़ा दिया था। आईआरसीटीसी के जरिए ऑनलाइन टिकट बुक कराने पर प्रति टिकट 20 से 40 रुपये सेवा शुल्क लगता था। रेलवे बोर्ड ने 29 नवंबर को भारतीय रेलवे कैटरिंग एवं टूररिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) को यह छूट अगले साल मार्च अंत तक बढ़ाने का निर्देश दिया था।  
 
वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा कि आईआरसीटीसी का करीब 33 फीसदी राजस्व ऑनलाइन बुकिंग पर लगने वाले सेवा शुल्क से आता है। पिछले वित्त वर्ष में आईआरसीटीसी ने 1500 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व हासिल किया, जिसमें से करीब 540 करोड़ टिकट बुकिंग से आए थे। 

सकारात्मक मौद्रिक नीति की उम्मीद में सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की नई मौद्रिक नीति को लेकर सकारात्मक रुख रखते हुए बुधवार को शेयर बाजार के दोनों सूचकांक मामूली बढ़त के साथ खुले। 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 23.25 अंक चढ़कर 31520.63 जबकि 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 12.45 अंकों की तेजी के साथ 9871.95 पॉइंट पर खुला।

कुल मिलाकर बाजार में कारोबार की शुरुआत पॉजिटिव नोट पर हुई और 186 शेयरों की कमजोरी के मुकाबले 555 शेयरों ने मजबूती हासिल की जबकि 37 शेयरों में कोई बदलाव नहीं देखा गया।

बुधवार के शुरुआती कारोबार में मिडकैप शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया जबकि सेक्टर के लिहाज से मेटल कंपनियों के शेयरों ने तेजी दिखाई। साथ ही, ऑटो, एफएमसीजी और एनर्जी स्टॉक्स में भी मजबूती का रुख देखा जा रहा है।

इसी क्रम में आईटीसी, हीरो मोटोकॉर्प, एचपीसीएल और आईओसी जैसी कंपनियों के शेयर चढ़े जबकि बजाज ऑटो, टाटा मोटर्स डीवीआर और कोल इंडिया के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। 9:42 बजे सेंसेक्स 48.25 अंक की बढ़ोतरी के साथ 31,545 और 17.90 अंकों की तेजी के साथ निफ्टी 9,877 अंकों पर ट्रेड कर रहे थे।

राजस्थान में ऑनलाइन वाहन प्रदूषण जांच केन्द्र लांच

  • सड़कों के बाद परिवहन क्षेत्र में भी अग्रणी बनेगा प्रदेश,- परिवहन मंत्री

  • जयपुर में सभी 154 वाहन प्रदूषण जांच केन्द्र अब ऑनलाइन 

  • वाहन प्रदूषण जांच का दायरा 5 प्रतिशत से बढाकर 100 प्रतिशत करने का लक्ष्य

जयपुर। परिवहन मंत्री  यूनुस खान ने कहा है कि राजस्थान नवाचारों का प्रदेश है और जिस तरह आज सड़कों के क्षेत्र में प्रदेश अग्रणी बन चुका है, परिवहन के क्षेत्र में भी पूरा देश राजस्थान की ओर उम्मीद से देख रहा है।

खान ने मंगलवार दोपहर अजमेर रोड स्थित हीरा सर्विस स्टेशन पर कई नवाचारों से युक्त योजना ‘राजस्थान मोटरयान प्रदूषण जांच केन्द्र योजना(ऑनलाइन)-2017’ लांच करते हुए यह बात कही।

परिवहन मंत्री ने योजना की प्रति जारी करने के साथ ही लैपटॉप पर मोबाइल एप एवं इसके लिए तैयार की गई वेबसाइट लांच की एवं प्रदूषण जांच केन्द्र पर एक राजकीय वाहन का ऑनलाइन वाहन प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र जारी करवाकर योजना का शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में सम्बोधित करते हुए  खान ने कहा कि राज्य में चल रहे करीब 1 करोड़ वाहनों में से केवल 5 प्रतिशत ही प्रदूषण जांच करवाते हैं।

विभाग ने इस स्थिति को बदलकर पारदर्शिता के साथ 100 प्रतिशत वाहनों को प्रदूषण जांच के दायरे में लाने का बीड़ा उठाया है ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ी प्रदूषण मुक्त हवा में स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर सके। प्रदूषण जांच को प्रोत्साहित करने के लिए योजना में कई तरह के प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदूषण जांच की ऑनलाइन योजना से राज्य में करीब 20 हजार युवाओं को निवेश के साथ प्रशिक्षण उपरान्त प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा समय-समय पर वाहन जनित वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के सम्बन्ध में दिए गए निर्देशों की भी पालना संभव हो सकेगी।

इसे जयपुर से प्रारम्भ कर राज्य के सभी 4 हजार से अधिक पेट्रोल पम्पों तक विस्तृत किया जाएगा। उन्होनें प्रदूषण नियंत्रण को सामाजिक सरोकार का कार्य बताते हुए पेट्रोल पम्प डीलर्स से इसमें सहयोग का आह्वान किया। 

खान ने विभाग के अधिकारियों को राजकीय वाहनों को भी प्रदूषण जांच की समान प्रक्रिया से गुजारने और नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए। 

खान ने बताया कि हाल ही बडोदरा में हुई परिवहन विकास परिषद की 38वीं बैठक में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री  नितिन गडकरी द्वारा राजस्थान को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि विभिन्न प्रदेशों में सभी हितधारकों से विचार-विमर्श और वहां के परिवहन मंत्रियों के साथ मिलकर इस क्षेत्र की समस्याओं के समाधान सुझाएं। 

उन्हाेंंने बताया कि अब लगभग हर माह परिवहन क्षेत्र की कोई न कोई योजना या नवाचार सामने आएगा।  इन नवाचारों के जरिए परिवहन के मामले में भी प्रदेश को देशभर में पहले नम्बर पर लाने के प्रयास किए जाएंगे।

परिवहन विभाग के प्रमुख शासन सचिव एवं आयुक्त शैलेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि वाहन प्रदूषण जांच की ऑनलाइन प्रक्रिया पूर्णतया पारदर्शी है जिसमें मानवीय हस्तक्षेप की आंशका पूर्णतया खत्म हो गई है।

वाहन जनित प्रदूषण पर प्रभावी रोक लगाने के लिए तकनीकी के माध्यम से यह जानकारी विभाग के पास रहेगी कि कितने वाहनों ने प्रदूषण जांच नहीं कराई है और तब प्रवर्तन द्वारा ऎसे वाहनों पर कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी को स्वच्छ हवा और वातावरण मिले इसके लिए हम सभी को प्रयास करना होगा।