Tuesday, October 8, 2024
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त्योहारी खरीदारी से उछला सोना, चांदी 250 रुपए तेज

नई दिल्ली/ कोटा । बुधवार के कारोबार में सोने की कीमतों में मामूली उछाल देखने को मिला। आज सोना 50 रुपए उछलकर 30,600 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है। सोने में इस तेजी की प्रमुख वजह वैश्विक रुप से मजबूत रुझान और त्यौहारी मौके पर तेज खरीदारी को माना जा रहा है।

वहीं दूसरी तरफ चांदी भी 250 रुपए सुधरकर 40,450 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गई है। इसकी प्रमुख वजह औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ओर से तेज खरीदारी को माना जा रहा है।

व्यापारी वर्ग का मानना है कि फेस्टिव सीजन में स्थानीय आभूषण निर्माताओं की ओर से हुई तेज खरीदारी के इतर, डॉलर की कमजोरी के चलते वैश्विक रुप से मजबूत रूझान ने सेफ हेवन के रुप में सोने के पक्ष को मजबूत किया है।

वहीं वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोना 0.37 फीसद की तेजी के साथ 1,275.80 डॉलर प्रति औंस और चांदी 0.81 फीसद की तेजी के साथ 16.75 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर बंद हुई है।

अगर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो 99.9 फीसद और 99.5 फीसद शुद्धता वाला सोना 50 रुपए बढ़कर 30,600 और 30,450 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ गया है।

मंगलवार के कारोबार में सोना 200 रुपए टूटकर 30,550 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि आज गिन्ने के भाव 24,700 प्रति आठ ग्राम टुकडा पर बरकरार रहे हैं।

कोटा सर्राफा : चांदी 40000 रुपए प्रति किलोग्राम, सोना केटबरी 30350 रुपए प्रति 10 ग्राम 35400 रुपए प्रति तोला, सोना शुद्ध 30500 रुपए प्रति10 ग्राम 35570 रुपए प्रति तोला।

20 लाख से ज्यादा कारोबारियों ने दाखिल नहीं किया जीएसटी रिटर्न

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  • जीएसटीआर-1 फॉर्म में 10 अक्तूबर तक भरनी है, जबकि खरीद रिटर्न की जानकारी देने के लिए जीएसटीआर-2 फॉर्म की तिथि 31 अक्तूबर है।

  • अंतिम जीएसटीआर-3 दाखिल करने की तिथि 10 नवंबर है, इसमें जीएसटीआर- 1 और 2 का इसमें मिलान होगा।

नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद जुलाई की अंतिम रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि नजदीक आने के साथ ही सुशील मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने जीएसटीएन से अब तक रिटर्न न दाखिल करने वालों को रिमाइंडर भेजने के लिए कहा है। 20 लाख से ज्यादा कारोबारियों ने अभी तक कर फॉर्म जमा नहीं किए हैं।

उद्यमियों को जुलाई महीने की अंतिम ब्रिकी रिटर्न जीएसटीआर-1 फॉर्म में 10 अक्तूबर तक भरनी है, जबकि खरीद रिटर्न की जानकारी देने के लिए जीएसटीआर-2 फॉर्म की तिथि 31 अक्तूबर है। अंतिम जीएसटीआर-3 दाखिल करने की तिथि 10 नवंबर है, इसमें जीएसटीआर- 1 और 2 का इसमें मिलान होगा।

दूसरी बैठक के दौरान जीओएम के चेयरमैन और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, ‘अब तक 33 लाख व्यवसायों ने जुलाई के लिए जीएसटीआर-1 दाखिल कर दिया है, जबकि 53 लाख ने प्रारंभिक जीएसटी -3बी रिटर्न दाखिल किया था। इस लिहाज से 20 लाख और कारोबारियों को अगले 6 दिन में रिटर्न दाखिल करना है।

हम लोगों से अपील करते है कि वह समय पर रिटर्न दाखिल करें। उन्होंने आगे कहा कि इन्फोसिस ने उन लोगों की सूची तैयार की है, जिन्होंने अब तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है। जीएसटीएन इन 20 लाख व्यवसायियों को संदेश भेजकर रिटर्न दाखिल करने की याद दिलाएगा।

इसके अतिरिक्त, मंत्रियों के समूह ने इन्फोसिस से जीएसटीआर-2 दाखिल (11 से 31 अक्तूबर) करने के दौरान पोर्टल पर पड़ने वाले दबाव से निपटने की तैयारियों के बारे में भी पूछा। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए दूसरी बड़ी चुनौती है। चुनौती से निपटने के लिए हमने इन्फोसिस को तैयार रहने के लिए कहा है।

समर्थन मूल्य पर अब 169 केन्द्रों पर होगी खरीद,15 और बढ़ाए

जयपुर। राज्य में समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द, मूंगफली एवं सोयाबीन की खरीद के लिए 15 नए खरीद केन्द्र और बनाए गए हैं। अब राज्य में समर्थन मूल्य पर खरीद हेतु 169 केन्द्र हो गए हैं। मूंग के लिए 87, उड़द के लिए 29, मूंगफली के लिए 32 तथा सोयाबीन के लिए 21 खरीद केन्द्र बनाए गए हैं।

प्रारम्भ में मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की खरीद प्रारम्भ की गई है तथा अगले पखवाड़े से मूंगफली की खरीद शुरू हो जाएगी। मूंग, उड़द, मूंगफली एवं सोयाबीन की आवक के आधार पर राज्य सरकार आवश्यकतानुसार अतिरिक्त खरीद केन्द्र स्थापित करने में नहीं हिचकेगी।

राज्य सरकार किसानों को उनकी गाढ़े पसीने से उपजाई उपज को बेचने में किसी प्रकार की परेशानी न होने देने के लिए कृतसंकल्प है। यह जानकारी सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने बुधवार को दी।  किलक ने बताया कि किसानों में ऑनलाइन पंजीयन के प्रति भारी उत्साह है।

मात्र दो दिनों में 10 हजार 152 किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवा लिया है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से किसान बिना किसी परेशानी के निर्धारित दिवस को अपनी उपज को बेच सकेंगे तथा उसका भुगतान घर बैठे उनके खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि यदि किसी किसान की उपज 25 क्विंटल से अधिक है तो उसे चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। ऑनलाइन पंजीयन के दौरान स्वतः ही उसे आगे की एक और दिनांक आवंटित कर दी जाएगी, उस दिन वह अपनी शेष उपज को खरीद केन्द्र पर आकर बेच सकेगा।            

सहकारिता मंत्री ने बताया कि खरीद केन्द्रों पर उपज की गुणवत्ता के संबंध में विवादों के मौके पर ही निराकरण हेतु कमेटी का गठन कर दिया है।

खरीद केन्द्र से संबंधित क्रय-विक्रय सहकारी समिति के व्यवस्थापक या केन्द्र प्रभारी, नेफैड द्वारा नियुक्त किस्म निरीक्षक/सर्वेयर, संबंधित कृषि उपज मंडी समिति के सचिव या उसका प्रतिनिधि तथा कृषि विभाग के संबंधित कृषि पर्यवेक्षक को मिलाकर कमेटी बनाई गई है, जो गुणवत्ता से संबंधित प्रकरणों का मौके पर ही निस्तारण करेगी।

मूंग के लिए 17 जिलों में 87 केन्द्र            
 किलक ने बताया कि मूंग खरीद के लिए 17 जिलों में 87 केन्द्र बनाए गए हैं। मूंग के लिए खोले गए खरीद केन्द्रों मेंअजमेर के केकड़ी, किशनगढ़, सरवाड़, नसीराबाद, अजमेर व विजयनगर, नागौर के डेगाना, मेड़ता, जायल(नागौर समिति), कुचामनसिटी, खींवसर, परबतसर, नागौर, बेंसरोली (गच्छीपुरा समिति) व डीडवाना, भीलवाड़ा के भीलवाड़ा, शाहपुरा एवं गुलाबपुरा, टोंक के मालपुरा, टोडारायसिंह, टोंक एवं निवाई, जयपुर के सांभर, फागी, दूदू, कूकरखेड़ा व चौमूं, सीकर के सीकर, श्रीमाधोपुर, दातारामगढ़, लक्ष्मणगढ़ व नीमकाथाना, झुंझुनूं के झुंझुनूं, चिड़ावा, उदयपुरवाटी, नवलगढ़ व सूरजगढ़ एवं दौसा जिले में दौसा शामिल हैं।            

इसी प्रकार जोधपुर के जोधपुर, फलौदी, बालेसर, मथानिया, भोपालगढ़, पीपाड़, बावड़ी, औंसिया(मथानिया) व बिलाड़ा, बाड़मेर के बालोतरा एवं बायतु, पाली के सुमेरपुर, पाली, जैतारण व सोजत रोड़, बीकानेर के बीकानेर एवं नौखा, जालोर के जालोर व भीनमाल, जैसलमेर के राजमथाई, 2पीटीएम, चांधन, फतेहगढ़ व मोहनगढ़, हनुमानगढ़ में नोहर, संगरिया, भादरा, रावतसर, हनुमानगढ़ जंक्शन, हनुमानगढ़ टाउन एवं गोलूवाला, श्री गंगानगर के श्रीकरणपुर, पदमपुर, श्रीविजयनगर, सूरतगढ़, बीझबायला, घड़साना, रायसिंहनगर, समेजाकोठी, केसरीसिंहपुर, रावला, अनूपगढ़, गजसिंहपुर, जेतसर, रिड़मलसर एवं सार्दुलशहर तथा चूरू के चूरू, सुजानगढ़ व सादुलपुर केन्द्रों पर मूंग की खरीद होगी।

उड़द के लिए 10 जिलों में 29 केन्द्र            
सहकारिता मंत्री ने बताया कि उड़द के लिए 10 जिलों में 29 केन्द्र खोले गए हैं। इन खरीद केन्द्रों में कोटा में कोटा, सुल्तानपुर, इटावा एवं रामगंजमण्डी, झालावाड़ में भवानी मंडी, झालरापाटन एवं खानपुर, बूंदी में बूंदी व नैनवा(देई), बांरा में बांरा व अटरू, प्रतापगढ़ में प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ में निम्बाहेड़ा एवं बड़ी सादड़ी, टोंक में टोंक, निवाई, उनियारा, देवली व दूनी शामिल हैं।            

इसी प्रकार अजमेर में केकड़ी, सरवाड़ व विजयनगर, भीलवाड़ा में शाहपुरा, माण्डलगढ़, जहाजपुर, गुलाबपुरा व भीलवाड़ा तथा सवाईमाधोपुर में सवाईमाधोपुर एवं चौथ का बरवाड़ा खरीद केन्द्र बनाए गए हैं।

सोयाबीन के लिए 6 जिलों में 21 केन्द्र            
 किलक ने बताया कि कोटा खण्ड में सर्वाधिक 18 केन्द्र जबकि उदयपुर में तीन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। कोटा में कोटा, सुल्तानपुर, इटावा, रामगंज मण्डी एवं सांगोद, बांरा में बांरा, अन्ता, अटरू, छबड़ा व छीपाबड़ौद, बूंदी में बूंदी, कापरेन व देई, झालावाड़ में झालरापाटन, खानपुर, इकलेरा, भवानी मंडी व चौमहला, प्रतापगढ़ में प्रतापगढ़ तथा चित्तौडगढ़ में छोटी सादड़ी एवं निम्बाहेड़ा केन्द्रों पर उड़द की खरीद होगी।

मूंगफली के लिए 12 जिलों के 32 केन्द्र            
सहकारिता मंत्री ने बताया कि भीलवाड़ा में भीलवाड़ा, नागौर में मेड़ता, कुचामन एवं नागौर, टोंक में टोंक, मालपुरा एवं निवाई, जयपुर में चौमूं, कूकरखेड़ा एवं चाकसू, सीकर में श्रीमाधोपुर एवं सीकर तथा दौसा में दौसा एवं लालसोट में स्थित केन्द्रों पर मूंगफली की खरीद की जाएगी।            

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार जोधपुर में बालेसर, जोधपुर, मथानिया, औंसिया एवं फलौदी, जैसलमेर में पोकरण, चांधन, राजमथाई एवं 2पीटीएम, बीकानेर में बीकानेर, नोखा, श्रीडूंगरगढ़ एवं लूणकरणसर, चूरू में सरदारशहर एवं सुजानगढ़ तथा हनुमानगढ़ में रावतसर, सिरोही में फतहनगर एवं रेवदर केन्द्र पर खरीद की जाएगी।

तेल-तिलहन अनुज्ञापन प्रणाली की अवधि 30 सितम्बर 2018 तक बढाई
राज्य सरकार द्वारा तेल-तिलहनों के ऊपर अनुज्ञापन प्रणाली की अवधि 30 सितम्बर 2018 तक बढ़ा दी गई है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा राजस्थान व्यापारिक वस्तु (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) आदेश, 1980 के अंतर्गत तेल-तिलहनों के ऊपर अनुज्ञापन प्रणाली वर्ष 2015 में लागू की गई थी।

भारत सरकार की ओर से 27 सितम्बर 2017 को जारी अधिसूचना के क्रम में राज्य सरकार द्वारा तेल-तिलहन की अनुज्ञापन संबंधी प्रावधानों की पालना हेतु 29 सितम्बर 2017 को अधिसूचना जारी कर अनुज्ञापन व्यवस्था 30 सितम्बर 2018 तक निरन्तर लागू रखने के आदेश जारी किये गये हैं।

बेस्ट प्राइस स्टोर्स पर स्वदेशी उत्पादों की शानदार रेंज

कोटा।  इस दीपावली त्योहारी सीजऩ पर देश में ही विकसित उच्च क्वालिटी में उत्पादों के विशिष्ट वर्गीकरण के अलावा कम कीमतों एवं ज्यादा सुविधा के साथ मिशन – ’’ऐनेबलिंग बिजऩेसिस टू प्रॉस्पर … ऐवरी सिंगल मैम्बर’’ पर वालमार्ट इंडिया की ओर से कोटा के बैस्ट प्राइस स्टोर्स में सभी ग्राहकों को गुणवत्ता, विशिष्टता, कीमत व अनूठेपन के ज्यादा लाभ व सर्वोत्तम सुविधा समाधान प्रदान की हैं।

वालमार्ट के सदस्य सभी बेस्ट प्राइस स्टोर्स में लाल व सुनहरे रंगों की थीम के द्वारा कंपनी के अपने ब्रांडों की पहचान कर सकेंगे। वालमार्ट इंडिया के प्रेसिडेंट व सीईओ कृष अय्यर ने कहा, ’’ इस दिवाली के लिए वालमार्ट इंडिया ने दिल्ली एनसीआर, पंजाब व उत्तर प्रदेश के छोटे व स्थानीय विनिर्माताओं के साथ करीबी से काम करते हुए मेक इन इंडिया विजऩ को समर्थन दिया है तथा महिलाओं के स्वामित्व वाले कुछ उद्यमों के साथ मिलकर भी विशिष्ट उत्पाद तैयार किए हैं।

ये स्वदेशी उत्पाद व साथ में गिफ्टिंग सॉल्यूशंस एवं अन्य ऐक्सक्लूसिव उत्पाद अपनी आकर्षक कीमतों के साथ किराना/रिसैलर, होटलों, रेस्त्राओं, केटरर, दफ्तरों व संस्थानों के लिए स्टोर में उपलब्ध हैं । सदस्य मर्चेंडाइज़ की भरपूर उपलब्धता एवं स्टोर में आने के अनुभव को व गिफ्टिंग सॉल्यूशन में बहुत दिलचस्पी जगा रहे हैं ।

इस वर्ष भी 200 किलोमीटर तक के दायरे में दिवाली मर्चेंडाइज़ के विशेष ऑफर पहुंचा रहे हैं। बेस्ट प्राइस स्टोर्स ’यूनीक गिफ्टिंग आइडियाज़’ के ऐसे केन्द्र हैं जहां कारोबारी सहयोगियों, कर्मचारियों व क्लाइंट्स के लिए आकर्षक व अनूठे उत्पादों व स्मार्ट सॉल्यूशंस उपलब्ध हैं। स्टोर के सदस्य चॉकलेट से लेकर ड्राइ फ्रूट्स बॉक्स तक, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर घरेलू सामान तक, सेलिब्रेशन पैक से लेकर कॉर्पोरेट गिफ्ट्स तक बहुत कुछ चुन सकते हैं।

‘अवाया’ करेगी कोटा में शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग

कोटा। अवाया’ ने बुधवार को कोटा में बहुमूल्य शिक्षा क्षेत्र में अपने बढ़ते कदमों की महत्वपूर्ण घोषणा की. हर साल कोचिंग संस्थानों के समूहों में करीब 150,000 छात्र नामांकन कराते हैं. पिछले 20 सालों में करीब 25 बड़े और 100 छोटे कोचिंग संस्थानों ने कोटा में अपनी उपस्थिति को और मजबूती दी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय घरेलू बजट का करीब 11-12 प्रतिशत हिस्सा कोचिंग संस्थानों पर खर्च किया जाता है। इसी प्रकार सन 2018 तक ग्लोबल ट्यूटोरिंग मार्केट के 102.8 अरब डॉलर के आंकड़े को भी पार कर जाने की सम्भवना है।

इसके अंतर्गत अवाया इस क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को और बढ़ाने के लिए कम्युनिकेशन सॉल्यूशंस की विस्तृत रेंज प्रदान करेगी जिसमें ‘अवाया स्कोपिया’ तथा ‘अवाया आईपी ऑफिस’ आदि शामिल होंगे।अवाया के वीडियो सॉल्यूशंस, विभिन्न शिक्षण संस्थानों के लिए उनकी क्लासों को दूरदराज के इलाकों में विद्यार्थियों तक पहुँचाने में मदद करेंगे ।

उन फैकल्टीज और अन्य संस्थानों की टीम्स के साथ मिलकर, विद्यार्थियों के सीखने की सीमा में भी वृद्धि करेंगे। ‘अवाया स्कोपिया’ एक पॉवरफुल लर्निंग टूल है, प्रशिक्षण से सम्बंधित दक्षता को अधिक सक्षम बनाएगा तथा विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के वीडियो द्वारा परिष्कृत अध्यन के अनुभव से भी जोड़ेगा।

‘अवाया आईपी ऑफिस’ का टेलीफोनी फीचर, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को इनरोलमेंट के उन व्यस्ततम महीनों में भी इनकमिंग इंक्वायरी कॉल्स के प्रबंधन में बहुत मदद करेगा ।

मेले में आये विदेशी पावणा, गजक का स्वाद लिया

– कमल सिंह यदुवंशी
कोटा। निगम कोटा की ओर से आयोजित मेला दशहरा 2017 में मंगलवार शाम को मेले में सरहद पार से भी विदेशी पावणा आये और मेले को करीब से देखा। जर्मनी से आए इस 24 सदस्यीय दल में युवा मेल फीमेल शामिल है। यह दल उदयपुर से कोटा पहुँचे ओर मेले में घूमे।

कोटा दशहरा मेले का आनंद लेते विदेशी सैलानी।

जर्मनी के टोनी व प्रेटरा ने बताया कि मेला वाकई बहुत खूबसूरत है और यहां प्रदर्शनियों में कई अहम जानकारियां ली है। मेले में लोकसंस्कृति को करीब से देखा तो अच्छा लगा। मेला समिति सदस्य पार्षद मीनाक्षी खंडेलवाल ने इन सैलानियों को जानकारियां दी। पर्यटकों ने झूला बाजार, सॉफ्टी बाजार, फ़ूड कोर्ट, विजयश्री रंगमंच देखा।

अरुंधती की जगह रजनीश कुमार होंगे एसबीआई के नए चेयरमैन

नई दिल्ली । सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के अगले चेयरमैन रजनीश कुमार होगें। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। रजनीश कुमार फिलहाल एसबीआई के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। रजनीश एसबीआई में अरुंधती भट्टाचार्या की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल इसी हफ्ते खत्म हो रहा है।

कौन हैं रजनीश कुमार: साल 2015 में रजनीश नेशनल बैंकिंग ग्रुप में बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त हुए थे, इससे पहले वह एसबीआई के मर्चेंट बैंकिंग विभाग और एसबीआई कैपिटल मार्केट को हेड कर चुके हैं। रजनीश ने साल 1980 में प्रोबेश्नरी ऑफिसर के तौर पर एसबीआई ज्वाइन किया था।

भट्टाचार्या को 2016 में मिला था सेवा विस्तार: एसबीआई की मौजूदा चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्या को साल 2016 में सेवा विस्तार दिया गया था। भट्टाचार्य ने साल 2013 में इस पद को संभाला था। साल 2016 में उनको मिला एक साल का एक्सटेंशन इस हफ्ते समाप्त होने जा रहा है। अरुंधति भट्टाचार्य भारतीय स्टेट बैंक की पहली महिला चेयरपर्सन रही हैं। एसबीआई की चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक नियुक्त किए जाने से पहले अरुंधती एसबीआई कैप की चेयरमैन थीं।

सेंसेक्स 174 अंक चढ़कर 31,671 पर बंद, निफ़्टी में सुधार

नई दिल्ली। शेयर बाजार में बुधवार को तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 174 अंक चढ़कर 31,671 पर जबकि निफ्टी 55 अंक  की तेजी के साथ 99,14 पॉइंट पर बंद हुआ। रिजर्व बैंक की नई मौद्रिक नीति को लेकर बाजार में आज सकारात्मक रुख रहा।

बुधवार को शेयर बाजार के दोनों सूचकांक मामूली बढ़त के साथ खुले थे। 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 23.25 अंक चढ़कर 31520.63 जबकि 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 12.45 अंकों की तेजी के साथ 9871.95 पॉइंट पर खुला।

कुल मिलाकर बाजार में कारोबार की शुरुआत पॉजिटिव नोट पर हुई थी। शुरुआती कारोबार में मिडकैप शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया जबकि सेक्टर के लिहाज से मेटल कंपनियों के शेयरों ने तेजी दिखाई। साथ ही, ऑटो, एफएमसीजी और एनर्जी स्टॉक्स में भी मजबूती का रुख देखी गई।

रिजर्व बैंक ने नहीं किया नीतिगत दरों में बदलाव

मौद्रिक नीति समीक्षा : मुख्य नीतिगत दर रीपो 6 प्रतिशत पर बरकरार है, जो पिछले साढ़े छह साल का न्यूनतम स्तर है, वहीं, रिवर्स रीपो रेट भी 5.75 प्रतिशत जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत पर कायम है

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसीसी) ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया।

इसके साथ ही मुख्य नीतिगत दर रीपो 6 प्रतिशत पर बरकरार है जो पिछले साढ़े छह साल का न्यूनतम स्तर है। वहीं, रिवर्स रीपो रेट भी 5.75 प्रतिशत जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत पर कायम है।

गौरतलब है कि पिछली बार अगस्त महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद रिजर्व बैंक ने रीपो रेट और रिवर्स रीपो रेट में 0.25% कटौती का ऐलान किया था।

केंद्र सरकार ने उम्मीद जताई थी कि रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए इस बार की मौद्रिक नीति समीक्षा में भी नीतिगत दर में कटौती करेगा।

उधर, कई विशेषज्ञों और उद्योग मंडलों ने भी मुद्रास्फीति में कमी और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये तत्काल कदम उठाए जाने के मद्देनजर प्रमुख नीतिगत दर में कटौती पर जोर दिया था।

हालांकि, बैंक के शीर्ष अधिकारियों ने मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होने का अनुमान जताया था।

देश के सबसे बड़े बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई 4 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बनाए रख सकता है। वह निम्न वृद्धि, मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच फंस गया है।

वहीं, मॉर्गन स्टैनली ने भी एक रिसर्च रिपोर्ट में मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बरकरार रखे जाने की बात कही थी। उसने इसकी वजह बढ़ती मुद्रास्फीति और इसमें और बढ़ोतरी बताया।

गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक ने अगस्त महीने में पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति जोखिम में कमी का हवाला देते हुए रीपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6 प्रतिशत कर दिया था।

अगस्त महीने में खुदरा मुद्रास्फीति सब्जी और फलों के महंगा होने के कारण पांच महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 2.36 प्रतिशत थी।

ब्याज में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता – आरबीआई

नई दिल्ली। ब्याज दरों में कटौती होती है या नहीं इसका फैसला तो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल बुधवार को कर ही देंगे लेकिन अब यह तय है कि केंद्रीय बैंक के रेपो रेट में जितनी कटौती करेगा उसका पूरा फायदा आम जनता को सस्ते कर्ज के रूप में मिलने लगेगा।

आरबीआइ इस बात से खासा नाराज है कि कई बार चेतावनी देने के बावजूद कर्ज की दरों को तय करने को लेकर बैंक बहुत पारदर्शी तरीका नहीं अपना रहे हैं। रेपो रेट में जितनी कटौती आरबीआइ करता है उसका पूरा फायदा बैंक ग्राहकों को नहीं देते हैं।

बैंकों की तरफ से कर्ज की दर तय करने के तरीके में बदलाव की घोषणा मौद्रिक नीति की समीक्षा के साथ केंद्रीय बैंक बुधवार को कर सकता है। कर्ज की दरों को तय करने का मौजूदा तरीका (मार्जिनल कॉस्ट आफ फंड बेस्ड रेट्स-एमसीएलआर) अप्रैल, 2016 से लागू किया गया है लेकिन आरबीआइ इससे संतुष्ट नहीं है।

एमसीएलआर के तहत बैंक जो दर तय करते हैं उससे कम दर पर वे अमूमन कर्ज नहीं देते। इसकी समीक्षा के लिए आरबीआइ ने एक आंतरिक समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही सौंपी है।

समिति की सिफारिशों के आधार पर ही अब केंद्रीय बैंक कर्ज की दर तय करने का नया तरीका बैंकों के लिए बनाएगा जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह ज्यादा पारदर्शी होगा।

अगस्त, 2017 की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआइ गवर्नर ने कहा था कि ऐसी व्यवस्था करनी जरूरी है कि आरबीआइ की तरफ से की जा रही कटौती का सीधा असर कर्ज की दरों पर पड़े। अगर ऐसा नहीं होता है तो अर्थव्यवस्था पर ब्याज दरों के असर की सही समीक्षा नहीं हो सकती है।

बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक मौजूदा गवर्नर पटेल के अलावा पूर्व गवर्नर डा. रघुराम राजन भी कई बार इस बात पर चिंता जता चुके हैं कि वह बैंकों को ब्याज दरों में जितनी कटौती का अवसर देते हैं उतना फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता।

उदाहरण के तौर पर जनवरी, 2015 के बाद से रेपो रेट में 200 आधार अंकों (दो फीसद) की कटौती हुई लेकिन बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में बमुश्किल 90 आधार अंकों (0.90 फीसद) या 100 अंकों (एक फीसद) की कटौती की गई।

उधर, मौद्रिक नीति की समीक्षा से ठीक पहले उद्योग जगत की तफ से ब्याज दरों में भारी भरकम कटौती की मांग आ रही है। प्रमुख उद्योग चैंबर सीआइआइ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए रेपो रेट में 100 आधार अंकों यानी एक फीसद की कटौती होनी चाहिए।

सीआइआइ का कहना है कि अभी बिल्कुल नई सोच की जरूरत है। निजी निवेश बिल्कुल ठप है और कर्ज को सस्ता करने से निवेश में तेजी लाई जा सकती है। हालांकि बैंकिंग उद्योग में इस बात की लगभग आम राय है कि ब्याज दरों को अभी मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखा जाएगा।

इसके पीछे महंगाई की दर को वजह बताया जा रहा है जिसमें थोड़ी वृद्धि हुई है। अन्य जानकार भी मान रहे हैं कि ब्याज दरों में कटौती तो होगी लेकिन शायद इस बार न हो। इसके लिए दिसंबर, 2017 की समीक्षा का इंतजार करना पड़ सकता है।