कोटा। मेरे लिए आज का दिन ही दिवाली है… आज सबसे बड़ा त्योहार है… मेरा बेटा सीने पर गोलियां खाकर जिंदा लौटा है, यह उसका पुनर्जन्म है। यह कहना है चेतन चीता की मां सुभद्रा देवी का।
शुक्रवार शाम जैसे ही चेतन खेड़ली फाटक अपने घर पहुंचे तो परिजनों और मोहल्लेवासियों ने दीपक जलाकर और पटाखे फोड़कर उनका स्वागत किया। सबसे पहले मां ने चीता की आरती उतारी, उनका मुंह मीठा करवाया और फिर विधि-विधान पूर्वक घर में प्रवेश करवाया।
पिता रामगोपाल चीता ने भी बेटे चेतन की आरती उतारी। चेतन ने भी मां को प्रणाम किया और गले लगाया। मोहल्लेवासियों दोस्तों ने खुशी का इजहार करने के लिए करीब 15 मिनट तक आतिशबाजी की। पूरी गली को तिरंगे रंग के गुब्बारों से विशेष रूप से सजाया गया था।
चीता ने घर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले अपनी तीन महीने की भतीजी मोक्षदा को चूमा। काफी देर तक चेतन मोक्षदा को निहारते रहे और फिर बोले- मेरी भतीजी बड़ी खूबसूरत है। चेतन ने उसे गोदी में लेने का प्रयास किया, लेकिन हाथ में चोट की वजह से वे नहीं ले पाए। उसकी टोपी हटाई और उसके सर पर हाथ फेरा।
इससे पहले जिंदगी की जंग जीतने के बाद पहली बार कोटा आए सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता की शहरवासियों ने गर्मजोशी से अगवानी की। हर पहलू पर मीडियाकर्मियों कोचिंग स्टूडेंट्स से खुलकर बात की।
फ्लाइट लैंड होते ही गूंज उठे भारत माता के जयकारे
एयरपोर्ट पर 2:55 बजे जैसे ही उनकी फ्लाइट ने लैंड किया तो यहां पहले से मौजूद हुजूम ने भारत माता के जयकारे लगाने शुरू कर दिए।
चीता, उनकी पत्नी उमा सिंह, बेटा दुष्यंत और बेटी रिनय फ्लाइट से बाहर आए तो चीता के पिता रामगोपाल मां सुभद्रा ने उनकी अगवानी की।
लाउंज एरिया से बाहर आने के बाद भीड़ ने उन्हें घेर लिया और जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। यहां उनके लिए काफिला तैयार था, जिसमें खुली जीप, देशभक्ति के गाने बजाते डीजे शामिल थे।