लॉकडाउन की परेशानी का चित्रण करती शॉर्ट फिल्म ‘सोमोयर स्मृतिमाला’ रिलीज़

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कोटा। Somoyer Smritimala: गौतम घोष द्वारा निर्देशित 35 मिनट की शॉर्ट फिल्म सोमोयर स्मृतिमाला कोलकाता में रहने वाले एक दंपत्ति 50 वर्ष के करीब के लेखक कबीर बसु और उनकी टीचर पत्नी सुमिता के परिदृश्य में लॉकडाउन के साथ आई अनिश्चितता और परेशानी का चित्रण करती है।रॉयल स्टैग बैरेल सलेक्ट लार्ज शॉर्ट फिल्म्स ने अपनी नई शॉर्ट फिल्म ‘सोमोयर स्मृतिमाला’ रिलीज़ की है।

फिल्म की शुरुआत में आए एक फ्रेम से स्पष्ट हो जाता है कि सोमोयर स्मृतिमाला महामारी की शुरुआत पूरे देश में मार्च 2020 लॉकडाउन की पृष्ठभूमि में स्थित एक हृदयस्पर्शी फिल्म है। फिल्म की शुरुआत ताजा हवा और शांति पाने की कबीर और सुमिता की व्याकुलता के साथ होती है, जब वो शहर से बाहर एक सड़क यात्रा पर निकलते हैं। उनके इस सफर में यह फिल्म समय में आगे-पीछे चलती रहती है और महामारी के साथ आई चुनौतियों का चित्रण करती है।

वर्चुअल क्लासरूम्स से लेकर अस्पताल के डरावने माहौल और मानसिक स्वास्थ्य के संकट से लेकर प्रवासी मजदूरों की तकलीफों तक यह शॉर्ट फिल्म कोविड-19 महामारी के अप्रत्याशित परिणामों पर विस्तार से रोशनी डालती है। इस शॉर्ट फिल्म के बारे में गौतम घोष ने कहा, ‘‘महामारी के दौरान भावनात्मक उतार-चढ़ाव के अनुभवों को 35 मिनट में पूरी तरह से चित्रित कर पाना काल्पनिक रूप से असंभव है।

सोमोयर स्मृतिमाला कोलकाता में रहने वाले एक दंपत्ति के नजरिए से यह चित्रित करने का एक प्रयास है कि महामारी के दौरान हमारे चारों ओर की दुनिया में क्या परिवर्तन आया। इस फिल्म में यह समझने की कोशिश की गई है कि महामारी ने रहस्यमयी तरीके से संबंधों और मानवीय मनोविज्ञान पर क्या प्रभाव डाला।

अभिनेता सुमन मुखोपाध्याय ने बताया, सोमोयर स्मृतिमाला में महामारी और उसके बाद लगे लॉकडाउन के साथ आई परेशानियों का अप्रतिम चित्रण किया गया है। मेरा किरदार, कबीर बसु सामाजिक-राजनैतिक मामलों के बारे में लिखना और पढ़ना पसंद करता है। लॉकडाउन के दौरान दिक्कतों का सामना करते हुए उसे अपनी इसी रचनात्मकता की खोज और अपनी पत्नी के साथ बिताए रोजमर्रा के पलों में शांति मिलती है।

अभिनेत्री गार्गी रॉय चौधरी ने कहा, ‘‘मेरा किरदार सुमिता एक टीचर है और महामारी के साथ आए एकांतपन से तालमेल बिठाने का संघर्ष कर रहा है। मुझे लगता है कि कई सारे दर्शक इसे अपने जीवन से जुड़ा हुआ पाएंगे। लेकिन अंत में उसे सुकून प्रकृति की गोद में ही मिलता है। महामारी को फिर से याद करना और हम सबके जीवन में आए उस मुश्किल समय का चित्रण करना एक अजीब अनुभव था।