कोटा। शहर में पिछले 24 घंटे में 748 नए कोराेना मरीज आए और कोविड हॉस्पिटल में 20 रोगियों की मौत हो गई। यहां के हालात देखकर लगता है कोविड अस्पतालों का सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। अस्पताल मरीजों को जिंदगी देने के बजाय मौत बांट रहे हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में तो दरवाजे पर ही मरीजों को मना कर दिया जाता है। वहीं मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करवाने के लिए भी सिफारिश करवानी पड़ रही है।
भर्ती मरीजों को भी ढंग से इलाज नहीं मिल रहा है। ऐसे ही एक मामले में नए अस्पताल में भर्ती मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट देने के बावजूद उसका ऑक्सीजन लेवल गिरते-गिरते 30 तक पहुंच गया। पूरे 31 घंटे तक परिजन नर्सिंग स्टाफ से लेकर डाॅक्टर तक के आगे गिडगिड़ाते रहे कि पेशेंट को आईसीयू में शिफ्ट कर दाे, वेंटिलेटर पर ले लाे, लेकिन हर बार एक ही जवाब मिला-बेड खाली नहीं है। आखिरकर महिला की मौत हो गई।
चिकित्सा व्यवस्था की नाकामी
बालाकुंड निवासी 32 साल की महिला मीनू काे दाे दिन से खांसी हाे रही थी। 6 मई की शाम काे अचानक सांस लेने में तकलीफ हाेने लगी ताे परिजन बसंत विहार स्थित प्राइवेट हाॅस्पिटल में ले गए। महिला के जेठ प्रेमनारायण ने बताया कि वहां से हमें यह कहकर मना कर दिया कि बेड खाली नहीं है।
हम झालावाड़ राेड के सारे हाॅस्पिटलों में गए, लेकिन कहीं जगह नहीं मिली। तलवंडी के एक हाॅस्पिटल में फाेन पर बात की ताे उन्हाेंने कहा कि बेड खाली है, लेकिन पहले मरीज काे चेक करेंगे। वहां डाॅक्टर ने चेक किया ताे ऑक्सीजन लेवल 45-50 आ रहा था। डाॅक्टर ने मेडिकल काॅलेज जाने की सलाह दी। जैसे-तैसे सिफारिश लगवाकर नए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
वहां स्टाफ ने हमसे ही ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम करने के लिए बोला। काफी जद्दोजहद के बाद डाॅक्टर ने वार्ड में भर्ती करवाया। वहां नर्सिंग स्टाफ ने कहा कि आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ेगा। हम आईसीयू के स्टाफ से बेड के लिए गिड़गिड़ाते रहे। वहां से जवाब मिला कि ऊपर से जैक लगवाकर लाओ तब बेड मिलेगा। बेड का इंतजार करते-करते 7 मई की रात 2 बजे मीनू की मौत हो गई।
कोटा में कोविड हॉस्पिटल में 20 मौतें
कोटा में शनिवार को 748 नए कोराेना मरीज आए और कोविड हॉस्पिटल में 20 रोगियों की मौत हो गई। जबकि सरकारी रिपोर्ट में 8 मौतें बताई गई हैं। वहीं 21 रेलकर्मी पॉजिटिव मिले हैं, जबकि एक की मौत हुई।