अवाडा फाउंडेशन राजस्थान और महाराष्ट्र में 300 बेड वाले चार अस्पताल शुरू करेगा

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कोटा। हमारा देश कोरोनावायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है और लोग अस्पताल में बिस्तर, ऑक्सीजन, दवाई के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर हैं, ख़ास तौर पर हमारे समाज का निम्न वर्ग। अवाडा फाउंडेशन लोगों को विभिन्न चिकित्सकीय संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए दिन रात कार्यरत है जैसे वेंटीलेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर और भोजन।

इस मुश्किल समय में हमें एक कदम आगे बढ़कर सहयोग करने की आवश्यकता महसूस हुई है। इसी कड़ी में, अवाडा फाउंडेशन ने निर्णय लिया है की महाराष्ट्र और राजस्थान में 300 बिस्तर वाले 4 अस्पताल बनाए जाएंगे और साथ ही 2 ऑक्सीजन प्लांट भी बनाये जाएंगे, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर सुविधाओं सहित।

अवाडा फाउंडेशन, जो की अवाडा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज का लोकोपकारी अंग है, कई प्रकार के सामाजिक उत्थान की गतिविधियों में शामिल है, जिसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है बच्चों की शिक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा, कौशल विकास, महिलाओं का उत्थान आदि।

अवाडा फाउंडेशन का भारत के इस सिद्धांत में अडिग विश्वास है की “हर इंसान अपने माता पिता का का ऋणी है जो उसे पाल पोस कर बड़ा करते हैं। वह अपने समाज और अपनी संस्कृति के प्रति भी अनुग्रहित है। भगवान् और ऋषिगण के प्रति उपकृत है। और सबसे ऊपर वह अपने पर्यावरण का ऋणी है, जो ऋण वह अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में चुकाने का प्रयास करता रहता है।

अच्छे कर्म कर हम अपने इन सभी ऋणों को चुका सकते हैं और निर्वाण की प्राप्ति कर सकते हैं।” इस कठिन समय में हमारे समाज और लोगों की सेवा करने में हमारे यही मूल्य दिशा दिखाने का काम करते हैं और हम खुद को सौभग्यशाली मानते हैं की हमें यह निःस्वार्थ सेवा करने का मौका मिल रहा है।

कोविड केसेस पूरे भारत में तेज़ी से बढ़ रहे हैं, और इसका बड़ा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है क्यूंकि इन क्षेत्रों में चिकित्सकीय सुविधाएँ कमजोर हैं और चिकित्सकों की भी कमी है जो इस प्रकार की गंभीर बिमारियों का इलाज कर सकें। ऐसे में ज़रूरी है की जल्द से जल्द कोविड रोगी की पहचान हो सके, ताकि संक्रमण को आगे फैलने से रोका जा सके और पहले ही परिस्थिति से जूझ रहे चिकित्सकीय सुविधाओं पर पड़ रहे दबाव को कम किया जा सके।

यह भी बेहद ज़रूरी है की कोविड के मरीज़ों को आइसोलेट किया जाए, जिससे संक्रमण को आगे बढ़ने से रोका जा सके। कोविड के 85 प्रतिशत मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं होती और उनका इलाज घर पर ही हो सकता है। लेकिन छोटे गाँव – कस्बों में केवल रोगियों के उपयोग के लिए अलग शौचालय ना होने के कारण रोगियों को घर पर आइसोलेट करना भी मुश्किल है।

जमीनी स्तर पर आने वाली इन परेशानियों को देखते हुए अवाडा फाउंडेशन ने कुछ चिन्हित जगहों पर अस्पताल और कोविड आइसोलेशन सेंटर खोलने का निर्णय लिया है। अवाडा फाउंडेशन इसके लिए जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, मुख्यमंत्री के कार्यालय के साथ लगातार ज़रूरी सामान की पूर्ति के लिए जुटा हुआ है। इस महामारी से लड़ने के लिए लगने वाले व्यापक संसाधनों को पूर्ती के लिए अवाडा फाउंडेशन सीआईआई फाउंडेशन के साथ काम कर रहा है, और इस योजना में सीआईआई फाउंडेशन का भी योगदान रहेगा। महाराष्ट्र और राजस्थान में हम निम्न सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।

इसके साथ ही गुजरात के सुंदरनगर के तलसाना गांव में अवाडा फाउंडेशन वहाँ के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की मदद कर रहा है ‘कोविड केयर सेंटर’ स्थापित करने में। हम मौजूदा स्वास्थ्य केंद्र का जीर्णोद्धार कर उसे आईसीयू वार्ड बना रहे हैं, सभी आधुनिक सुविधाएं जैसे आईसीयू बेड, सलाइन स्टैंड, दवाई का ट्रे आदि के साथ। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं की इस केंद्र पर 24 घंटे रोगियों के लिए अच्छा खाना, बिजली, पानी आदि सुविधाएं भी उपलब्ध रहें।

इस मुद्दे पर विनीत मित्तल – चेयरमैन अवाडा ग्रुप ने कहा, “भारत के इतिहास में ये समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस वक़्त ज़रूरी है की हम सब मिल कर इस कोरोनावायरस महामारी से लड़ने का हरसंभव प्रयास करें और अपनी भूमिका निभाएं। हमारा पूरा प्रयास और लक्ष्य है की हम ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैय्या कराएं, और उनकी मदद करें । आइसोलेशन बेड, दवाई, खाने के पदार्थ, ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर और वेंटिलेट उपलब्ध करवा कर सीआईआई फाउंडेशन और उनके सदस्यों की सहायता और उनका साथ हमें इस काम में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है।