फर्जी कागजातों के भरोसे शेयरों को हड़पने का खेल उजागर, 8 लोगों पर प्रतिबंध

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मुंबई। शेयर बाजार रेगुलेटर ने एक बड़ी कार्रवाई की है। शेयरों में खेल करने के आरोप में सेबी ने 8 लोगों पर शेयर बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। 26 लोगों पर डिपॉजिटरी कंपनियों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। एक धोखेबाज को 2.22 करोड़ रुपए 45 दिनों में लौटाने का भी आदेश दिया है।

सेबी ने इस संबंध में बुधवार को 89 पेज का ऑर्डर जारी किया। ऑर्डर में उसने कहा कि अरविंद गोयल को शेयर बाजार में खरीदी, बिक्री या म्यूचुअल फंड में सीधे या किसी और के जरिए या सिक्योरिटीज बाजार में किसी भी तरह के कारोबार पर 2 साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।

इस दौरान उनकी म्यूचुअल फंड की यूनिट और अन्य सिक्योरिटीज जब्त की जाएगी। इसके साथ ही उनको इस कारोबार से कमाई गई 2.22 करोड़ रुपए की रकम को 45 दिनों के अंदर जमा करने का आदेश दिया है।इस रकम पर सालाना 12% ब्याज भी चुकाना होगा। यह पैसा सेबी के इनवेस्टर प्रोटेक्शन एवं एजुकेशन फंड में जाएगा।

इसी मामले में अभय जावलेकर, यतीन पारेख, मनीष राठी, धर्मेंद्र भजक, रमेश डागा, जिग्नेश जैन, कौशिक सोलंकी को भी सिक्योरिटीज बाजार, म्यूचुअल फंड में कारोबार करने पर एक साल का प्रतिबंध लगाया गया है। सेबी ने ऑर्डर में कहा कि डिपोजिटरी कंपनियां 26 अन्य लोगों पर अपने नियमों के हिसाब से कार्रवाई करें।

सेबी ने कहा कि उसने 8 जनवरी 2014 को निष्क्रिय पड़े खातों में बोगस कागजातों का उपयोग कर शेयरों की खरीदी बिक्री के मामले की जांच की थी। इसमें ढेर सारे लोग शामिल थे। पता चला कि 14 सितंबर 2009 से 8 मार्च 2013 के दौरान शेयरों का ट्रांसफर किया गया।

3.56 लाख शेयरों को 26 लोगों के नाम से खरीदा
ये लोग 14 लिस्टेड कंपनियों के 3.56 लाख शेयरों को 26 लोगों के नाम से खरीद लिए। इन शेयरों की बाजार के भाव से कीमत 4.60 करोड़ रुपए थी। जांच में पता चला कि ये 26 लोग बोगस तरीके से यह काम कर रहे थे। ये फर्जी नामों से काम कर रहे थे। इन सभी को सेबी ने पत्र भेजा और सभी के पत्र वापस आ गए।

इसमें जांच में यह पाया गया कि ये 26 लोग जिन 14 कंपनियों के शेयरों को लिए थे वे या तो चुराए गए शेयर थे या फिर फर्जी शेयर थे। यह सभी फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट थे। इनको बाद में डीमैट खाता खोलकर उसमें ट्रांसफर कर दिया गया। इन 26 ने अलग-अलग नाम से अलग-अलग पते पर या एक ही पता का उपयोग कर एक जैसा दिखने वाला फोटो लगाकर एंजल ब्रोकिंग की शाखाओं में खाता खोला। बाद में इन शेयरों को या तो बेच दिया गया या फिर किसी और खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में उन खातों में से इन शेयरों को बेचा गया।

सेबी ने पाया कि 2-3 दिन के अंदर ही बेचे गए शेयरों के पैसों को क्रॉस चेक के जरिए अलग-अलग लोगों को दे दिया गया। इसमें के.एन इंटरप्राइजेज, डी के कॉर्पोरेशन, केडी कॉर्पोरेशन, केपी कॉर्पोरेशन, ओम इंटरप्राइजेज और बालाजी डेवलपर्स के खातो में भेजा गया और कैश में पैसा लिया गया। साथ ही 2-3 दिन के अंदर कैश में चेक के जरिए पैसा निकाला भी गया। 7-8 दिनों में पैसों को रोजाना एटीएम से भी निकाला गया।

मास्टरमाइंड अरविंद गोयल था
सेबी ने जांच में पाया कि इस पूरे गेम का मास्टरमाइंड अरविंद गोयल था। इसी के कहने पर ऑफ मार्केट अकाउंट भी खोला गया था। BSE की वेबसाइट के मुताबिक, अरविंद गोयल ग्लोबल सिक्योरिटीज का ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर था। जिन 14 कंपनियों के शेयरों में यह सब किया गया, उसमें इसकी भी कंपनी लिस्टेड थी। इसके अलावा आर्शिया इंटरनेशनल, अटको कॉर्पोरेशन, सेंट्रल प्रोविंसेस रेलवे कॉर्पोरेशन, डीसीडब्ल्यू, जेनेसिस इंटरनेशनल, जीआई इंजिनियरिंग, जैन इरिगेशन, ज्योति स्ट्रक्चर, पनामा पेट्रोकेम और SML इसुजू आदि थी।

एंजल ब्रोकिंग को जब शक हुआ तो उसमें 8 मई 2014 को इन सभी की जांच की। जांच में पाया कि सभी पैन कार्ड पर एक ही फोटो या उसी तरह की दिखने वाली फोटो लगी है। जबकि अन्य डिटेल जैसे लोगों के नाम और उनके पिता के नाम पूरी तरह से अलग-अलग थे। जांच में यह भी पता चला कि ज्यादातर खातों में एक ही मोबाइल नंबर थे, लेकिन पते अलग-अलग थे। यह सभी पते मुंबई के अलग-अलग इलाकों के थे।

कारण बताओ नोटिस जारी किया
सेबी ने कहा कि उसने इन सभी लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें से केवल एकाध लोग ही वकीलों के जरिए शामिल हुए। हालांकि जांच के दौरान इसमें सभी गलत पाए गए। इसके बाद इस मामले में सेबी ने बुधवार को फैसला सुना दिया। एक अलग ऑर्डर में आशिका कैपिटल को नए ग्राहक जोड़ने पर 3 महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।