जयपुर। प्रदेश की गहलोत सरकार की ओर से फोन टैपिंग का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बीजेपी इस पर आक्रामक रूख बनाए हुए हैं। मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में भी इसे फोन टैपिंग के मामले में वबाल मचा। । दरअसल बीजेपी की ओर से विधायक राजेंद्र राठौड़ और कालीचरण सराफ ने फोन टैपिंग का स्थगन प्रस्ताव लगाया था।
इसे मामले को लेकर सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सदन में आवाज उठाई। उन्होंने स्पीकर से रूबरू होते हुए कटारिया ने कहा कि फोन टैपिंग का मामला इसलिए गंभीर है, क्योंकि पिछले साल मुख्य सचेतक ने इसी मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि इस एफआईआर के चलते ही कुछ लोगों के विरूद्ध गिरफ्तारी का काम भी किया गया। लिहाजा आपसे हमारी मांग है कि सदन में इसे लेकर स्थगन प्रस्ताव लाया जाए। वहीं सरकार और गृह विभाग भी यह बताए कि उन्होंने किस रेफरेंस में एफआईआर करवाई थी।
सीएम गहलोत के इस्तीफे की मांग
इस मामले में स्पीकर सीपी जोशी ने जवाब देते हुए कहा कि सदन में जो सवाल उठाए गए थे,उसके आधार पर सरकार की ओर से बता दिया गया है कि फोन टैपिंग पूरी तरीके से सुरक्षित तरीके से की गई। इसके बाद सदन में बीजेपी का हंगामा हो गया। लेकिन बीजेपी विधायक चुप नहीं हुए । इसके बाद स्पीकर ने आधा घंटे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। आधा घंटे बाद सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई, तो भाजपा विधायकों फिर हंगामा करते हुए वैल में आ गए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस्तीफा मांगा।
आपको बता दें कि बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड़ और कालीचरण सराफ ने फोन टैपिंग मामले में विधायक और सांसदों की निजता भंग होने का हवाला देते हुए स्थगन प्रस्ताव लगाया था। मगर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि प्रस्ताव में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि किन—किन विधायक या सांसदों की निजता भंग हुई है। इसलिए प्रस्ताव स्थगन के लायक नहीं है। स्पीकर ने कहा कि आपको अध्यक्षीय व्यवस्था पर बहस करना मैं अलाउ नहीं करूंगा। इस पर भाजपा विधायक ने नाराजगी जताई और वैल में आकर नारेबाजी करते रहे।
बीजेपी ने जारी रखा सदन में हंगामा
बीजेपी की ओर से हंगामा होने के बाद भी हालांकि सदन की कार्यवाही चलती रही। संयम लोढ़ा, जाहिदा खान, गणेश घोघरा सहित कई विधायकों ने अपनी बात रखी। इस दौरान उच्च शिक्षा की अनुदान मांगों पर चर्चा का प्रस्ताव भी नारेबाजी के बीच रखा गया। शोर-गुल के बीच ही स्पीकर ने बीजेपी विधायकों से पूछा कि क्या वे अनुदान मांगों पर चर्चा में भाग लेना चाहते हैं। लेकिन बीजेपी की ओर से हंगामा जारी रहा। साथ ही मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद सदन की कार्यवाही आधा घंटे के लिए स्थगित कर दी गई।
क्या है फोन टैपिंग मामला
दरअसल सचिन पायलट की बगावत के बाद इस मुद्दे पर अगस्त 2020 में विधानसभा सत्र में सवाल पूछे गए थे। इस दौरान पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने यह सवाल पूछा था कि ”क्या यह सच है कि पिछले दिनों फोन टैपिंग के मामले सामने आए हैं, अगर हां तो किस कानून के तहत और किसके आदेश पर ये कार्रवाई की गई थी? पूरी जानकारी सदन के पटल पर रखी जाए?’ , इसी के जवाब में सरकार ने बीते दिन फोन टैपिंग की बात को स्वीकार किया था।
फोन- टैपिंग स्वीकरने के बाद बीजेपी का हमला
राजस्थान के विधायकों की फोन टेपिंग मामले में सोमवार को सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर प्रेसवार्ता भी की गई। इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस्तीफे की मांग की है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने इस पूरे मसले की सीबीआई से जांच की भी मांग की है। वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी इसे लेकर प्रेसवार्ता की है। इधर आरएलपी की ओर से भी इस मामले में गहलोत सरकार को घेरा गया है। आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने भी इस मामले को लेकर वसुंधरा राजे – और गहलोत दोनों पर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मेरा दोनों सरकार में फोन टैप हुए।