हाईकोर्ट ने बिना शादी के ही दे दिया गुजारा भत्ता का आदेश, सुप्रीम कोर्ट हैरान

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच को चकित कर दिया । एक हैरान कर देने वाले मामले में एक लड़के को आदेश दिया गया कि वो लड़की को गुजारा भत्ता दे, मामला मार्च 2006 का है। लड़का उस दौरान सिर्फ 20 साल का था जब वह अपने गांव की लड़की के साथ भागा और इस उम्र में शादी नहीं हो सकती। इसके बावजूद भी एक नहीं, बल्कि दो अदालतों ने ये आदेश दिया। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां तथ्यों को सुनकर कोर्ट हैरान रह गया।

शुक्रवार को ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां अधिवक्ता रचिता प्रियंका राय ने मामले के तथ्यों को उजागर किया। प्रियंका राय के क्लाइंट उस समय 20 साल के थे जब ने अपने ही गांव की 18 साल की एक लड़की के साथ भाग गए थे। दोनों भागकर जमशेदपुर गए जहां वे लगभग एक सप्ताह तक साथ रहे। जब वे अपने गाँव वापस आए, तो पंचायत ने उनकी शादी कराने की कोशिश की, लेकिन हंगामा हुआ और शादी कभी नहीं हुई।

इसके बाद, महिला ने पुरुष के खिलाफ दो मामले दर्ज किए – एक जिसमें क्रूरता का आरोप लगाया, और दूसरा गुजारा भत्ते के लिए जिसमें लड़की का कहना था कि उसके लिव इन रिश्ते को शादी के रिश्ते की तरह माना जाए। ट्रायल कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, क्रूरता के आरोप के तहत लड़के को एक साल की जेल की सजा सुनाई। उसे रखरखाव के रूप में हर महीने महिला को 5,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया था।

जब आदमी ने इन आदेशों के खिलाफ अपील दायर की, तो झारखंड उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामला छोड़ दिया और कहा कि उन्होंने कभी शादी नहीं की इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत क्रूरता का आरोप नहीं लगा। लेकिन रखरखाव का भुगतान करने के आदेश को बरकरार रखा गया था।\शुक्रवार को प्रियंका राय ने पीठ के सामने अपनी दलीलें शुरू कीं, जिसमें गुजारा भत्ता आदेश के कारण सामने आए कानूनी रूप को उजागर किया गया। पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे। उसने अपने क्लाइंट के शैक्षिक प्रमाणपत्र को यह दिखाने के लिए पेश किया कि वह इस संबंध के समय केवल 20 वर्ष का था।

वो कहती हैं, “कानून स्पष्ट है कि विवाह करने के लिए किसी पुरुष की वैध आयु 21 साल है। जब कोई व्यक्ति कानून के तहत शादी करने की आयु में है ही नहीं, तो किसी भी संबंध को विवाह कैसे जा सकता है यदि पुरुष की उम्र 21 साल से कम है? मेरे मुवक्किल को रखरखाव का भुगतान करने के लिए कैसे कहा जा सकता है जब वह शादी करने के लिए कानूनी उम्र में भी नहीं था?”

वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने भी इसे “घरेलू” संबंध के रूप में माना है, जबकि युगल गांव से भाग गया था, दोनों जमशेदपुर में अलग-अलग स्थानों पर छिपे थे और केवल एक सप्ताह के लिए ही साथ रहे थे। प्रियंका ने कहा, सिर्फ एक हफ्ते साथ रहने से एक सही रिश्ता नहीं बन जाता है फिर उसे कानून के तहत घरेलू रिश्ता समझने की बात तो अलग है।

सबसे पहले, बेंच का विचार था कि राय के मुवक्किल को रखरखाव के रूप में दिए गए राशि का कम से कम आधा भुगतान करना चाहिए, लेकिन वकील ने न्यायाधीशों को आश्वस्त किया कि कई पहलुओं पर उच्च न्यायालय का आदेश गलत था।