नई दिल्ली। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट और बदसुलूकी अब महंगी पड़ेगी। राज्यसभा ने शनिवार को वह विधेयक पारित कर दिया जिसमें कोविड-19 महामारी या वर्तमान महामारी जैसी किसी स्थिति में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उच्च सदन में महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 पेश किया जिसका विभिन्न पार्टियों के अधिकांश सदस्यों ने समर्थन किया। हालांकि कुछ सदस्यों ने इसके दायरे में अस्पतालों के सफाई कर्मियों, आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कर्मियों और पुलिस व अन्य विभागों जैसी आपात सेवाओं के कोरोना वॉरियर्स को भी लाने का सुझाव दिया। यह विधेयक सरकार द्वारा 22 अप्रैल को जारी अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को गैरजमानती अपराध बनाने के लिए सरकार ने उक्त अध्यादेश के जरिये महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन किया था।
दोषी पाए जाने पर होगी पांच लाख तक जुर्माना
विधेयक का मकसद वर्तमान महामारी जैसी किसी भी स्थिति के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ किसी तरह की हिंसा और संपत्ति को नुकसान पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करना है। प्रस्तावित अधिनियम में ऐसी हिंसा में लिप्त होने या उकसाने पर तीन महीने से पांच साल तक की कैद और 50 हजार से दो लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। गंभीर चोट के मामले में छह महीने से सात साल तक की कैद और एक लाख से पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
अस्पतालों में स्वास्थ्य पेशेवरों पर हिंसा का मसला शामिल नहीं- सीपीआई
विधेयक पर चर्चा के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनॉय विस्वम ने कहा कि बिल में गंभीर खामियां हैं क्योंकि इसमें अस्पतालों के भीतर स्वास्थ्य पेशेवरों पर हिंसा के मसले को शामिल नहीं किया गया है। कई अस्पताल डॉक्टरों और नर्सो को वेतन का भुगतान नहीं कर रहे हैं, पीपीई किट नहीं दी जा रही हैं और सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी की जा रही है।