अचानक तेज घबराहट, डर या चिंता महसूस होना दिमागी बीमारी के लक्षण: डॉ. नीना

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कोटा। पैनिक अटैक, डर और चिंता एक तीव्र भावना है। यह अक्सर तब होता है जब लोग अपने जीवन में होने वाली किसी घटना को लेकर चिंतित होते हैं या किसी कठिन या तनावपूर्ण स्थिति का सामना करते हैं। पैनिक अटैक बहुत भयावह लग सकता है।

खासकर बच्चों के लिए, लेकिन आमतौर पर इलाज से इसे रोका जा सकता है। रविवार को आयोजितकार्यशाला में मनोचिकित्सक नीना विजयवर्गीय द्वारा पैनिक डिसआर्डर के लक्षण, संभावित कारण, रोकथाम, बचाव के उपाय और इससे जुड़ी गलतफहमियां के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया।

उन्होंने बताया कि पैनिक अटैक अचानक, तीव्र भय की भावनायें हैं, जिसके कारण दिल की धड़कन तेज हो जाती है. साँस लेने में दिक्क्त और पसीना जैसे शारीरिक लक्षण पैदा करती हैं। पैनिक अटैक का अनुभव करने वाले कुछ लोगों में पैनिक डिसऑर्डर विकसित हो जाता है, जो एक प्रकार का चिंता विकार है।

भारत में प्रत्येक 1000 में से 5 लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसके कारणों में आनुवांशिकी, दिमाग में रासायनिक बदलाव, तनावपूर्ण घटनाएं आदि शामिल हैं। इस विकार की पहचान के लिए कुछ परीक्षण किए जाते हैं, जैसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परीक्षण। जितनी जल्दी हो सके पैनिक अटैक का इलाज कराना चाहिए ताकि उन्हें बदतर होने या बार-बार होने से रोका जा सके।

थेरेपी और दवाएं पैनिक अटैक और पैनिक डिसऑर्डर का इलाज कर सकती हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इस विकार के रोकथाम में मदद मिलती है। इस कार्यशाला के दौरान काउंसलर व विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा जानकारी प्रदान की गई कि कैसे पैनिक अटैक्स को प्रभावी तरीके से संभाला जाए और किस तरह से जीवन में आने वाले तनाव का सामना किया जाए।