इंदौर। मसूर के भाव घटने की संभावना है। 31 अगस्त को रियायती शुल्क पर आयात की अवधि खत्म होने के 17 दिन बाद डीजीएफटी ने नए अध्यादेश के जरिये सिर्फ 10 प्रतिशत शुल्क पर 31 अक्टूबर तक मसूर आयात की अनुमति दे दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने का नया आदेश ऐसे समय आया है जब मसूर के भाव में कोई खास तेजी नहीं है।
पूर्व में मसूर आयात की अवधि घटाने का दाल मिलों ने विरोध किया था। अब आयात शुल्क 30 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत किए जाने से बाजार में असमंजस है। इसका सीधा असर भाव पर और कारोबार हो रहा है। मसूर आयात को लेकर डीजीएफटी का आदेश आने के बाद अन्य प्रतिबंधित दलहन के आयात पर भी शुल्क में राहत की उम्मीद की जा रही है।
डीजीएफटी के नये आदेश के बाद शुक्रवार को संयोगितागंज अनाज मंडी में मसूर के हाजर कारोबार में 50-75 रुपये की गिरावट आई। मूंग में भी ऊपरी स्तर से गिरावट देखी गई और कारोबारियों को नए माल की आवक बढ़ने पर भाव दबाव में आने की आशंका जताई। चना और दाल के भाव भी कुछ टूटे। काबुली की 3,000 बोरी आवक पर हल्के किस्म की ज्यादा मात्रा के कारण रुझान मंदी का रहा। गेहूं में 5,000 बोरी से अधिक आवक पर भाव स्थिर रहे।
ऑयल मिल निर्यात 25 प्रतिशत घटा
अगस्त में भारत से ऑयल मिल का निर्यात 25 प्रतिशत घटा है। ‘सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया’ के अनुसार अगस्त, 2020 में ऑयल मील का निर्यात अगस्त, 2019 के 228,484 टन के मुकाबले 171,515 टन रहा ।
वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल से अगस्त के बीच कुल 1,013,177 टन ऑयल मील का निर्यात हुआ। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,146,295 टन ऑयल मील का निर्यात हुआ था। इसमें 12 प्रतिशत की कमी आई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद भारत से रेपसीड मील का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में 487,060 टन रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में हुए निर्यात से छह प्रतिशत अधिक है। इस अवधि में सोया मील और कैस्टर मील के निर्यात में सबसे ज्यादा गिरावट आई है ।
खाद्य तेल हाजर बाजार में विदेशी वायदा तेज रहने के बीच लोकल उपलब्धता घटने के कारण भाव में तेजी का रुझान है। डॉलर कमजोर होने के कारण टैरिफ में बदलाव की वजह से आयातित खाद्य तेल की लागत बढ़ी है। नए सोयाबीन में नमी अधिक होने से आयातित और लोकल माल के भाव में अंतर बढ़ा है।