नई दिल्ली।कच्चे तेल के भाव में जल्द तेजी आने के आसार नहीं दिख रहे। क्योंकि ताजा घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि क्रूड के भाव के गिरकर 18 साल के निचले स्तर पर आ जाने का मूल कारण प्राइस वार नहीं बल्कि प्राइस वार के बहाने अमेरिका को झुकाने का है। रूस ने संकेत दिया है कि वह वेनेजुएला की राजनीति में अमेरिकी के हस्तक्षेप से नाराज है और वह वेनेजुएला के साथ तेल सहयोग पर कायम है।
समीकरण इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि जब तक अमेरिका वेनेजुएला के तेल संपत्तियों पर से पाबंदी नहीं हटा लेता, तब तक रूस क्रूड के भाव में बढ़ोतरी नहीं होने देगा और इसलिए वह तब तक उत्पादन कटौती के लिए सऊदी अरब से समझौता भी नहीं करेगा। क्योंकि तेल का भाव कम रहने से सबसे ज्यादा नुकसान अमेरकी कंपनियों को हो रहा है और कई अमेरिकी कंपनियों के कंगाल हो जाने की आशंका पैदा हो गई है।
इसलिए अमेरिका क्रूड आयात पर शुल्क लगान के विकल्प पर भी विचार कर रहा है। इसलिए पिछले कुछ दिनों में अमेरिकी मध्यस्थता से सऊदी अरब और रूस के बीच उत्पादन कटौती का समझौता हो जाने की उम्मीद में कच्चे तेल के भाव में जो तेजी दिखी है, वह अधिक समय तक टिक पाने की उम्मीद नहीं है।
उधर अमेरिकी राष्ट्र्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में क्रूड के आयात पर शुल्क लगाने का जो संकेत दे दिया है, उससे दुनिया के अन्य हिस्से में कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ जाएगी। कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में कच्चे तेल की मांग घटने और तेल की आपूर्ति बढ़ने से समीकरण और खराब होगा और कच्चे तेल के भाव में और गिरावट आ सकती है।
वेनेजुएला में अमेरिकी दखलंदाजी के खिलाफ है रूस
वेनेजुएला में रूस के एंबेसेडर सर्गेई मेलिक बग्दासरोव ने एक साक्षात्कार में कहा कि मुद्दा तेल उत्पादन ज्यादा होने का नहीं है, बल्कि वेनेजुएला के तेल निर्यात पर अमेरिका की ओर से लगाए गए शर्मनाक प्रतिबंध का है। कोरोनावायरस की महामारी का बिना कोई खयाल रखे यह पाबंदी लगाई गई है। जबकि जंगल में भी यह अलिखित नियम होता है कि सूखे के दिनों में जलाशयों के आसपास एक जानवर दूसरे जानवरों पर हमला नहीं करते।
गुरुवार को वेनेजुएला के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि इलियट अब्राम्स ने कहा था कि वेनेजुएला के मामले में अमेरिका रूस से संपर्क बनाए हुए है। वेनेजुएला में राष्ट्र्रपति निकोला मदुरो की सरकार को हटाकर अमेरिका एक अंतरिम सरकार बनाना चाहती है, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्य हों। अपनी बात मनवाने के लिए अमेरिका ने वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगा रखा है। जनवरी में वेनेजुएला के विपक्षी नेता जुआन गुइडो ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था।
रूस ने अपने हिसाब से लाभ उठाया
सभी स्थितियों को देखने पर ऐसा लगता है कि कोरोनावायरस के कारण मांग घटने से क्रूड में पहले से ही चल रही गिरावट का रूस ने अमेरिका को झुकाने के लिए लाभ उठाया। कोरोनावायरस के कारण मांग घटने से क्रूड करीब 70 डॉलर से गिरकर करीब 50 डॉलर का रह गया था। इसी वक्त उत्पादन को लेकर ओपेक, रूस व अन्य तेल उत्पादक देशों का पुराना समझौता मार्च के आखिर में एक्सपायर कर रहा था। इस बीच मार्च के बाद के लिए तेल उत्पादक देशों में फिर से बैठक हुई। माना जा रहा था कि ये देश उत्पादन घटाकर कीमत बढ़ाने का फैसला करेंगे। लेकिन रूस ने भांप लिया कि यदि वह उत्पादन नहीं घटाता, तो तेल कीमत और गिरेगी और अमेरिका की शेल ऑयल कंपनियों का दिवाला निकल जाएगा। इससे अमेरिका दबाव में आएगा।