कोरोना के खिलाफ जंग में PM मोदी का कमांडर अवतार

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    नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ जारी जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) एक योद्धा की तरह जी जान से जुटे हुए हैं। पिछले एक महीने से प्रधानमंत्री हर मिनट कोविड 19 के खिलाफ जंग की प्लानिंग में खर्च कर रहे हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में प्रधानमंत्री ना केवल एक सेनापति की भांति देश में किए जा रहे प्रयासों की अगुवाई कर रहे हैं बल्कि वह दुनियाभर में इस वायरस से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों में भी मदद की कोशिश कर रहे हैं।

    प्रधानमंत्री मोदी के पिछले कुछ प्रयासों और आगे के कार्यक्रमों पर नजर डालें तो पता चलता है कि वह कोविड-19 के खिलाफ जंग में खुद को पूरी तरह झोंक चुके हैं। आइए इस बात को समझने की कोशिश करते हैं।

    सबसे शक्तिशाली देश को मोदी ने बंधाया ढांढस
    कोरोना को हल्के में लेने की गलती के चलते अमेरिका इन दिनों पूरी तरह से इस वायरस के चंगुल में फंस चुका है। यहां के जानकार भविष्यवाणी कर रहे हैं कि कोरोना अमेरिका में दो लाख लोगों की जानें ले सकता है। मजबूत अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत के दम पर यह देश दुनिया भर में अपनी धौंस जमाता रहा है। लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) के सामने यह देश भी नतमस्तक है। ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन किया और उन्हें भारत की तरफ से हरसंभव मदद की पेशकश की। साथ ही पीएम ने अमेरिका को ढांढस बंधाया है।

    स्पेन, ब्राजील के राष्ट्राध्यक्षों की भी बढ़ाई हिम्मत
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने शनिवार को फोन पर बातचीत के दौरान कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी से दोनों देशों द्वारा मिलकर निपटने के उपायों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से पैदा हालात पर शनिवार को स्पेन के अपने समकक्ष पेड्रो सांचेज पेरेज कास्टेजोन से बातचीत की और दोनों नेता वैश्विक महामारी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर सहमत हुए।

    टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान मोदी ने स्पेन में हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की और स्पेन के प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया कि भारत अपनी क्षमता के मुताबिक मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा । एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘दोनों नेता वैश्विक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर सहमत हुए ।’ पीएम ने जी20 सम्मेलन में भी चीन का बचाव कर दुनिया को एक खास संदेश दिया। यहां उन्होंने कहा कि हमें इस पर बात नहीं करनी चाहिए कि कोरोना कहां से आया, हमें ये बात करनी चाहिए कि कोरोना कैसे हारेगा।

    इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में, मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबा अल-खालिद अल-हमद अल-सबा समेत विश्व के कई नेताओं के साथ कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर टेलीफोन पर बातचीत की है।

    विपक्षी नेताओं का दूर किया कन्फ्यूजन
    कोरोना को रोकने के लिए विपक्षी नेताओं की ओर से उठाए जा रहे सवालों का भी पीएम ने जवाब देने की कोशिश की है। पीएम मोदी ने विपक्षी नेताओं का कन्फ्यूजन दूर करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं संग वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात करने से पहले रविवार को विभिन्न दलों के प्रमुखों को फोन कर कोरोनावायरस की समस्या पर चर्चा की। मोदी ने नेताओं से फोन कर यह बातचीत कोरोना महामारी से निपटने के लिए हर किसी की सहभागिता के मद्देनजर की।

    पीएम के दीया जलाने की अपील पर मन में कई सवाल
    पीएम मोदी की इस अपील के बाद से ही कई लोग सवाल उठा चुके हैं कि आखिर दीया जलाने से कोरोना जैसे खतरनाक वायरस को कैसे हराया जा सकेगा। क्या दीया जलाने से कोरोना वायरस भाग जाएगा। क्या कोरोना रोशनी से डरता है, ना जाने ऐसे ही कई सवाल जेहन में उठ रहे हैं। इन सवालों के जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कुछ दिनों के राष्ट्र के नाम संबोधन में ही छुपा हुआ है। आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

    कोरोना के वैश्विक महामारी का रूप लेने की बातें मार्च महीने की शुरुआत से ही होने लगी थीं। भारत सरकार ने कुछ ऐहतियाती कदम भी उठाए थे, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहे थे। तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया और 22 मार्च को देशवासियों से ‘जनता कर्फ्यू’ की अपील की। जनता कर्फ्यू यानी रविवार को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लोगों से घरों के अंदर रहने की अपील की गई। यह परीक्षा की इस घड़ी में पहला बड़ा कदम था। इससे देशवासियों में सामूहिकता और उसकी ताकत का अहसास हुआ।