कोटा। इंडियन ग्रीन बिल्डिंग कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप मित्तल ने कहा है कि निर्माण क्षैत्र में कार्यरत इंजीनियरिंग को अब पर्यावरणीय पक्ष पर काम करते हुए सतत विकास के साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी घ्यान देना होगा । इसलिए इंजीनियरिंग के साथ निर्माण में लगे सभी घटकों की भागीदारी बढ़ रही है।
प्रदीप मित्तल रविवार को एक रिसोर्ट में “ग्रीन बिल्डिंग मूवेमेंट ओवर व्यू“ विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 1992 में गठित आईबीसी का जोर है कि प्राईवेट भवनों में भी पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखा जाए। इस अवधारणा में हवा,पानी, बिजली, स्वास्थ्य सभी पक्षो पर इंजीनियरिंग काम करती है।
वेस्ट को मेनेजमेंट से वेल्थ में बदलने की तकनीक भी इसी का अंग है। सीवरेज मेनेजमेंट पर भी आईबीसी का ध्यान है जिससे की हम देश की नदियों को बचा सकते है। इंजीनियरेग पाठयक्रम को आईबीसी की अवधारणा से मैच करने के लिए भी हम काम कर रहे है। रेलवे, सीपीडब्ल्यूडी, हुडका, डीडीए, एमबीसीसी, सीबीआरआई आदि ग्रुप इससे जुड़े है।आईबीसी भविष्य में काफी उभरेगी।
सेमिनार के चेयरमेन आरके जैन एवं लोकल सेटर के संस्थापक धीरेंद्र माथुर ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता आईबीसी के संस्थापक ओपी गोयल ने की।तकनीकी सत्र में इंजीनियर मनीष जैन ने पाॅवर पाईंट प्रजेंटेशन में साईट प्लानिंग,भूमि, हवा, पानी औा ऊर्जा के समन्वय के साथ पंच तत्वों की अवधारणा को कैसे योजना में समाहित करे पर विस्तृत व्याख्यान दिया।
मनिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर की मृदुला यादव ने वैदिक संस्कृति और ऋग्वेद की रिचाओं को ग्रीन बिल्डिग की भावना से जोड़ते हुए बताया कि किस प्रकार पंच तत्वों के संरक्षण के साथ भवनों के निर्माण की प्रकिया अपना कर रियासतकलीन कला को इसमें शामिल किया जा कर इस व्यवसाय को आगे बढ़ाया जा सकता है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग के पूर्व अतिरिक्त सचिव सीएल वर्मा ने भी ग्रीन बिल्डिंग को आज की आवश्यकता बताया।समन्वयक एसके वर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। पीके जैन ने बताया कि इस अवसर पर आईबीसी की कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता प्रदीप मित्तल ने की।
अभियंताओं ने कोटा का हैंगिंग ब्रिज भी देखा और तकनीकी आदान प्रदान किया। सेमिनार में विभिन्न विभागों, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स,रिसर्च स्कोलर्स, मनेजमेंट तथा अभियंताओं ने भाग लिया। संचालन पीके जैन ने किया।