कोटा। डिप्रेशन की चपेट में आने वालों को कई बार मीठा या कड़वा कुछ भी खाने पर स्वाद स्वाद नहीं मिल पाता है। यह बात शोध में पता चली है। जरूरी नहीं कि ऐसा स्वादग्रंथियों में दिक्कत के कारण हों।
डॉ. सुधींद्र श्रृंगी के अनुसार शोध के लिए मरीजों को दो आयु वर्गों में बांटा गया। एक में 60 से कम उम्र और दूसरे में 60 से 80 वर्ष तक के मरीजों को लिया गया। शोध में पता चला कि डिप्रेशन की चपेट में आने पर कड़वा या मीठा खाने पर ठीक से स्वाद नहीं मिलता है।
हालांकि नमकीन के स्वाद में कोई दिक्कत नहीं पाई गई। शोध में पता चला है कि डिप्रेशन से पहले स्वाद में कोई दिक्कत नहीं थी। ऐसे में माना जा रहा है कि स्वाद ठीक से न मिलने और मानसिक दबाव महसूस करने वाले डिप्रेशन की चपेट में हो सकते हैं।
दवा से नहीं होती दिक्कत
शोध के पहले चरण में स्वाद में आने वाले बदलाव का पता लगाया गया। दूसरे चरण में पता लगाने का प्रयास किया गया कि कहीं दवाओं के कारण तो ऐसा नहीं हो रहा। इसमें डिप्रेशन के दोनों ट्रीटमेंट एसएसआरआई और एसएनआरआई लिए गए, जिनमें अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं। एक साल में आए 200 मरीजों में 40 को शोध के लिए चुना गया। पता चला कि दवाओं के कारण स्वाद में कोई बदलाव नहीं आता है।