नई दिल्ली। अचल संपत्ति के स्वामित्व के लिए अब उसे आधार से लिंक कराना होगा। केंद्र सरकार पहली बार संपत्ति स्वामित्व के लिए कानून ला रही है। ड्राफ्ट तैयार है। 5 सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी भी बन चुकी है, जो राज्यों से समन्वय करेगी। जमीन से जुड़े मामले राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हैं, इसलिए केंद्र मॉडल कानून बनाकर राज्यों को देगा।
19 राज्यों में एनडीए की सरकारें हैं। संभव है कि ज्यादातर में कानून लागू हो जाएगा। इससे संपत्ति की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा रुकेगा। बेनामी संपत्तियों का भी खुलासा होगा। जो व्यक्ति अचल संपत्ति आधार से लिंक कराएगा, उसकी संपत्ति पर कब्जा होता है तो उसे छुड़ाना सरकार की जिम्मेदारी होगी या फिर सरकार मुआवजा देगी। आधार लिंक नहीं कराने पर सरकार जिम्मेदारी नहीं लेगी।
देशभर की अदालतों में संपत्ति विवाद से जुड़े 1.30 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। इस वजह से कुल जीडीपी का करीब 1.3% हिस्सा संपत्ति में लॉक है। मुकदमे जल्द खत्म हों, इसके लिए ड्राफ्ट में कुछ प्रावधान बनाए गए हैं। सभी केस अदालतों से ट्रिब्यूनल और अपील ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर किए जाएंगे। हर हाईकोर्ट में एक स्पेशल बेंच बनाई जाएगी।
सभी मुकदमे निपटाने के लिए 5 साल का समय निर्धारित किया गया है। एक्सपर्ट कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि आधार लिंक कराना वैकल्पिक होगा। अगर लोग चाहते हैं कि सरकार उनकी संपत्ति की गारंटी ले तो आधार लिंक कराना ही होगा।
आगे क्या व्यवस्था होगी?
सरकार जमीन के स्वामित्व की गारंटी लेगी। रजिस्ट्री भी स्वामित्व स्थापित कराने के बाद होगी। सरकार खरीद-बिक्री की शर्तेँ जांचेगी। संपत्ति पर किसी का कब्जा है तो उसे खाली कराना या मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी होगी। जमीन का रिकाॅर्ड अपडेट होगा। इससे कोई संपत्ति अगर आधी भी बेची जाती है तो रजिस्ट्री होते ही रिकाॅर्ड अपडेट हो जाएगा। {बायोमैट्रिक से घर बैठे ही संपत्ति बेच सकेंगे। लेकिन, रजिस्ट्री में एक महीने का समय लगेगा।
नया कानून लागू कैसे होगा?
दो तरीकों से। पहला- इन्क्रीमेंटल यानी बेचते समय या ट्रांसफर होते समय आधार लिंक होगा। दूसरा- जिलावार लागू कराया जा सकता है।धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं बचेगी। अवैध कब्जों से सुरक्षा मिलेगी। लैंड टाइटल कराने पर आसानी से लोन मिलेगा। जमीन संबंधी कानूनी मदद के लिए सिंगल विंडो होगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर लेने वाले पहचाने जाएंगे।
सरकार को कैसे फायदा होगा?
संपत्ति की सूचनाएं पारदर्शी होंगी। मालिक और संपत्ति संबंधी सूचनाएं रियल टाइम अपडेट होंगी। संपत्ति से जुड़े मुकदमे कम होंगे, क्योंकि आधार से लिंक के बाद जांच आसान होगी। योजना या नीति बनाने के लिए सटीक आंकड़े उपलब्ध होंगे। सरकार का दखल भी घटेगा।