जीरे का गुजरात में उत्पादन घटने एवं राजस्थान में बढ़ने का अनुमान

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राजकोट। पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान जीरा का घरेलू उत्पादन करीब 9 प्रतिशत बढ़कर 4.16 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि बिजाई क्षेत्र में कमी तथा मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण गुजरात में जीरा का उत्पादन 1.73 लाख टन से 3 प्रतिशत घटकर 1.66 लाख टन रह जाने की संभावना है, लेकिन राजस्थान में हालात अनुकूल होने से जीरा का उत्पादन गत वर्ष के 2.07 लाख टन से करीब 20 प्रतिशत बढ़कर इस बार 2.50 लाख टन पहुंचने के आसार हैं।

फेडरेशन ऑफ इंडिया स्पाइस स्टैक होल्डर्स (फिस) ने जीरा का घरेलू उत्पादन 2018 के 69.18 लाख बोरी से 6.57 लाख बोरी बढ़कर 2019 में 75.75 लाख बोरी पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है। इसके तहत जीरा का उत्पादन गुजरात में 31.39 लाख बोरी से घटकर 30.30 लाख बोरी रह जाने की संभावना है जबकि राजस्थान में उत्पादन 37.79 लाख बोरी से 7.66 लाख बोरी बढ़कर 45.45 लाख बोरी पर पहुंचने की उम्मीद है। मालूम हो कि जीरे की प्रत्येक बोरी 55 किलो की होती है।

अखिल भारतीय स्तर पर करीब 27-28 हजार टन जीरा का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद है। मंडियों में नए जीरे की आवक शुरू हो चुकी है जबकि आगे इसकी रफ़्तार नियमित रूप से बढ़ते जाने की संभावना है। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। नए माल की बढ़ती आवक को देखते हुए स्टाकिस्टों ने पुराने जीरे के स्टॉक की बिकवाली सीमित कर दी है।

गुजरात की मंडियों में नया जीरा आने लगा है। जबकि राजस्थान में इसकी आवक कुछ ही दिनों में आरम्भ होने वाली है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मार्च 2019 के प्रथम सप्ताह में देश भर की उत्पादक मंडियों में करीब 10 हजार टन जीरे की आपूर्ति हुई जो फरवरी के अन्तिम सप्ताह की कुल आवक 4760 टन से काफी अधिक है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तुर्की एवं सीरिया के नए माल की जोरदार आपूर्ति जब तक शुरू नहीं होती है तब तक भारतीय जीरे की अच्छी मांग बरकरार रहने की संभावना है। वहां जून-जुलाई में नए जीरे की आवक आरम्भ होने की उम्मीद है।