कोटा। आईएल फैक्ट्री व टाउनशिप की 181 एकड़ जमीन की मालिक बुधवार को राज्य सरकार हो गई। फैक्ट्री क्लोजर का प्रोसेस पूरा होने के बाद आईएल कोटा के टीएसओ अरविंद अग्रवाल तथा आईएल की ही पलक्कड़ यूनिट के हैड बुधवार दोपहर बाद कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर गौरव गोयल को डॉक्यूमेंट्स सौंपकर जमीन हैंडओवर कर दी।
अब इस जमीन के बड़े हिस्से पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ऑक्सी जोन विकसित करने की योजना है, शेष फैक्ट्री वाले हिस्से पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया गया है। इससे पहले मंगलवार को जयपुर के सीतापुरा में स्थित 10.59 एकड़ जमीन रीको को हैंडओवर कर दी गई।
असल में उक्त दोनों ही जमीनें राज्य सरकार ने लीज पर दी थी, जिसमें यह शर्त थी कि फैक्ट्री बंद होने की स्थिति में उक्त जमीनें यथास्थिति में राज्य सरकार को हैंडओवर की जाएंगी। केंद्र सरकार ने आईएल फैक्ट्री 18 अप्रैल, 2017 को बंद कर दी।
कोटा में आईएल की 181.883 एकड़ जमीन है, जो राज्य सरकार को संभलाई गई है। मोटे तौर पर शहर के बीचोंबीच स्थित यह जमीन 10 हजार करोड़ की बताई जाती है।
जमीन का पूरा रिकॉर्ड
प्लांट : 53 एकड़ भूमि पर आईएल का प्लांट है। इसमें निर्मित एरिया 52513 वर्ग मीटर एवं शेष खाली एरिया 1 लाख 64 हजार 1 वर्गमीटर है। प्लांट में 18 भवन निर्मित है।
टाउनशिप : 128 एकड़ जमीन पर टाउनशिप बनी है। इसमें निर्मित एरिया 42720 वर्गमीटर एवं खाली भूमि 4 लाख 77 हजार 319 वर्गमीटर है। टाउनशिप में 722 भवन रिहायशी एवं 22 भवन अन्य गतिविधियों के लिए बने हुए हैं।
निजी संपत्तियों की लगेगी बोली: लीज वाली जमीनों के अलावा आईएल की पूरे देश में निजी संपत्तियां भी हैं। दिल्ली, मुंबई, बड़ौदा और जयपुर के मालवीय नगर में आईएल की निजी स्वामित्व की संपत्तियां हैं, इन सभी की नीलामी की प्रक्रिया भारत सरकार की ही एक कंपनी के जरिए चल रही है।
1964 में मिली थी जमीन
कोटा में आईएल फैक्ट्री 1964 में स्थापित हुई थी, तब राज्य सरकार ने यह जमीन 1 रुपए टोकन मनी लेकर 99 साल की लीज पर दी थी। आवंटन की शर्त यही थी कि जिस दिन उद्योग बंद होगा, निर्माण सहित पूरी जमीन राज्य सरकार की हो जाएगी। आवंटन 400 एकड़ जमीन का हुआ था, जिसका बहुत बड़ा हिस्सा समय-समय पर यूआईटी को पहले ही सरेंडर किया जा चुका।