नई दिल्ली । देश के सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अपनी मोबाइल एप्लिकेशन के लिए जल्द ही ‘मल्टी मोडल’ बायोमेट्रिक्स ऑथेंटिकेशन पेश करने वाला है। मसलन, टू फैक्टर ऑथेंटिकेन में एक बैंक के सर्वर से फिंगरप्रिंट या पेश रिकॉग्निकेशन या वॉयस रिकॉग्निकेशन सॉफ्टवेयर से पूरा किया जाएगा।
बैंक की योजना बायोमेट्रिक्स का फीचर विभिन्न मोबाइल बैंकिंग प्रोडक्ट्स के लिए पेश करने की है जिसमें मोबाइल वॉलेट और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ट्रांजैक्शन शामिल है। इसके लिए बैंक सर्विस प्रोवाइडर चुनने के आखिरी चरण में है। साथ ही इसके लिए टेकनोलॉजी प्रोवाइडर्स से आवेदन मंगाए गये हैं।
जिन कस्टमर्स के पास फिंगर प्रिंट एंबेडिड स्मार्टफोन है वे भविष्य में ट्रांजैक्शन को इस फीचर की मदद से ऑथेंटिकेट कर पाएंगे। हालांकि, फिंगर प्रिंट ऑथेंटिकेशन फीचर का इस्तेमाल करने के लिए ग्राहक को बैंक की मोबाइल बैंकिंग एप के सर्वर पर रजिस्टर करना होगा।
सभी बैंकों में से एसबीआई सबसे सफल बैंक रहा है जो ग्राहकों को अन्य चैनल पर माइग्रेट कर पाया है। कुल ट्रांजेक्शन में से महज 18 फीसद शाखाओं में की जाती हैं। बीते वर्ष यह आंकड़ा 23 फीसद रहा था।
एसबीआई सुधारेगा ग्राहक सेवा
अगले 10-12 वर्षों के दौरान देश के बैंकों का स्वरूप किस तरह का होगा, इसका एक रोडमैप केंद्र सरकार तैयार कर रहा है। लेकिन देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने इसकी तैयारी अपने स्तर पर पहले से ही शुरू कर दी है। एसबीआइ बेहद मॉडर्न व अत्याधुनिक तकनीक से लैस बैंक बनने के लिए कई स्तरों पर तैयारियां कर रहा है।
इस काम में बैंक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई ) तकनीक का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करेगा। बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार के मुताबिक आने वाले वर्षों में बेहद खास किस्म की जरूरत के लिए भी ग्र्राहक बैंक में आएंगे और हम उसी हिसाब से अपने कामकाज में बदलाव करेंगे।
इसमें एआई की बड़ी भूमिका होगी ताकि ग्र्राहक सेवा की गुणवत्ता और बेहतर हो सके। एसबीआइ चेयरमैन कुमार के मुताबिक एसबीआइ की तरफ से लांच उनो एप मॉडर्न बैंकिंग का एक उदाहरण है। अभी इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन बैंकिंग एप माना जा रहा है। हमने सबसे आधुनिक सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया है।