मुंबई। मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर आरबीआई की 3 दिनों तक चलने वाली मीटिंग 4 जून से शुरू हो रही है। जानकारों का मानना है कि मीटिंग में बढ़ती महंगाई, क्रूड की बढ़ती कीमतों के अलावा चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.7 फीसदी रहना बड़े फैक्टर होंगे, जिनपर 6 सदस्यों वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की नजर होगी।
कुछ रिपोर्ट इशारा करती हैं कि इस बार आरबीआई ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला ले सकता है, वहीं कुछ रिपोर्ट के अनुसार ब्याज दरें बढ़ाने के लिए सेंट्रल बैंक अभी कुछ और इंतजार कर सकता है। आरबीआई ने अगस्त 2017 के बाद से ही ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में होने वाली एमपीसी मीटिंग पहली बार 3 दिन चलेगी, 6 जून को कमिटी ब्याज दरों को लेकर अपना फैसला देगी।
ये फैक्टर दे रहे हैं दरों में बढ़ोत्तरी के संकेत
फाइनेंशियल ईयर 2018 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.7 फीसदी रही है, वहीं, पूरे फाइनेंशियल में ग्रोथ 6.7 फीसदी रही है। जानकार इसे इकेानॉमी के पटरी पर लौटने के रूप में देख रहे हैं। वहीं, इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतें 78 डॉलर के आस-पास बनी हुई हैं।
रिटेल इनफ्लेशन नवंबर 2017 से ही 4 फीसदी के ऊपर बना हुआ है। वहीं, टाइट मॉनिटरी पॉलिसी के मिल रहे संकेतों के बीच एसबीआई, पीएनबी और आईसीआईसीआई बैंक समेत कुछ बैंकों ने 1 जून से लेंडिंग रेट बढ़ा दिए हैं। वहीं, कुछ बैंकों ने डिपॉजिट रेट भी बढ़ाए हैं।
आरबीआई से भी दरें बढ़ाने के मिले थे संकेत
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जून में होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट में बढ़ोत्तरी के संकेत दिए थे। अप्रैल की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की मीटिंग के मिनट्स के अनुसार, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 4-6 जून को होने वाली अगली पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दरों में तेजी का दौर लौटने का फेवर किया।
अप्रैल पॉलिसी मीटिंग के मिनट्स के अनुसार, आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने मॉनिटरी पॉलिसी के रूप में बदलाव से पहले और आंकड़ों के आने का इंतजार करने को तरजीह दी। हालांकि उन्होंने आर्थिक गतिविधियों में तेजी और कर्ज देने में सुधार पर संज्ञान लिया है। पटेल के अनुसार, आर्थिक गतिविधियों में रिकवरी है।
दरें बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं
ICRA के एमडी और ग्रुप सीईओ नरेश टक्कर के अनुसार इस बार ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि रिटेल इनफ्लेशन में तेजी है। जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ें बतातें हैं कि इकोनॉमी रिकवरी मोड में आ चुकी है।
ऐसे में दरें बढ़ाई जा सकती हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि मानसून बेहतर रहने का अनुमान जरूर है लेकिन इस पर अभी क्लेरिटी नहीं है। वहीं, फिस्कल रिस्क और एमएसपी को लेकर भी अभी क्लेरिटी नहीं है। ऐसे में ब्याज दरों में तुरंत बढ़ोत्तरी प्रीमेच्योर हो सकती है।
क्या कहती है SBI की रिपोर्ट?
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जीडीपी ग्रोथ बेहतर है लेकिन प्राइवेट कंजम्पशन लगातार सुस्त होता दिख रहा है। प्राइवेट कंजम्पशन फाइनेंशियल ईयर 2017 के 7.3 फीसदी की तुलना में फाइनेंशियल ईयर 2018 में 6.6 फीसदी पर आ गया है। एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक जमीनी हकीकत पर गौर करें तो अभी आरबीआई ब्याज दरें बढ़ाने के लिए कुछ इंतजार कर सकता है।