मुंबई । भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जिंस ऑप्शन में कारोबार को मंजूरी दे दी। ऑप्शन में वास्तविक कारोबार शुरू होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि सबसे पहले वित्त मंत्रालय को संबंधित नियम संशोधित करने होंगे। ऐसा एक अधिसूचना जारी करके किया जा सकता है। वहीं नियामक ने एक रास्ता निकाला है, जिसमें संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।
वर्तमान प्रतिभूति संविदा नियमन (एससीआर) अधिनियम सेबी को ऑप्शन की मंजूरी देने की सभी शक्तियां देता है। हालांकि ऑप्शन में निपटान इक्विटी ऑप्शन की तुलना में ज्यादा जटिल होगा क्योंकि जिंसों में ऑप्शन वायदा में स्थानांतरित या एक्सपायर होगा। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा, ‘ऑप्शन की एक्सपायरी उसी जिंस के वायदा में होगी और इसमें इक्विटी की तरह नकद निपटान की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी।’
हालांकि उन्होंने कहा है कि ऑप्शन के विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि ऑप्शन के वायदा में एक्सपायर होने के बाद वायदा पर लागू मार्जिन ऑप्शन पर भी लगेंगे। एक्सपायरी पर अगर ऑप्शन का खरीदार अपनी पॉजिशन को बनाए रखना चाहता है तो उसे वायदा पर लगने वाला मार्जिन चुकाना होगा। किसी कॉल ऑप्शन का खरीदार वायदा का खरीदार बन जाएगा और पुट ऑप्शन का खरीदार वायदा में विक्रेता बन जाएगा। हालांकि एक्सचेंज इसे लेकर आशावादी हैं।
ऑप्शन जोखिम प्रबंधन का बेहतर औजार
‘ एनसीडीईएक्स के एमडी और सीईओ समीर शाह ने कहा, ‘किसानों सहित बहुत से भागीदारों के लिए ऑप्शन जोखिम प्रबंधन का बेहतर औजार हैं। किसानों ने भी सक्रियता से वायदा का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। ऑप्शन एवं वायदा का संयोग बाजार भागीदारों को ऑप्शन की सुरक्षा के साथ वायदा का लाभ उठाने का मौका दे सकता है। ऑप्शन के जरिये तरलता में इजाफा होने से लेनदेन लागत, बाजार स्थिरता में सुधार और कीमत निर्धारण आदि में पारदर्शिता जैसे अन्य लाभ भी मिलेंगे।’ हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि जिंस ऑप्शन की निपटान प्रक्रिया शुरुआत में काफी जटिल रहेगी।