कोटा। आज की वैश्विक परिस्थितियों में राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत नौजवानों की महती आवश्यकता है। विद्या भारती संस्थान ऐसे ही संस्कारयुक्त आदर्श नवयुवक तैयार करने का काम कर रहा है। यह बात राजस्थान सरकार में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने मंगलवार को महावीर नगर स्थित श्रीरामशांताय सभागार में कही।
वे विद्या भारती संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आचार्य सम्मेलन के समापन समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी गजेंद्र सुमन ने की। वहीं मुख्य वक्ता विद्या भारती संस्थान के प्रदेश सह संगठन मंत्री गोविंद कुमार थे। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया।
ऊर्जा मंत्री श्री नागर ने कहा कि विद्या भारती के स्कूल राष्ट्रवादी और संस्कारयुक्त नागरिक तैयार करने कार्य कर रहे हैं। देश में सरकारी तंत्र के बाद शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम विद्या भारती शिक्षण संस्थान से जुड़े स्कूल ही हैं।
जो नगरों, कस्बों के साथ ही सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों, जनजातीय इलाकों और पिछड़ी बस्तियों में भी एकल विद्यालय व संस्कार केन्द्र के माध्यम से शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। शिक्षक राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। वे समाज की बुनियादी इकाई को सशक्त बनाते हुए विद्यार्थियों के चरित्र, नैतिकता और राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करते हैं।
उन्होंने कहा कि पश्चिमी मनोविज्ञान पर आधारित शिक्षण पद्धति के द्वारा आदर्श मानव के विकास की संकल्पना पूर्ण होना संभव नहीं है। मैकाले द्वारा तैयार शिक्षा पद्धति से अपनी संस्कृति और सभ्यता से नफरत करने वाले नागरिक तैयार होते रहे। अब शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है।
भारत को पीएम मोदी के विजन के अनुरूप विकसित राष्ट्र बनाने में आज की युवा पीढ़ी की बेहद अहम भूमिका है। इसी दूरदर्शी सोच को ध्यान में रखने हुए मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है। इसके बेहद प्रभावी परिणाम भी सामने आने लगे हैं।
इस शिक्षा नीति ने अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की और अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करके भी युवा डॉक्टर-इंजीनियर तक बन रहे हैं। मोदी सरकार अब शिक्षा को कौशल विकास से जोड़कर और रोजगारपरक बनाने जा रही है।
मुख्य वक्ता गोविंद कुमार ने कहा कि विद्यार्थी को हम जैसा बनना चाहते हैं, शिक्षक को भी वैसा ही जीवन जीना पड़ता है। यह ईश्वर का वरदान है कि हमें आचार्य की भूमिका मिली है। संस्कारक्षम शिक्षा प्राप्त करने वाला नौजवान सदैव राष्ट्र प्रथम की भावना से कार्य करता है। देश में स्व के भाव को समाप्त करने के लिए षड्यंत्र रचे गए।
विद्या भारती इसी स्व के जागरण के लिए प्रयत्नशील है।शिक्षक, समाज के निर्माण में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। वे सिर्फ ज्ञान के स्रोत नहीं होते, बल्कि नैतिक मूल्यों, सामाजिक समझ और नागरिक कर्तव्यों को बच्चों में प्रवाहित करने का कार्य भी करते हैं।
उन्होंने कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षित नौजवान नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्त नागरिक तैयार करने का काम कर रही है। विद्या भारती द्वारा संचालित आदर्श विद्या मन्दिर संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देने का काम करते हैं। भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्य, संस्कार और सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत शिक्षा व्यवस्था विद्या भारती की पहचान बन गई है। जहां गुणवत्तापूर्ण, संस्कारक्षम, रोजगारपरक शिक्षा मिलती है। जहां अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, राष्ट्रीय प्रतीकों, राष्ट्रीय प्रतिमानों से प्रेम करने वाले राष्ट्रवादी युवा, राष्ट्रभक्त नागरिक तैयार हो रहे हैं।
शिशु मंदिरों ने अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कारों से युक्त शिक्षा देकर समाज में विशिष्ठ पहचान, सम्मान और लोकप्रियता अर्जित की है। जहां भारतीय मूल्यों और संस्कृति के अनुसार युवा पीढ़ी को शिक्षित करने का काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा तभी व्यक्ति एवं राष्ट्र के जीवन के लिए उपयोगी होगी। जब वह भारत के राष्ट्रीय जीवन दर्शन पर आधारित होगी। जो मूलतः हिंदू जीवन दर्शन से ही प्रेरित हो सकती है। विद्या भारती ने हिन्दू जीवन दर्शन पर आधारित भारतीय शिक्षा दर्शन का विकास किया है। कार्यक्रम में प्रांत सचिव मानेंग पटेल, जिला मंत्री देवेंद्र कुमार जैन समेत कई लोग मौजूद रहे।