क्षमावान् मनुष्य का लोक- परलोक में कोई शत्रु नहीं होता है: आदित्य सागर

0
7

कोटा। पर्युषण पर्व के तहत चंद्र प्रभु दिगंबर जैन समाज समिति की ओर से ऋद्धि- सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में आयोजित चातुर्मास के अवसर पर आदित्य सागर मुनिराज ने उत्तम क्षमा पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि जीवन को जो पावन करें वह पर्व होता है। 10 लक्षणपर्व सौभाग्य से मिलते हैं। इन पर्व को छोड़ना नहीं चाहिए।

यह 10 दिन एक्सचेंज ऑफर के दिन हैं। हर दिन एक अवगुण छोड़ो और गुण को अपनाओ। जो इस एक्सचेंज ऑफर में आएगा, उससे जीवन बदल जाएगा। उन्होंने उत्तम क्षमा पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि क्षमा आत्मा का धर्म है। इसलिए जो मानव अपना कल्याण चाहते हैं, उन्हें हमेशा इस भावना की रक्षा करनी चाहिए।

क्षमावान् मनुष्य का इस लोक और परलोक में कोई शत्रु नहीं होता है। क्षमा ही सर्व धर्म का सार है। क्षमा ही सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र रूपी आत्मा का मुख्य सच्चा भंडार है। उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग,और ब्रह्मचर्य ये दर्शन-धर्म अक्षय-अविनाशी हैं और संसार के भय को दूर करने वाले हैं।

उत्तम क्षमा तीन लोक में सार है, उत्तम क्षमा जन्मोत्तर समुद्र से पार करने वाली है। उत्तम क्षमा रत्नत्रय को प्राप्त कराने वाली है और उत्तम क्षमा दुर्गति के दु:खों का हरण करने वाली है।

इस अवसर पर रिद्धि-सिद्धि चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, पारस कासलीवाल, जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, राजकुमार पाटनी सहित कई लोग उपस्थित रहे।