कोटा। World Earth Day Seminar: विश्व पृथ्वी दिवस पर शहर के गणमान्य चिकित्सकों ने मरीज के उपचार के दौरान दवा की पर्ची पर प्रकृति संरक्षण की सलाह देना शुरू कर दिया है।
सोमवार को अनंतपुरा में वन विभाग के स्मृति वन स्थित लव कुश वाटिका में पृथ्वी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में स्मृति वन सलाहकार समिति, चम्बल संसद, बाढ़ सुखाड़ विश्व जन आयोग, बाघ-चीता मित्र, जल बिरादरी के पर्यावरण प्रेमियों एवं विभिन्न पद्धतियों के चिकित्सकों ने इस बात पर चिंता जताई कि पर्यावरण के प्रति सजग नहीं रहने के कारण कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं।
खान पान और बदलती जीवन शैली के कारण मनुष्य कई रोगों का शिकार बन जाता है, इसलिए दवाइयां के साथ पेड़ लगाने और जल संरक्षण प्रदूषण से बचाव के उपाय भी करने होंगे। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रवीण कुमार वर्मा ने कहा कि हमें हमारे बिगड़े हुए खान-पान और पर्यावरण को सुधार कर जल एवं वायु प्रदूषण से धरती को और स्वयं को भी बचाना होगा।
जिला विधिक सेवा समिति सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर जन जागरूकता को बढ़ावा दे रही है। वरिष्ठ न्यूरो सर्जन एसएन गौतम ने कहा कि जो भी हम प्रकृति को देते हैं, वह वापस लौटा देती है। वृक्ष लगाएंगे तो प्राण वायु ऑक्सीजन मिलेगी। कचरा फैलाएंगे या कचरा बनाएंगे तो बीमारियां ही मिलेंगी। हमारे जल स्रोत नदियों और तालाबों को प्रदूषण से बचाने की सख्त जरूरत है।
कोटा मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर आरपी मीना ने कहा कि जिस प्रकार मनुष्य में कई प्रकार की बीमारियां बढ़ रही हैं, उससे लगता है कि हम अपनी प्रकृति मां धरती के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ कर रहे हैं। इसी कारण बढ़ते तापमान और बिगड़ते पर्यावरण की वजह से ही कई तरह की बीमारियां पनपती हैं। हम जैसे चिकित्सकों का दायित्व बनता है कि लोगों को प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया जाए।
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉक्टर रघुनंदन शर्मा ने कहा कि जल एवं वायु प्रदूषण के कारण एपिडेमिक बीमारियां फैल रही हैं। शर्मा ने कहा कि फ्रूट एसेंस के नाम पर ठंडा पेय पदार्थ रासायनिक जहर लेमन ग्रास पिलाया जा रहा है। नकली दवाइयां के कारोबार को शक्ति से रोकने की जरूरत है।
कोटा मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी शरीर विज्ञान की विभाग अध्यक्ष डॉक्टर आरूषी जैन ने कहा कि लोगों में प्रकृति के प्रति जन चेतना जगा कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना चाहिए। हमारे पास भूमि सीमित है। नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए भी देहदान कारगर होता है।
वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ. मुकेश दाधीच ने कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करेंगे, तभी धरती का तापमान कम होगा। पेड़ पौधों को लगाना और उनका संरक्षण करना ही अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी है।
डाइटिशियन डॉक्टर नीलम खंडेलवाल ने बताया कि जेनेटिक बीज को हरित क्रांति के नाम पर प्रचलन में लाकर गेहूं जैसे अनाज को विकृत कर दिया। जो ब्रेन में जाकर अफीम और मॉर्फिन जैसा काम करती है।
खेती में अत्यधिक रासायनिक के प्रयोग से हमारी फसलें खतरनाक बीमारियों का स्रोत बनती जा रही हैं। डॉक्टरों की ड्यूटी है कि बीमारियों से बचाव के साथ पर्यावरण संरक्षण की भी सलाह दी जाए। संगोष्ठी में डॉक्टर विनीत महोबिया ने जल, जंगल और जमीन को हर कीमत पर बचाने के लिए सांप जैसे जीव जंतुओं के संरक्षण पर जोर दिया।
वरिष्ठ समाजसेवी शंकर आसकंदानी ने वन एवं पर्यावरण को प्रोत्साहन देकर धरती के तापमान को कम करने पर एक्शन प्लान के साथ कार्य करने की जरूरत पर जोर दिया। कार्यक्रम में आर्किटेक्ट ज्योति सक्सेना ने भवन निर्माण को प्रकृति के अनुकूल बनाने के बारे में सुझाव दिया।
स्मृति वन सलाहकार समिति के अध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि लव कुश वाटिका और स्मृति वन कोटा की धरती पर हरित फेफड़े का काम करेंगे। इस दिशा में वन विभाग को सक्रियता के साथ अधिक से अधिक पौधारोपण की व्यवस्था करना चाहिए। शहर के बीच में आ रही वन भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए। जिससे कोटा का बढ़ता तापमान नियंत्रित हो सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत नगर निगम आयुक्त एमसी शर्मा ने कहा कि धरती के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए झीलों और नदियों को हर कीमत पर बचाना होगा एवं ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर धरती को गर्म होने से रोकना होगा। इमा कोटा के सचिव डॉक्टर दीपक गुप्ता ने सोमवार से ही अपने मरीज के लिए प्रकृति संरक्षण का संदेश डॉक्टरी पर्ची पर लिखना शुरू कर दिया है।
कार्यक्रम संचालक बाढ़ सुखाड़ विश्व जन आयोग के सदस्य यज्ञ दत्त हाडा ने बताया कि संगोष्ठी से पूर्व चिकित्सा अधिकारियों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने लव कुश वाटिका में पीपल, बड़ और जामुन के पौधों का रोपण किया।