नई दिल्ली। भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। 2047 तक 35 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी बनने के लिए इसे तेज रफ्तार से बढ़ने की जरूरत है। जी20 में भारत के शेरपा अमिताभ कांत का कहना है कि भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले तीन दशक तक हर साल 9-10 फीसदी की दर से वृद्धि करने की जरूरत है।
नीति आयोग के पूर्व प्रमुख कांत ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा, भारत उस समय से काफी आगे बढ़ चुका है, जब उसे बहीखाते की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। आने वाले वर्षों में देश टिकाऊ शहरीकरण, बढ़ी कृषि उत्पादकता व बढ़े निर्यात के दम पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि जापान, ब्रिटेन एवं जर्मनी सभी देशों के मंदी के दौर में चले जाने पर अब हमें लक्ष्य को और अधिक तेजी से पाने में सक्षम होना चाहिए। भारतीय जीडीपी का आकार मौजूदा मूल्य के आधार पर 31 मार्च, 2024 तक करीब 3.6 लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान है।
कांत ने कहा, पश्चिमी देशों में सारे नवाचार गूगल, फेसबुक, अमेजन और एपल जैसी कंपनियों से आए। इसके उलट, भारत ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) की ताकत को दर्शाया है। यह अर्थव्यवस्था व नवाचार के लिहाज से हमारे लिए बड़ी ताकत बना है।
निर्यात पर ध्यान देना जरूरी : पनगढ़िया
16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने कहा, भारत को 10 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने के लिए निर्यात पर ध्यान देने की जरूरत है। भारत में औद्योगिक नीति और आयात प्रतिस्थापन के लिए बौद्धिक समर्थन मजबूत बना हुआ है। पनगढ़िया ने कहा, मैंने सिंगापुर, ताइवान, द. कोरिया व भारत जैसे सफल देशों को देखा है। निष्कर्ष स्पष्ट है कि जो देश खुले हैं, वे तेजी से विकसित हुए हैं।
जीडीपी में देगा 4.2 फीसदी योगदान
आधार, यूपीआई और फास्टैग जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) से मिलने वाले राजस्व ने 2022 में देश की जीडीपी में 0.9 फीसदी योगदान दिया है। इस अवधि में डीपीआई ने कुल 31.8 अरब डॉलर के मूल्य का सृजन किया है। 2030 तक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का जीडीपी में योगदान बढ़कर 2.9-4.2 फीसदी पर पहुंच जाएगा। नैसकॉम और आर्थर डी लिटिल ने रिपोर्ट में कहा, डीपीआई की मूलभूत परतें पारदर्शिता व विश्वास पर आधारित हैं। यह कागजरहित लेनदेन को बढ़ावा देती है। नौकरशाही को कम करती है।