Isabgol: उत्पादक केन्द्रों की मंडियों में नए ईसबगोल की आवक शुरू, उत्पादन कम

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नई दिल्ली। Isabgol Price: चालू सीजन के दौरान प्रमुख उत्पादक राजस्थान में ईसबगोल की पैदावार घटने के समाचार मिल रहे हैं। इसके अलावा गुजरात में भी पैदावार कम रहने की संभावना है। वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर नए ईसबगोल की आवक शुरू हो गई है।

आगामी दिनों में नए मालों की आवक बढ़ने के कारण अभी कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। मगर आवक का दबाव घटने के साथ ही कीमतों में सुधार संभव है। उल्लेखनीय है कि देश में कुल उत्पादन का 75/80 प्रतिशत ईसबगोल राजस्थान में होता है जबकि 20/25 का योगदान गुजरात का होता है।

उत्पादन: जानकार सूत्रों का कहना है कि गत सीजन में उत्पादकों को उनकी उपज का उचित मूल्य न मिलने के कारण प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में ईसबगोल की बिजाई गत वर्ष की तुलना में 25/30 प्रतिशत कम रही थी जिस कारण से उत्पादन प्रभावित हुआ है।

सूत्रों का मानना है कि चालू वर्ष के दौरान देश में ईसबगोल का उत्पादन 28/30 लाख बोरी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। जबकि वर्ष 2024 में उत्पादन 38/40 लाख बोरी एवं वर्ष 2023 में उत्पादन 28/30 लाख बोरी का रहा था।

भाव गत वर्ष से कम : वर्तमान में उत्पादन केन्द्रों की मंडियों पर ईसबगोल के भाव 120/130 रुपए प्रति किलो चल रहे हैं। जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में भाव 165/175 रुपए प्रति किलो बोले जा रहे थे। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2023 में ईसबगोल का रिकॉर्ड भाव 255/270 रुपए बन गया था।

आवक: वर्तमान में प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मेड़ता मंडी में नए ईसबगोल की आवक 1000/1200 बोरी एवं नागौर 1200/1400 बोरी की हो रही है। नौखा मंडी में आवक 700/800 बोरी की शुरू हो गई है। ऊंझा मंडी में नए ईसबगोल की आवक 3000 बोरी की चल रही है।

तेजी-मंदी: वर्तमान में राजस्थान की मंडियों में नए ईसबगोल का भाव 120/130 रुपए चल रहा है जबकि गुजरात की ऊंझा मंडी में भाव 125/140 रुपए बोला जा रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि अभी हाल फिलहाल कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। क्योंकि गत वर्ष रिकॉर्ड पैदावार होने के कारण वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों पर पुराने मालों का स्टॉक भी लगभग 7/8 लाख बोरी होने के समाचार है।

इसके अलावा अप्रैल-मई में मंडियों में नए मालों की आवक का दबाव बनेगा। जिस कारण से अभी कीमतें दबी रहेगी। व्यापारिक अनुमान है कि वर्तमान कीमतों में 4/5 रुपए प्रति किलो की गिरावट आ सकती है। इससे अधिक मंदे की संभावना नहीं है। क्योंकि गत वर्ष की तुलना में भाव 40/45 रुपए प्रति किलो नीचे चल रहे हैं। नीचे भावों पर किसान माल रोकना शुरू कर देगा।