Rajasthan Elections: भाजपा के बाद अब कांग्रेस में भी विरोध के स्वर

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भरत सिंह कुंदनपुर के विरोध में उतरने से कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से घोषित किए गए कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। क्योंकि भरत सिंह का विरोध आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें काफी मुश्किलों में डालने वाला है, यह तय है। भरत सिंह अपने स्थान पर जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को टिकट दिए जाने के पक्ष में थे, उस सूची में भानु प्रताप सिंह का नाम शामिल नहीं है। इसके अलावा भानु प्रताप सिंह मूल रूप से इस विधानसभा क्षेत्र के निवासी भी नहीं हैं।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Sangod assembly seat: राजस्थान विधानसभा के चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के बाद अब कांग्रेस की ओर से घोषित किए गए प्रत्याशियों के विरोध का सिलसिला शुरू हो गया है। कोटा जिले में सबसे पहला और कड़ा विरोध सांगोद विधानसभा सीट पर सामने आया हैं जहां मौजूदा विधायक भरत सिंह कुंदनपुर कांग्रेस की ओर से घोषित किए गए प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह के खिलाफ खड़े हो गए हैं।

वहीं झालावाड़ जिले में मनोहरथाना एवं खानपुर विधानसभा सीट से घोषित किए गए कांग्रेस के प्रत्याशियों का विरोध किया जा रहा है जहां पहले ही से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद से ही स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं। विरोध के स्वर दोनों ही पार्टियों के घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ बराबर सा हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में सांगोद विधानसभा सीट से विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने इस विधानसभा सीट पर इस बार देहात कांग्रेस अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह को पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने पर कड़ा एतराज प्रकट करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक काजी निजामुद्दीन की भूमिका पर भी संदेह व्यक्त किया है।

श्री भरत सिंह ने 1 नवंबर को प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भेजे एक पत्र में भानु प्रताप सिंह की सांगोद विधानसभा सीट से उम्मीदवारी पर एतराज जताते हुए कहा है कि वे तो इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी नहीं है। वे मूल रूप से कोटा जिले की पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। उचित तो यह होता है कि पीपल्दा से ही उन्हें पार्टी प्रत्याशी बनाया जाता।

सांगोद से टिकट देना यहां के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सरासर अपमान है। क्योंकि पिछले 10 सालों से कांग्रेस पार्टी ने सांगोद विधानसभा क्षेत्र में असंख्य कार्यक्रम आयोजित किए हैं, लेकिन उनमें से एक भी कार्यक्रम में भानु प्रताप सिंह ने कभी भी भाग नहीं लिया।

श्री भरत सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से इस मामले में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक काजी निजामुद्दीन की भूमिका संदिग्ध है। इसलिए उन्होंने श्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से प्रदेश प्रभारी होने के नाते यह अनुरोध किया है कि पार्टी अपनी भूल सुधार करे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि विडंबना तो यह है कि काजी की सोची समझी साजिश को अब क्यों सुधारा जाएगा?

उन्होंने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसके पहले भी उनकी ओर से दिए लिखे गए पत्रों और उनमें दिए गए सुझाव को हमेशा नजरअंदाज ही किया है। उल्लेखनीय है कि सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए गए भानु प्रताप सिंह को हाल ही में पार्टी ने देहात कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया था और वे वास्तव में ही वे मूल रूप से सांगोद विधानसभा क्षेत्र के निवासी नहीं है।

वे सुल्तानपुर क्षेत्र के उम्मेदपुरा गांव के रहने वाले हैं, जो पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र में आता है। वर्तमान में पीपल्दा से अनुसूचित जनजाति वर्ग के रामनारायण मीणा कांग्रेस से विधायक हैं। लेकिन पीपल्दा विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी में आती है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने श्री मीणा को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया था जो मूल रूप से बूंदी जिले के रहने वाले हैं।

भाजपा ने भी इस सीट पर पिछले चुनाव में बूंदी जिले की मूल निवासी श्रीमती ममता शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था, जो कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में गई थी, लेकिन इस बार फिर कांग्रेस में लौट आई हैं। वैसे सांगोद से मौजूदा कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर के कांग्रेस पार्टी नेतृत्व से इस बार चुनाव नहीं लड़ने के प्रति अपनी असमर्थता जताने के बाद ही पार्टी ने उनके नाम पर विचार नहीं किया।

उनके स्थान पर भानु प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। लेकिन पार्टी नेतृत्व के मांगे जाने के बाद श्री भरत सिंह ने जिन लोगों को उनके स्थान पर सांगोद से प्रत्याशी बनाने की सिफारिश की थी, उनमें भानु प्रताप सिंह का नाम कहीं भी शामिल नहीं था।

झालावाड़ जिले में भी मनोहरथाना,खानपुर विधानसभा सीटों से घोषित कांग्रेसी प्रत्याशियों के नामों का पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है। बुधवार को प्रत्याशियों के खिलाफ जुलूस निकालकर प्रदर्शन किए गए। मनोहरथाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नेमी चंद मीणा को टिकट देने का भारी विरोध हो रहा है।

उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध पूर्व में यहां से विधायक रह चुके कैलाश चंद मीणा के समर्थक कर रहे हैं, जिनका कहना है कि पार्टी टिकट के असली हकदार कैलाश चंद मीणा है और अब उनका हक मार कर नेमी चंद को टिकट दिया गया है जो गलत है, इसलिए वो विरोध जता रहे हैं।

नेमी चंद मीणा का विरोध करते हुए कैलाश मीणा के समर्थक सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पार्टी से बुधवार को अपना इस्तीफा भी दे दिया। हालांकि अभी अधिकारिक तौर पर पुष्टि होना बाकी है। खानपुर विधानसभा क्षेत्र में भी पूर्व विधायक मीनाक्षी चंद्रावत के समर्थक लामबंद और मीनाक्षी चंद्रावत को ही खानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। मीनाक्षी चंद्रावत इस विधानसभा सीट से एक बार चुनाव जीत चुकी है।