अब एक अरब आधार को बैंक खातों और मोबाइलों से जोड़ने पर सरकार की नजर

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नई दिल्ली। मूडीज के रेटिंग अपग्रेड और उससे पहले वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डुइंग बिजनस रैकिंग्स लिस्ट में 30 पायदान की उछाल से उत्साहित मोदी सरकार एक अरब-एक अरब-एक अरब- के अनूठा और महत्वाकांक्षी विजन पर कदम बढ़ाने का विचार कर रही है।

दरअसल, मूडीज और वर्ल्ड बैंक ने नोटबंदी, जीएसटी और आधार लिंकिंग जैसे कदमों की तारीफ की है। एक अरब-एक अरब-एक अरब विजन में एक अरब यूनिक आधार नंबरों को एक अरब बैंक खातों और एक अरब मोबाइलों से जोड़ने की योजना है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने यह लक्ष्य नोटबंदी के कारण 6 लाख करोड़ रुपये के बड़े नोटों के चलन से बाहर हो जाने और बैंक खाते खुलवाने एवं डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते चलन के मद्देनजर यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

सरकारी महकमों में यह चर्चा जोरों पर है कि ‘1 प्लस 1 प्लस 1 प्लस’ का आंकड़ा जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा, हालांकि इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है। यह फाइनैंशल और डिजिटल मेनस्ट्रीम को विस्तार देने की दिशा में बड़ा कदम होगा।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2017 के आखिर तक बड़े नोट करीब 12 लाख करोड़ रुपये मूल्य रह गए जो नवंबर 2016 में 15.44 लाख करोड़ रुपये के थे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। एक सूत्र ने कहा, ‘अब (नोटों की) संख्या करीब-करीब इतनी ही रह गई है।’

जिस दर से कुछ खास नोटों की संख्या बढ़ रही थी, उससे अब तक उनका मूल्य 18 लाख करोड़ रुपये के पार कर गया होता, लेकिन अब वे घटकर 6 लाख करोड़ रुपये तक रह गए।

एक सूत्र ने बताया, ‘बड़े मूल्य की मुद्रा या अन्य नोटों की कोई कमी नहीं है। यह जो कमी आई है, उससे काले धन के रूप में नोट जमा करने की आशंका खत्म हो गई।’

मोदी सरकार नोटबंदी, जीएसटी और आधार जैसे सियासी विरोधवाले कदमों का सकारात्मक पहलू ढूंढती है और इनसे उपजे परिणामों को वह काफी संतोषजनक मानते हुए आलोचकों और विपक्षी दलों के साथ कड़वी लड़ाई लड़ चुकी है।

मूडीज ने नई रेटिंग जारी करने से एक दिन पहले इससे सरकार को अवगत कराया था। मूडीज की दृष्टि में ये कदम अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने और इसे ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिहाज से गंभीर प्रयास थे।

सरकार अनुमान से इतर अवैध घोषित किए गए 99% नोटों के बैंकों में लौट जाने को लेकर हुए हमले का यह जवाब देती रही है कि इसे नोटबंदी की असफलता के रूप में नहीं देखा जा सकता। सूत्रों के मुताबिक, अगर यही एक मकसद होता तो सरकार नोट बदलने के लिए कुछ विंडोज ओपन नहीं करती।

बड़े नोटों की संख्या में बड़ी कमी को लेस कैश इकॉनमी (मुद्रा का कम प्रचलनवाली अर्थव्यवस्था) की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जैसा कि सरकार ने कहा भी था। साथ ही, प्रॉपर्टी खरीदने में कैश पेमेंट की सीमा तय करने जैसे कदम उठाए जाने से इस प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

 जीएसटी को लागू किए जाने को लेकर हो रही आलोचना के बावजूद टैक्स वसूली की इस नई व्यवस्था को उन अर्थशास्त्रियों से भी व्यापक समर्थन मिला है जिन्होंने नोटबंदी पर संदेह जाहिर किया था।

डिजिटलाइजेशन प्लान के तहत आधार लिंकिंग और भीम-यूपीआई को भी रेटिंग्स एजेंसियों से मान्यता मिली है। सूत्रों का कहना है कि ट्रांजैक्शन कॉस्ट में कमी के भी सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं।

यूईआईडी स्कीम्स और कल्याणकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी पेमेंट्स के साथ इसकी लिंकिंग के अलावा पैन कार्ड्स और निजी कंपनियों द्वारा अन्य इस्तेमाल की भी आलोचना यह कहकर हुई कि इससे कई लोग सब्सिडी से वंचित रह जा रहे हैं और लोगों की निजता का उल्लंघन हो रहा है।