चंद्रयान-3 चांद की सतह पर 23 अगस्त को करेगा सॉफ्ट लैंड

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नई दिल्ली। Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 को पृथ्वी की सतह से चांद तक पहुंचने में 42 दिन का समय लगेगा। इस दौरान यह करीब 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। यह 23 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड करेगा। इसरो इसकी लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव में करवाना चाहता है। चांद के दक्षिणी ध्रुव को लेकर कहा जा रहा है कि यह उत्तर ध्रुव से बड़ा है, जहां छाया वाले इलाकों में पानी मिलने की उम्मीद है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। यह लॉन्च आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोट स्थित इसरो के लॉन्चिंग स्टेशन से 14 जुलाई को दोपहर 2.30 मिनट पर किया गया। यहां हम आपके साथ चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च से लैंडिंग तक की सभी जानकारी डिटेल में शेयर कर रहे हैं।

इसरो का स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-3 अपने साथ कई साइंटिफिक उपकरणों को ले जा रहा है, जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे। लेकिन, इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है।

इससे पहले चंद्रयान-2 के समय भी इसका का उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड करना ही था, जो अंतिम समय में फेल हो गया था। उस वक्त इसरो का लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था। पिछले मिशन की तरह ही इस बार भी इसके लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ रखा गया है।

अगर इस बार चंद्रयान 3 के साथ इसरो चांद की सहत पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफल हो जाता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, पूर्व सोवियत यूनियन और चाइना ऐसा करने में सफल रहे हैं।

बता दें कि चंद्रयान 2 से पहले इजरायल की स्पेश एजेंसी ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना मिशन लॉन्च किया था, जिसमें वे फेल हो गए थे। इसके साथ इस साल की शुरुआत में जापान भी चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग करने में असफल हो गया था।

चंद्रयान 3: LVM-3 रॉकेट की खासियत
चंद्रयान 3 मिशन के लिए इसरो ने लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) पर भरोसा जताया है। यह GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) Mark-III है। इस रॉकेट से यह इसरो का चौथा स्पेश मिशन है।

इस लॉन्च व्हीकल में दो S2000 सॉलिड रॉकेट बूस्टर का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे टेकऑफ के लिए पर्याप्त फोर्स ऑफर करते हैं। लॉन्च व्हीकल से सॉलिड बूस्टर के अलग हो जाने के बाद इस रॉकेट को L110 लिक्विड स्टेज से पावर मिलेगी। लिक्विड स्टेज के रॉकेट से अलग हो जाने के बाद इसमें पावर जनरेट करने के लिए CE25 क्रायोजनिक स्टेज का यूज किया गया है।

चंद्रयान-3 मिशन के मॉड्यूल
इसरो के स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-3 में मुख्य रूप से तीन मॉड्यूल – लैंडर, प्रपल्शन और रोवर मौजूद हैं। प्रपल्शन मॉड्यूल का काम इस स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से चांद के ऑर्बिट में 100km तक पहुंचाना है। इसके साथ ही यह मॉड्यूल एक पेलोड को भी साथ में ले जा रहा है जो चंद्रमा के ऑर्बिट से पृथ्वी के स्पेक्ट्रल और पोलिमेट्री माप लेगा।

लैंडर अपने साथ RAMBHA-LP, ChaSTE और ILSA पेलोड ले जा रहा है, जबकि रोवर APXS और LIBS लेकर जा रहा है। रोवर सहित लैंडर का वजन लगभग 1,750 किलोग्राम है, जिसका वजन अकेले 26 किलोग्राम है। लैंडर के साइज की बात करें तो यह लगभग 2X2X1.1 मीटर है, जबकि रोवर का साइज लगभग 91 गुणा 75 गुणा 39 सेंटीमीटर है। रोवर और लैंडर दोनों को चंद्रमा पर लगभग 14 दिनों तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।